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मैदान पर 'महाभारत': पाकिस्तान को रौंदा, पर हाथ मिलाने से किया इनकार! आखिर टीम इंडिया ने ऐसा क्यों किया?

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नई दिल्ली:भारत बनाम पाकिस्तान (India vs Pakistan)...यह सिर्फ एक क्रिकेट मैच नहीं,बल्कि भावनाओं,उम्मीदों और करोड़ों लोगों की धड़कनों का खेल होता है. एशिया कप2025के इस'महामुकाबले'में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला. टीम इंडिया ने अपने शानदार प्रदर्शन से पाकिस्तान को7विकेट से एकतरफा मुकाबले में रौंद दिया और देश को जश्न मनाने का एक और मौका दे दिया.लेकिन इस शानदार जीत के बाद कुछ ऐसा हुआ, जिसने क्रिकेट जगत में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में एक नई बहस छेड़ दी है। जीत के बाद भारतीय खिलाड़ियों ने खेल भावना दिखाते हुए पाकिस्तानी खिलाड़ियों से हाथ मिलाने से साफ़ इनकार कर दिया। यह एक ऐसा पल था जिसने सभी को हैरान कर दिया।जीत शानदार थी, लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं हुई।मैच में भारतीय गेंदबाज़ों ने पहले ही पाकिस्तानी बल्लेबाज़ों की कमर तोड़ दी थी। उन्होंने पाकिस्तान को मामूली स्कोर पर रोक दिया था। इसके बाद बल्लेबाज़ों ने बिना किसी परेशानी के इस लक्ष्य को आसानी से हासिल कर लिया और शानदार जीत दर्ज की। मैदान पर भारत का दबदबा साफ़ दिखाई दे रहा था।लेकिन जैसे ही मैच की आखिरी गेंद फेंकी गई और भारत ने जीत हासिल की, कुछ ऐसा हुआ जिसकी किसी ने उम्मीद नहीं की थी।तो फिर उन्होंने हाथ क्यों नहीं मिलाया?आमतौर पर मैच खत्म होने के बाद दोनों टीमों के खिलाड़ी हाथ मिलाकर खेल भावना दिखाते हैं। लेकिन इस बार, भारतीय खिलाड़ी जीत का जश्न मनाने के बाद सीधे पवेलियन लौट गए। उन्होंने पाकिस्तानी खिलाड़ियों की तरफ देखा तक नहीं।सूत्रों के अनुसार, यह कोई अचानक लिया गया फैसला नहीं था, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ एक 'मौन लेकिन कड़ा संदेश' देने का एक तरीका था। यह फैसला टीम प्रबंधन और खिलाड़ियों ने मिलकर लिया। उनका मानना था कि जब सीमा पार से आतंकवाद को लगातार बढ़ावा दिया जा रहा हो, तो मैदान पर सिर्फ़ खेल भावना दिखाना ही काफ़ी नहीं है। यह सिर्फ़ एक क्रिकेट मैच नहीं था, बल्कि उन बेगुनाह लोगों के लिए भी एक इशारा था जो आतंकवाद का शिकार हुए हैं।दुनिया भर में एक नई बहस छिड़ गईभारतीय टीम के इस कदम ने दुनिया भर में एक नई बहस छेड़ दी है।कुछ लोग इसे 'साहसिक और सही कदम' बता रहे हैं। उनका कहना है कि खेल और राजनीति को अलग नहीं किया जा सकता और देश का सम्मान सर्वोपरि है।जबकि कुछ इसे 'खेल विरोधी' कह रहे हैं। उनका मानना है कि मैदान पर प्रतिद्वंद्विता सिर्फ़ गेंद और बल्ले तक ही सीमित रहनी चाहिए।कारण जो भी हो, एक बात तो साफ़ है कि इस एक घुटने की टक्कर ने भारत-पाकिस्तान क्रिकेट संबंधों में एक नया और तनावपूर्ण अध्याय जोड़ दिया है। यह जीत जितनी अपने शानदार प्रदर्शन के लिए याद की जाएगी, उतनी ही मैदान के बाहर लिए गए 'ऐतिहासिक फ़ैसले' के लिए भी।
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