AIMIM प्रमुख और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने पाकिस्तान को आतंकवाद का “पीड़ित” नहीं बल्कि “आक्रामक” देश करार दिया है। उन्होंने उस सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के बहरीन दौरे को याद किया, जहां भारत ने एकजुट होकर पाकिस्तान के दुष्प्रचार का जोरदार खंडन किया था।
ओवैसी ने बताया कि कुछ साल पहले जब उरी में आतंकी हमला हुआ था, तब एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल बहरीन गया था। इस प्रतिनिधिमंडल का उद्देश्य विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कश्मीर और आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान द्वारा फैलाए जा रहे झूठ का पर्दाफाश करना था।
ओवैसी के अनुसार, बहरीन में प्रतिनिधिमंडल ने स्पष्ट रूप से कहा था कि पाकिस्तान आतंकवाद का शिकार नहीं है, बल्कि वह खुद भारत और अफगानिस्तान जैसे पड़ोसी देशों में आतंकवाद को बढ़ावा देता है और निर्यात करता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पाकिस्तान जानबूझकर “गैर-सरकारी तत्वों” (non-state actors) का इस्तेमाल कर आतंकी गतिविधियों को अंजाम देता है।
उन्होंने आगे कहा कि भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने बहरीन में यह भी उजागर किया था कि पाकिस्तान कैसे अपने ही लोगों, जैसे बलूचिस्तान में, पर अत्याचार करता है और फिर दुनिया के सामने खुद को पीड़ित के रूप में पेश करने की कोशिश करता है।
ओवैसी ने इस बात पर गर्व जताया कि कांग्रेस, एनसीपी और भाजपा समेत सभी दलों के सदस्यों ने एकजुट होकर भारत का पक्ष मजबूती से रखा था। उन्होंने बताया कि किस तरह भारतीय मुसलमानों की स्थिति और उनके अधिकारों के बारे में भी प्रतिनिधिमंडल ने बहरीन को अवगत कराया था, ताकि पाकिस्तान के भ्रामक प्रचार को काटा जा सके। ओवैसी ने कहा कि उन्होंने खुद बहरीन में यह मुद्दा उठाया था कि भारत में मुसलमानों की स्थिति पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों की तुलना में कहीं बेहतर है।
इस बयान के जरिए ओवैसी ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि जब देश की बात आती है तो सभी राजनीतिक दल एकजुट होते हैं और पाकिस्तान जैसे देशों के भारत विरोधी एजेंडे का मिलकर मुकाबला करते हैं।
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