नई दिल्ली। भारतीय थल सेना, वायु सेना और नौसेना की महिला अधिकारियों का 10 सदस्यीय दल IASV त्रिवेणी पर सवार होकर समुद्र के रास्ते पृथ्वी का चक्कर लगाने के लिए निकला। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से IASV त्रिवेणी को हरी झंडी दिखाकर महिला सैन्य अधिकारियों को रवाना किया। भारत में निर्मित पोत आईएएसवी त्रिवेणी पर सवार होकर यह दल लगभग 26000 समुद्री मील (45000 किलोमीटर) की दूरी तय करेगा। फ्लैग ऑफ सेरेमनी को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह बोले, मुझे विश्वास है कि हमारी बेटियां इस साधना को पूरा करेंगी और दुनिया को यह दिखाएंगी कि भारतीय नारी का पराक्रम किसी भी सीमा से परे है।
IASV त्रिवेणी में जाने वाली महिला सैन्य अधिकारियों का दलरक्षा मंत्री ने कहा, इतिहास में पहली बार तीनों सेनाओं थल, जल और वायु सेना की महिला अधिकारी एक साथ, एक ही ध्वज के नीचे पूरी पृथ्वी की परिक्रमा के अभियान पर निकल रही हैं। इसे केवल एक अभियान के रूप में नहीं, बल्कि हमारे सशस्त्र बलों की सामूहिक शक्ति के प्रतीक के रूप में देखा जाना चाहिए। इस यात्रा के दौरान, उन्हें दुनिया के सबसे कठिन समुद्री मार्गों का सामना करना पड़ेगा। यह सिर्फ एक शिप की यात्रा नहीं है। यह एक आत्मिक साधना भी है। यह अनुशासन और इच्छाशक्ति की यात्रा भी है। मुझे पता है, इस यात्रा में आपको भीषण तूफानों, अकेलेपन, थकान और कभी-कभी निराशा से भी जूझना पड़ेगा। लेकिन मैं यह भी जानता हूं कि आपके दिलों में जो संकल्प की ज्योति जल रही है, वह इन सभी अंधेरों को चीर देगी। जब आप लौटेंगी, तब आप सिर्फ समुद्र का चक्कर लगाकर नहीं लौटेंगी, आप भारत के नाम एक नया कीर्तिमान दर्ज करके लौटेंगी।
VIDEO | Delhi: Defence Minister Rajnath Singh (@rajnathsingh) virtually flags off the first-ever tri-service all-women circumnavigation sailing expedition. He says: “For the first time in history, women officers from all three services, Army, Navy, and Air Force, are embarking… pic.twitter.com/krI3TBvdT1
— Press Trust of India (@PTI_News) September 11, 2025
राजनाथ सिंह ने कहा कि इस यात्रा की एक और बड़ी विशेषता है, कि यह महासागर से भारत की ओर से कूटनीतिक संदे भी देगी। यह यात्रा केवल एडवेंचर और करेज तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत की सैन्य कूटनीति का भी एक अद्भुत उदाहरण है। IASV त्रिवेणी स्वयं में आत्मनिर्भर भारत की भी एक पहचान और उपलब्धि है। देश में ही डिजाइन और निर्मित यह पोत, रक्षा नवाचार और प्रौद्योगिकी में भारत के आत्मविश्वास को दर्शाता है। त्रिवेणी द्वारा तय की गई हर नॉटिकल मील यात्रा, भारत की रणनीतिक स्वायत्तता और आत्मनिर्भरता की ओर एक यात्रा है।
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