कर्नाटक के धर्मस्थल में दफनाए गए शवों का रहस्य सुलझाने के लिए साइट नंबर 13 पर बुधवार को भी खुदाई जारी रही। यह वही जगह है जिसके बारे में शिकायतकर्ता सफाईकर्मी ने दावा किया था कि यहाँ सबसे ज़्यादा शव दफनाए गए हैं। हालाँकि, अभी तक इस जगह से किसी कंकाल या हड्डी मिलने की पुष्टि नहीं हुई है। इस मामले की जाँच कर्नाटक पुलिस की एसआईटी कर रही है।
एसआईटी ने पहले चरण में अब तक कुल 17 जगहों पर खुदाई की है। इस दौरान केवल साइट नंबर 6 और साइट नंबर 11ए से ही मानव हड्डियाँ बरामद हुईं। इसके बाद, एसआईटी ने गवाह सफाईकर्मी का नार्को टेस्ट कराने का फैसला किया है। गवाह ने खुद शुरुआत में कहा था कि अगर उसके बयानों पर संदेह है, तो वह नार्को टेस्ट के लिए तैयार है। अब जाँच दल उसके दावों की सच्चाई परखना चाहता है।
साइट नंबर 13 नेत्रावती नदी के किनारे जंगल में है। यहाँ खुदाई की कठिनाई को देखते हुए, पहले ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) तकनीक से भूमिगत स्कैनिंग की गई। यह तकनीक बिना गड्ढा खोदे ज़मीन के अंदर मौजूद वस्तुओं का आकार, स्थिति और तस्वीर दिखाती है। सेना, पुरातत्व सर्वेक्षण और आपदा राहत दल भी इसका इस्तेमाल करते हैं। धराली आपदा में भी इसका इस्तेमाल किया गया था।
आवारा कुत्तों को लाठियों से पीटने का वीडियो वायरल
इस तकनीक का पूर्वाभ्यास सोमवार को किया गया और मंगलवार सुबह 11:15 बजे 100 मीटर के दायरे में तीन घंटे तक स्कैनिंग की गई। स्कैनिंग पूरी होने के बाद, टीम ने हाथ से खुदाई करने का फैसला किया और मौके पर मशीनें बुलाईं। इस पूरे अभियान के दौरान मीडिया को घटनास्थल से दूर रखा गया। साइट नंबर 13 पर गवाहों द्वारा चिह्नित जगह पर एक बांध और पास में ही एक बिजली का ट्रांसफार्मर है।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की नज़र
सुरक्षा और तकनीकी कारणों से यहाँ खुदाई में कई बार देरी हुई। इसीलिए पहले जीपीआर से भूमिगत जाँच की गई। इस बीच, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी धर्मस्थल मामले में रुचि दिखाई है और जाँच की निगरानी शुरू कर दी है। कई लापता लोगों के परिवारों ने आयोग से अपील की थी। राज्य सरकार ने भी एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए एसआईटी कार्यालय को पुलिस थाने का दर्जा दिया है।
6 नए गवाह और 50 संभावित स्थान
शिकायतकर्ता के अलावा, छह और गवाह सामने आए हैं, जिन्होंने दावा किया है कि उन्होंने भी धर्मस्थल में गुप्त रूप से शवों को दफ़नाते देखा है। शिकायतकर्ता ने कुल 50 ऐसे स्थानों की पहचान की है, जहाँ 1998 से 2014 के बीच सैकड़ों शवों को दफ़नाए जाने का दावा किया गया है। उनका कहना है कि इनमें से ज़्यादातर महिलाएँ और लड़कियाँ थीं, जिनका बलात्कार किया गया और उनकी हत्या कर दी गई। उनके शवों को दफ़ना दिया गया।
छात्रों पर विरोध प्रदर्शन का दबाव
इस दौरान, सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हुई, जिसमें दावा किया गया कि धर्मस्थल ट्रस्ट से जुड़े एसडीएम कॉलेज ऑफ़ आयुर्वेद एंड हॉस्पिटल, हासन के छात्रों पर आम आदमी बनकर एसआईटी की जाँच और खुदाई का विरोध करने का दबाव डाला जा रहा है। पोस्ट में आरोप लगाया गया है कि छात्रों से वर्दी और पहचान पत्र न पहनने, बल्कि सामान्य कपड़े पहनकर मार्च में शामिल होने के लिए कहा गया है।
पहला चरण पूरा, रिपोर्ट का इंतज़ार
29 जुलाई से शुरू हुआ उत्खनन का पहला चरण दो हफ़्तों में पूरा हो गया। अब तक 17 स्थलों की खुदाई में सिर्फ़ दो जगहों से हड्डियाँ मिली हैं। एसआईटी फ़ोरेंसिक टीम से बातचीत के बाद तय करेगी कि आगे कब और कहाँ उत्खनन होगा। फ़िलहाल, पहले चरण की रिपोर्ट का इंतज़ार है। इसके साथ ही, अब सबकी नज़र गवाहों और शिकायतकर्ताओं के नार्को टेस्ट और उसके नतीजों पर टिकी है।
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