सोनीपत, 4 सितंबर (Udaipur Kiran) । सोनीपत
व आसपास के क्षेत्रों में यमुना नदी के जलस्तर में गुरुवार को लगातार गिरावट दर्ज हुई, लेकिन
स्थिति अभी भी खतरनाक बनी हुई है। रात 12 बजे डिस्चार्ज 168883 क्यूसेक था, जो सुबह
9 बजे तक घटकर 135702 क्यूसेक रह गया। दोपहर 1 बजे तक यह 132861 क्यूसेक दर्ज किया
गया। विशेषज्ञों का कहना है कि हालिया स्तर ऐतिहासिक जलस्तरों की तुलना में खतरे की
ओर इशारा करते हैं। वर्ष 1978 में 212.3 मीटर, 1988 में 213.2 मीटर, 1995 में
212.8 मीटर, 2019 में 212.1 मीटर और 2022 में 211.1 मीटर स्तर दर्ज हुआ था।
इस बार
सोनीपत में यमुना ने 47 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया और 213.5 मीटर तक पहुंच गई, यह खतरे
के निशान से पौने दो मीटर ऊपर है। हथिनी कुंड बैराज से छोड़े गए पानी और बारिश ने यमुना
खादर क्षेत्र को संकट में डाल दिया। तेज बहाव से हजारों एकड़ फसलें डूब गईं। जगदीशपुर
में स्वीट कॉर्न की खेती पूरी तरह नष्ट हो गई, किसानों को लाखों रुपये का नुकसान हुआ
है। ग्रामीण मुआवजे की मांग कर रहे हैं। राठधाना गांव में मकान की दीवार गिरने से भैंस
की मौत हुई। शनि मंदिर रेलवे अंडरपास में बच्चों से भरी निजी बस पानी में फंस गई, जिसे
ट्रैक्टर से निकाला गया। चालक के खिलाफ नगर निगम कार्रवाई करेगा और स्कूल भी कदम उठाएगा।
दिल्ली
सरकार के बाढ़ नियंत्रण विभाग के अनुसार पल्ला गांव पर जलस्तर 213.5 मीटर दर्ज हुआ।
दहीसरा और जीरो प्वाइंट पर भी पानी खतरे के निशान से ऊपर बह रहा है। मामूली कमी दर्ज
होने के बावजूद राहत की उम्मीद फिलहाल कम है। प्रशासन
ने गन्नौर व सोनीपत एसडीएम की अध्यक्षता में निगरानी टीमें बनाई हैं। डीसी ने हालात
का जायजा लिया और हेल्पलाइन नंबर 0130-2221590 जारी किया। ग्रामीण बांध मजबूत करने
के लिए जेसीबी और ट्रैक्टरों से मिट्टी के कट्टे डाल रहे हैं। मनौली टोंकी गांव चारों
ओर से पानी से घिरा है, सरकारी स्कूल बंद है और बिजली आपूर्ति पर खतरा है।
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(Udaipur Kiran) शर्मा परवाना
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