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यमुना का कहर: ताजमहल को निगलने को तैयार, क्या बचेगा शाहजहां का प्यार?

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इस साल का मानसून अपने साथ रिकॉर्ड तोड़ बारिश लेकर आया है। इस बारिश ने पूरे देश में हाहाकार मचा दिया है। खासकर यमुना नदी का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर गया है, जिससे हालात और गंभीर हो गए हैं।

पंजाब-हिमाचल में आपदा, दिल्ली में बाढ़

पंजाब और हिमाचल प्रदेश को पहले ही आपदा प्रभावित घोषित किया जा चुका है। दिल्ली में भी बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं। अब यमुना ने आगरा के ताजमहल को भी अपनी चपेट में ले लिया है। विश्व धरोहर ताजमहल के आसपास बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं, जिससे लोग दहशत में हैं।

यमुना का बढ़ता जलस्तर, ताजमहल पर संकट

भारी बारिश और हथिनीकुंड बैराज से छोड़े गए पानी की वजह से यमुना का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। नदी के किनारे बसे गांवों और कॉलोनियों में पानी भर गया है, जिसके चलते लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा जा रहा है। स्थिति इतनी गंभीर है कि बाढ़ का पानी ताजमहल के पश्चिमी प्रवेश द्वार और दीवारों तक पहुंच गया है। मेहताब बाग गार्डन पूरी तरह पानी में डूब चुका है, और टिकट खिड़की की सीढ़ियों पर पानी बह रहा है।

152.605 मीटर पर यमुना, खतरे का निशान पार

सोमवार को यमुना का जलस्तर 152.605 मीटर तक पहुंच गया, जो खतरे के निशान से 1.600 मीटर ऊपर है। यमुना की तेज धारा आगरा विकास प्राधिकरण (एडीए) के ताज व्यू पॉइंट के ऊपर से बह रही है। इन हालातों ने स्थानीय लोगों में खौफ पैदा कर दिया है। आगरा प्रशासन ने आसपास के इलाकों में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं, ताकि किसी भी बड़े नुकसान से बचा जा सके।

47 साल बाद ताजमहल पर खतरा 1978 की बाढ़ की यादें ताजा

ताजमहल के पीछे दुकान चलाने वाले साबिर अली बताते हैं कि 1978 में यमुना में भयंकर बाढ़ आई थी। उस वक्त यमुना का जलस्तर 154.760 मीटर तक पहुंच गया था। तब बेलनगंज, जीवनी मंडी, विजय नगर कॉलोनी, दयालबाग, बल्केश्वर, मोतीमहल, कटरा वज़ीर खां, रामबाग, सीतानगर और यमुना ब्रिज घाट पानी में डूब गए थे। अगर बारिश का सिलसिला यूं ही जारी रहा, तो 1978 जैसे हालात फिर से बन सकते हैं। कछपुरा के अशोक सागर का कहना है कि 2010 और 2023 में भी यमुना में बाढ़ आई थी, लेकिन इस बार का जलस्तर पहले से कहीं ज्यादा खतरनाक है।

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