बुलबुल पाण्डेय, गाजीपुर
गाजीपुर में साहित्य और संस्कृति का अनूठा संगम देखने को मिला, जब भारत डायलॉग्स की ओर से आयोजित दो दिवसीय गाजीपुर लिटरेचर फेस्टिवल का शानदार आगाज हुआ। इस भव्य आयोजन का उद्घाटन जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, दक्षिण अफ्रीका के राजदूत प्रोफेसर अनिल सुकलाल, राज्यसभा सांसद डॉ. संगीता बलवंत और भारत एक्सप्रेस के संस्थापक व कार्यक्रम के मुख्य संरक्षक उपेंद्र राय ने दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया। यह आयोजन साहित्य प्रेमियों और बुद्धिजीवियों के लिए एक यादगार पल बन गया।
गाजीपुर: साहित्य और संस्कृति का मिलन स्थलउपेंद्र राय ने देश-विदेश से आए सैकड़ों बुद्धिजीवियों, साहित्यकारों और गाजीपुर के प्रबुद्ध वर्ग का गर्मजोशी से स्वागत किया। उन्होंने इस फेस्टिवल को “जड़ों से जोड़ने वाला ऐतिहासिक अवसर” करार दिया। उन्होंने कहा कि गाजीपुर की मिट्टी में साहित्य, संस्कृति और क्रांति की खुशबू बसी है, और यह आयोजन उस गौरव को फिर से जीवंत कर रहा है।
“गाजीपुर मेरा संसार है” – मनोज सिन्हा का भावुक संबोधनमुख्य अतिथि मनोज सिन्हा ने अपने प्रेरक संबोधन में गाजीपुर की मिट्टी को ऋषियों, संतों, तपस्वियों, विचारकों और क्रांतिकारियों की धरती बताया। उन्होंने डॉ. राही मासूम रजा, डॉ. कुबेरनाथ राय और डॉ. विवेकी राय जैसे साहित्यिक हस्तियों का जिक्र करते हुए कहा, “गाजीपुर अद्वैत की प्रेरक भूमि है। मेरे लिए गाजीपुर मेरा संसार है। इस धरती से जुड़े किसी भी आयोजन में मैं शामिल होने का हरसंभव प्रयास करता हूँ।” उनके शब्दों ने सभागार में मौजूद हर व्यक्ति को भावुक कर दिया।
भोजपुरी कहावतों की दुनिया का लोकार्पणइस मौके पर गाजीपुर के प्रमुख समाजसेवी संजीव गुप्ता की चर्चित किताब “भोजपुरी कहावतों की दुनियाँ” का लोकार्पण भी अतिथियों द्वारा किया गया। यह किताब भोजपुरी संस्कृति और लोक परंपराओं को जीवंत करती है, जिसे दर्शकों ने खूब सराहा। आयोजन के संचालक पूजा प्रियंबदा और धन्यवाद ज्ञापन विवेक सत्य मित्रं ने किया, जिनके प्रयासों ने इस उत्सव को और भी खास बनाया।
“जड़ों की ओर” प्रदर्शनी का शुभारंभउद्घाटन समारोह के बाद, मनोज सिन्हा ने लंका मैदान में आयोजित “जड़ों की ओर” प्रदर्शनी का फीता काटकर उद्घाटन किया। अभिषेक सत्य मित्रं ने उनका स्वागत किया। यह प्रदर्शनी गाजीपुर की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाती है और इसे देखने के लिए भारी भीड़ उमड़ी।
दो दिन का साहित्यिक उत्सवयह दो दिवसीय उत्सव कई सत्रों में आयोजित हो रहा है, जिसमें साहित्य, संस्कृति और सामाजिक विषयों पर गहन चर्चा होगी। आयोजक विवेक सत्य मित्रं और पूजा प्रियंबदा के कठिन परिश्रम से यह आयोजन एक विमर्श उत्सव बनने की ओर अग्रसर है। इसका समापन 9 नवंबर को रात 8 बजे होगा, जिसमें कई और रोचक सत्र और गतिविधियाँ शामिल होंगी।
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