नई दिल्ली, 21 अगस्त (Udaipur Kiran) । राज्यसभा ने शुक्रवार को बिना चर्चा के ऑनलाइन गेमिंग से जुड़े विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया। ऑनलाइन खेल संवर्धन और विनियमन विधेयक, 2025 को लोकसभा ने गुरुवार को ही पारित कर दियाा था। इसके साथ ही अब इसे संसद की मंजूरी मिल गई। विधेयक जहां एक तरफ ई-स्पोर्ट्स, सोशल गेम्स को बढ़ावा देता है वहीं सट्टेबाजी और जुए जैसे ‘मनी गेम’ को प्रतिबंधित करता है।
राज्यसभा में विधेयक के बारे में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्वनी वैष्णव ने कहा कि समय-समय पर समाज में कुरीतियां आती हैं और इससे छुटकारा दिलाने के लिए सरकार और संसद को अपनी भूमिका निभानी होती है। मनी गेम ड्रग्स की तरह एक गंभीर समस्या बन चुकी है और सरकार कानून के माध्यम से इसपर प्रतिबंध लगा रही है। वे समाज, मीडिया और विपक्ष से आह्वान करते हैं युवाओं को इस लत से छुड़ाने में मदद करें।
वैष्णव ने सदन में ऑनलाइन गेमिंग से जुड़े नकारात्मक पक्ष पर चिंता जताई और कहा कि मोदी सरकार राजस्व से ज्यादा समाज कल्याण को महत्व देती है। इस कारण से विधेयक में ‘मनी गेम’ को प्रतिबंधित किया गया है। एक अनुमान के अनुसार 45 करोड़ लोगों ने देश में अपने 20 हजार करोड़ रुपये गंवाये हैं। डब्ल्यूएचओ ने भी इसे एक विकार माना है।
केन्द्रीय मंत्री ने कई मीडिया रिपोर्टों का भी हवाला दिया और कहा कि ऑनलाइन मनी गेम्स के पीछे ताकतवर लोग हैं। कोर्ट में भी चैलेंज करेंगे। मीडिया और सोशल मीडिया के माध्यम से कैंपेन भी करेंगे। उन्होंने कहा, “मध्यम वर्ग और नौजवानों के हित की जब भी बात होती है, मोदीजी ने राजस्व और अर्थव्यवस्था को एक तरफ रखकर मध्यम वर्ग और युवा की बात को सुना है।”
विधेयक में क्या है खास-
विधेयक के प्रमुख प्रावधानों के अनुसार ई-स्पोर्ट्स को वैध खेल की मान्यता दी गई है। युवा मामलों और खेल मंत्रालय इसके लिए दिशानिर्देश तय करेगा। प्रशिक्षण केंद्र, शोध संस्थान और प्रौद्योगिकी मंच स्थापित किए जाएंगे। साथ ही प्रोत्साहन योजनाएं और जागरूकता अभियान चलाए जाएंगे ताकि ई-स्पोर्ट्स को राष्ट्रीय खेल नीति में समाहित किया जा सके।
विधेयक में सामाजिक और शैक्षिक खेलों के लिए केंद्र सरकार को मान्यता, वर्गीकरण और पंजीकरण की शक्ति दी गई है। ऐसे खेलों के विकास और प्रसार के लिए सुरक्षित प्लेटफॉर्म बनाए जाएंगे। इन खेलों को सांस्कृतिक और शैक्षिक मूल्यों से जोड़कर कौशल विकास और डिजिटल साक्षरता बढ़ाने पर बल दिया जाएगा।
विधेयक में ऑनलाइन मनी गेम्स पर पूर्ण प्रतिबंध का प्रावधान है। इसमें कौशल-आधारित, भाग्य-आधारित या मिश्रित सभी प्रकार के धन-आधारित खेल शामिल हैं। ऐसे खेलों का प्रचार, विज्ञापन और उनसे जुड़ी वित्तीय लेन-देन गतिविधियों को गैरकानूनी घोषित किया गया है। बैंक और भुगतान प्रणाली को भी इनसे जुड़े लेन-देन रोकने के निर्देश दिए गए हैं।
विधेयक के कानून बनने के बाद केंद्र सरकार एक राष्ट्रीय ऑनलाइन गेमिंग प्राधिकरण स्थापित करेगी। यह प्राधिकरण खेलों का पंजीकरण, श्रेणीकरण और शिकायतों का निवारण करेगा। साथ ही यह यह तय करेगा कि कोई खेल मनी गेम की श्रेणी में आता है या नहीं। प्राधिकरण दिशा-निर्देश और आचार संहिताएं भी जारी करेगा।
विधेयक के तहत अपराध और दंड का स्पष्ट उल्लेख किया गया है। ऑनलाइन मनी गेमिंग की पेशकश करने पर तीन साल तक की कैद और एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। विज्ञापन करने वालों पर दो साल की कैद और 50 लाख रुपये तक का जुर्माना निर्धारित है। बार-बार अपराध करने वालों के लिए सजा और अधिक कठोर होगी।
विधेयक में सरकार को जांच और प्रवर्तन शक्तियां भी प्रदान की गई हैं। अधिकृत अधिकारी अपराध से जुड़े डिजिटल या भौतिक संपत्ति की जब्ती कर सकते हैं और गंभीर मामलों में बिना वारंट गिरफ्तारी कर सकते हैं।
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(Udaipur Kiran) / अनूप शर्मा
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