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मजार की चप्पल से करते हैं पिटाई और साथ में मुरादें भी कराते हैं पूरी, गजब है भाई! चुगलखोर की मजार

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भारत में आस्था के कई अनोखे रूप देखने को मिलते हैं, लेकिन कुछ मान्यताएं इतनी अजीब और दिलचस्प होती हैं कि वे चर्चा का विषय बन जाती हैं। ऐसी ही एक मजार है — "चुगलखोर की मजार", जहां लोग दुआ करने नहीं, बल्कि चप्पल से पिटाई करने आते हैं! लेकिन हैरानी की बात ये है कि यहां पिटाई भी श्रद्धा से होती है और मुरादें भी पूरी होती हैं।

कहां है चुगलखोर की मजार?

यह अनोखी मजार उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में स्थित है। इस जगह को लोग "चुगलखोर बाबा की मजार" के नाम से जानते हैं। मान्यता है कि यहां आने वाले लोग किसी की चुगली या पीठ पीछे बुराई से परेशान होकर आते हैं और मजार पर चप्पल मारकर अपनी भड़ास निकालते हैं। लोग कहते हैं कि इस मजार पर "चुगलखोर" को चप्पलें मारने से उनके जीवन से बुरे लोग दूर हो जाते हैं और झूठ बोलने वालों का पर्दाफाश हो जाता है।

क्या है मान्यता?

स्थानीय लोगों के अनुसार, इस मजार पर एक आत्मा है जो चुगली करने वालों को सबक सिखाती है। मान्यता है कि कोई भी इंसान यदि किसी की बुराई करके आपको नुकसान पहुंचा रहा हो, तो उसका नाम सोचकर या बोलकर मजार पर चप्पल मारो — चुगलखोर बाबा उसका हिसाब जरूर करेंगे। लोगों का यह भी दावा है कि कई बार ऐसा करने के बाद उन्हें कुछ ही दिनों में उस व्यक्ति की असलियत पता चल गई या फिर वो खुद ही ज़िंदगी से दूर हो गया।

मजार पर भीड़ और आस्था

यह मजार किसी धार्मिक ग्रंथ में दर्ज नहीं है, लेकिन इसके बावजूद यहां रोजाना दर्जनों लोग आते हैं। कोई अकेले आता है तो कोई परिवार सहित। कुछ लोग तो विशेष दिन, जैसे शुक्रवार को, विशेष रूप से चप्पल लेकर आते हैं। मजार के पास एक पेड़ पर पुरानी चप्पलें भी लटकाई गई हैं — प्रतीक के तौर पर कि ‘काम हो गया’।

सोशल मीडिया पर वायरल

पिछले कुछ समय में यह मजार सोशल मीडिया पर भी काफी वायरल हुई है। कई यूट्यूब चैनल्स और इंस्टाग्राम रील्स पर इसके वीडियो लाखों लोगों तक पहुंच चुके हैं। लोग इसे मज़ाक के तौर पर भी देख रहे हैं, लेकिन कुछ इसे अंधविश्वास कहकर आलोचना भी कर रहे हैं। हालांकि स्थानीय लोगों की आस्था अडिग है और उनका मानना है कि यह एक प्रकार की आत्मिक शांति और मन की तसल्ली है।

निष्कर्ष

भारत विविधताओं का देश है और यहां आस्था के कई रंग हैं। चुगलखोर की मजार जैसे स्थल इस बात का उदाहरण हैं कि कैसे लोग अपनी भावनाओं और अनुभवों के आधार पर परंपराएं गढ़ लेते हैं। चाहे इसे आस्था कहें या अंधविश्वास — लेकिन इसमें कोई शक नहीं कि यह जगह आज लोगों की उत्सुकता और श्रद्धा दोनों का केंद्र बन चुकी है। गजब है भाई! चुगलखोर की मजार पर पिटाई भी होती है और मुरादें भी पूरी होती हैं।

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