जयपुर, 7 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) . शहर की खराब व टूटी-फूटी सडकों के हालातों व इससे आमजन को हो रही परेशानी से जुडे मामले में राज्य सरकार ने मंगलवार को हाईकोर्ट में कहा कि उन्होंने अगस्त महीने में तथ्यात्मक रिपोर्ट रिपोर्ट दे दी थी. इसके बाद कई सडकों पर पेचवर्क कराया गया, लेकिन सितंबर महीने में भी बारिश हुई है. ऐसे में अब नए सिरे से सडकों के हालात की रिपोर्ट पेश कर दी जाएगी. वहीं न्याय मित्र तनवीर अहमद ने कहा कि जब सरकार नई रिपोर्ट के लिए कह रही है तो हम भी उसका जवाब बाद में ही दे देगें. इस पर अदालत ने राज्य सरकार को चार सप्ताह में रिपोर्ट देने का निर्देश देते हुए मामले की सुनवाई छह सप्ताह बाद तय की है. जस्टिस इन्द्रजीत सिंह व शुभा मेहता की खंडपीठ ने यह आदेश शहर की खराब व टूटी-फूटी सडकों के हालातों पर लिए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान मामले में दिए.
दरअसल हाईकोर्ट ने जुलाई महीने में शहर की खराब सडकों व गड्डों पर प्रसंज्ञान लेते हुए जेडीए और निगम आयुक्तों को निर्देश दिया था कि वे शहर की सडकों का सर्वे कर दो सप्ताह में इस संबंध में तथ्यात्मक रिपोर्ट दें. अदालत ने अफसरों से पूछा था कि शहर की सडकों के मौजूदा हालात और उन्हें सुधारने की स्थिति क्या है. इसके साथ ही उन्हें जलभराव और उफनते सीवर की समस्या के लिए उठाए कदमों व रोड निर्माण में अमानक सामग्री व तकनीक अपनाने वाले जिम्मेदार व्यक्ति व बिना जांच इनके बिल पास करने वाले लोगों के नाम भी बताने को कहा था. अदालत ने संबंधित अफसरों से कहा था कि वे चार सप्ताह में सडकों की मरम्मत का समयबद्ध प्लान पेश करें. हाईकोर्ट ने कहा था कि मानसून में शहर की सडकों के हालात बदतर हो रहे हैं. जिससे शहर की विश्वव्यापी छवि भी प्रभावित हो रही है. मानसून में यहां जलभराव, बाढ़ और जल निकासी की समस्या होती है. जल निकासी की समस्या से रोजमर्रा के जीवन, पर्यावरण के साथ-साथ स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डाल रहा है. जबकि जिम्मेदार अधिकारी समस्या निदान करने में असफल हो गए हैं.
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(Udaipur Kiran)
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