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बिहार में जैव विविधता और आर्द्रभूमि संरक्षण में बड़ी उपलब्धि, बक्सर और उदयपुर झील को रामसर

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बिहार ने जैव विविधता और आर्द्रभूमि संरक्षण के क्षेत्र में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की सिफारिश के बाद बक्सर जिले में स्थित गोकुल जलाशय और पश्चिम चंपारण जिले की उदयपुर झील को अंतरराष्ट्रीय महत्व की रामसर साइट का दर्जा मिल गया है। इस उपलब्धि के साथ ही राज्य में ऐसे स्थलों की संख्या बढ़कर पांच हो गई है।

रामसर साइट के रूप में मान्यता प्राप्त होने का अर्थ यह है कि ये स्थल वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण आर्द्रभूमि माने जाएंगे और इनके संरक्षण के लिए विशेष कदम उठाए जाएंगे। गोकुल जलाशय और उदयपुर झील न केवल स्थानीय जलजीवों और वनस्पतियों के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि ये प्रवासी पक्षियों का भी प्रमुख ठिकाना हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, उदयपुर झील सर्दियों के मौसम में बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षियों को आकर्षित करती है, जिनमें विभिन्न तरह की बत्तखें, हंस और अन्य जल पक्षी शामिल हैं।

बिहार के पर्यावरण विशेषज्ञों ने बताया कि राज्य में आर्द्रभूमियों का महत्व केवल पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित रखने तक सीमित नहीं है, बल्कि ये स्थलीय और जलजीव विविधता को सुरक्षित रखने में भी अहम भूमिका निभाती हैं। गोकुल जलाशय और उदयपुर झील का रामसर साइट बनना इस दिशा में राज्य की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

प्रदेश के वन विभाग के अधिकारी ने कहा, “रामसर साइट का दर्जा मिलना एक बड़ी उपलब्धि है। इसका मतलब है कि इन जलाशयों की जैविक संपदा और पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली है। इससे स्थानीय समुदायों के लिए भी पर्यटन और पर्यावरण शिक्षा के अवसर बढ़ेंगे।”

बिहार पहले ही अपने विभिन्न प्राकृतिक संसाधनों और जैव विविधता संरक्षण के प्रयासों के लिए जाना जाता रहा है। राज्य में पहले से ही पालसौद, कनौज और बरौनी जैसी महत्वपूर्ण आर्द्रभूमियां रामसर साइट के रूप में सूचीबद्ध हैं। गोकुल जलाशय और उदयपुर झील का इसमें शामिल होना बिहार को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरण संरक्षण के मानचित्र पर और अधिक महत्वपूर्ण बनाता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि राज्य सरकार को इन स्थलों के संरक्षण के लिए विशेष योजनाएं बनानी चाहिए। इनमें जैव विविधता अध्ययन केंद्र स्थापित करना, स्थानीय किसानों और मछुआरों के साथ संरक्षण संबंधी प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाना, और पर्यटन के लिए सुविधाएं विकसित करना शामिल है। साथ ही, प्रवासी पक्षियों के लिए उपयुक्त आवास और भोजन उपलब्ध कराने पर भी ध्यान दिया जाएगा।

इस उपलब्धि के साथ ही बिहार जैव विविधता और पारिस्थितिकी संरक्षण में अपने प्रयासों को और मजबूत करेगा। गोकुल जलाशय और उदयपुर झील के रामसर साइट बनने से न केवल स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं को अध्ययन के अवसर मिलेंगे, बल्कि स्थानीय लोगों में भी संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ेगी। यह कदम राज्य में प्राकृतिक संसाधनों के सतत उपयोग और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।

बिहार की यह उपलब्धि यह दर्शाती है कि राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन जैव विविधता, प्रवासी पक्षियों और जलाशयों के संरक्षण के प्रति गंभीर हैं। आने वाले समय में यह कदम राज्य के पर्यावरणीय और आर्थिक विकास के लिए नई संभावनाओं के द्वार खोल सकता है।

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