प्रयागराज में एक बार फिर से ‘दूसरी राधा’ के नाम से चर्चित यूपी के पूर्व आईपीएस अधिकारी डीके पांडा के साथ साइबर फ्रॉड का मामला सामने आया है। इस बार साइबर ठगों ने व्हाट्सएप पर एक फर्जी लिंक भेजकर उनके बैंक खाते से ₹4.32 लाख रुपये उड़ा लिए। यह ठगी उस समय हुई जब डीके पांडा अपने बैंक की मुंडेरा शाखा का टोल-फ्री नंबर इंटरनेट पर खोज रहे थे। इस घटना की शिकायत पर प्रयागराज के धूमनगंज थाने में एफआईआर दर्ज कर पुलिस ने जांच शुरू कर दी है।
डीके पांडा मूल रूप से ओडिशा के निवासी हैं और 1971 बैच के आईपीएस अधिकारी रहे हैं। वर्ष 2005 में उन्होंने स्वेच्छा से सेवा से त्यागपत्र दे दिया था। त्यागपत्र के बाद उन्होंने 'दूसरी राधा' का रूप धारण कर लिया और सोलह श्रृंगार कर महिलाओं के वस्त्र पहनकर सार्वजनिक जीवन में आने लगे। उस समय यह मामला काफी सुर्खियों में रहा था। उन्होंने खुद को भगवान कृष्ण की 'दूसरी राधा' घोषित कर दिया था। वर्तमान में वह प्रयागराज के प्रीतम नगर इलाके में रहते हैं।
घटना 9 सितंबर की है, जब डीके पांडा अपने बैंक की शाखा का टोल-फ्री नंबर इंटरनेट पर सर्च कर रहे थे। उसी दौरान उन्हें एक कॉल आया, जिसमें कॉल करने वाले ने खुद को ‘राहुल कुमार’ बताते हुए बैंक से जुड़ी मदद का प्रस्ताव दिया। इसके बाद उसने डीके पांडा को व्हाट्सएप पर एक लिंक भेजा और उसे क्लिक करने के लिए कहा। जैसे ही उन्होंने लिंक पर क्लिक किया, ठग ने उनसे लगातार बातचीत कर बैंकिंग जानकारी हासिल कर ली और फिर उनके खाते से ₹4,32,043 की रकम चार बार में ट्रांसफर कर ली।
डीके पांडा ने बताया कि ठग ने उनके खाते से चार बार में पैसे निकाले — पहली बार ₹1,95,023, दूसरी बार ₹95,008, तीसरी बार ₹98,000 और चौथी बार ₹44,012 की रकम निकाली गई। घटना के अगले ही दिन उन्होंने साइबर क्राइम सेल में लिखित शिकायत दी, लेकिन एफआईआर धूमनगंज थाने में दर्ज की गई। पुलिस को उन्होंने उस कॉलर का मोबाइल नंबर भी उपलब्ध कराया है, जिसके आधार पर जांच की जा रही है।
गौर करने वाली बात यह है कि यह पहला मौका नहीं है जब डीके पांडा साइबर फ्रॉड के शिकार हुए हों। अक्टूबर 2024 में भी उन्होंने दावा किया था कि उन्होंने ऑनलाइन ट्रेडिंग से ₹381 करोड़ रुपये कमाए थे, जिसे साइबर ठगों ने ठग लिया। इस मामले में भी उन्होंने धूमनगंज थाने में मुकदमा दर्ज कराया था।
धूमनगंज थाने के प्रभारी अमर नाथ राय ने बताया कि यह मामला गंभीर साइबर फ्रॉड का है और पुलिस तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर जांच में जुटी हुई है। यह घटना एक बार फिर से दिखाती है कि साइबर ठग कैसे अनुभवी और पढ़े-लिखे लोगों को भी निशाना बना रहे हैं। आम जनता को इस घटना से सीख लेनी चाहिए और किसी भी अनजान लिंक या कॉल पर व्यक्तिगत जानकारी साझा करने से बचना चाहिए।
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