देश के सभी सरकारी बैंकों (Public Sector Banks - PSBs) के प्रमुखों के लिए आज का दिन 'अग्निपरीक्षा' जैसा होने वाला है। वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) आज, 20 अगस्त, 2025 को सभी 12 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रदर्शन की समीक्षा के लिए एक उच्च-स्तरीय बैठक करने जा रहा है। इस बैठक की अध्यक्षता वित्तीय सेवा सचिव (Financial Services Secretary) करेंगे और इसमें चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (Q1 Performance), यानी अप्रैल से जून 2025 तक, के कामकाज की गहन समीक्षा की जाएगी।यह सिर्फ एक रूटीन बैठक नहीं है। सूत्रों के मुताबिक, इस बार वित्त मंत्रालय लोन ग्रोथ की धीमी रफ्तार, सरकारी योजनाओं के धीमे क्रियान्वयन, और डिजिटल बैंकिंग में पिछड़ने जैसे कई कड़े मुद्दों पर बैंक प्रमुखों से सीधी और तीखी पूछताछ करने के मूड में है। यह बैठक देश की आर्थिक वृद्धि की दिशा और आम आदमी तक सरकारी लाभ पहुंचाने की गति को तेज करने के लिए बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है।क्यों है यह बैठक इतनी अहम?पिछले कुछ सालों में, सरकार ਨੇ कमजोर बैंकों का विलय करके और उनमें हजारों करोड़ की पूंजी डालकर उन्हें मजबूत बनाया है। अब जब सरकारी बैंक मुनाफे में लौट आए हैं, तो सरकार चाहती है कि वे देश की अर्थव्यवस्था के विकास में और सक्रिय भूमिका निभाएं। लेकिन हाल के कुछ आंकड़े सरकार की उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे है, जिसने इस बैठक की गंभीरता को और बढ़ा दिया है।बैठक के एजेंडे में क्या हैं 4 सबसे बड़े और कड़े मुद्दे?इस समीक्षा बैठक में, वित्त मंत्रालय का फोकस मुख्य रूप से इन चार प्रमुख क्षेत्रों पर रहेगा:1. लोन ग्रोथ की धीमी रफ्तार (Credit Growth):2. सरकारी योजनाओं की प्रगति (Progress of Government Schemes):3. किसान क्रेडिट कार्ड (Kisan Credit Card - KCC) की स्थिति:4. डिजिटल बैंकिंग और साइबर सुरक्षा:आम आदमी पर क्या होगा इस बैठक का असर?यह बैठक सीधे तौर पर आम जनता के जीवन को प्रभावित करती है।कुल मिलाकर, यह बैठक सरकारी बैंकों की जवाबदेही तय करने और उन्हें देश की आर्थिक प्रगति में एक सक्रिय भागीदार बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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