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चेक बाउंस के मामलों पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, अब मिलेगी राहत, कोर्ट के चक्कर होंगे कम!

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चेक बाउंस के मामलों पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, अब मिलेगी राहत, कोर्ट के चक्कर होंगे कम!

News India Live,Digital Desk:जो लोग चेक से लेनदेन करते हैं, उनके लिए एक राहत भरी खबर है। कभी-कभी चेक बाउंस हो जाता है और फिर शुरू होती है असली परेशानी – पैसों का नुकसान तो होता ही है, साथ में कोर्ट-कचहरी के चक्कर भी काटने पड़ जाते हैं। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने चेक बाउंस के मामलों को लेकर एक ऐसी बात कही है जिससे इस भागदौड़ में कमी आ सकती है।

सुप्रीम कोर्ट ने क्यों जताई चिंता?

दरअसल, देश भर की अदालतों में चेक बाउंस के लाखों मामले अटके पड़े हैं। ये मामले न सिर्फ अदालतों का कीमती समय लेते हैं बल्कि दूसरे ज़रूरी केसों की सुनवाई में भी देरी का कारण बनते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इसी बात पर चिंता जताते हुए कहा है कि इन मामलों को जल्द से जल्द निपटाने की कोशिश करनी चाहिए, खासकर तब जब दोनों पक्ष आपस में समझौता करने को तैयार हों।

समझौते को दें प्राथमिकता – कोर्ट की सलाह

हाल ही में चेक बाउंस के एक मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की बेंच ने यही सलाह दी। हुआ ये कि दो पार्टियों के बीच चेक बाउंस का मामला था, लेकिन बाद में उन्होंने आपस में समझौता कर लिया। जिस पार्टी ने चेक दिया था, उसने दूसरे पक्ष को ₹5 लाख से ज़्यादा की रकम चुका भी दी थी।

जब यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, तो कोर्ट ने देखा कि जब दोनों पक्षों में समझौता हो ही गया है और पैसों का भुगतान भी हो गया है, तो मामले को लंबा खींचने का कोई मतलब नहीं है। कोर्ट ने तुरंत उस व्यक्ति की सज़ा रद्द कर दी। कानून में भी यह प्रावधान है कि चेक बाउंस के मामलों में आपसी सहमति से समझौता किया जा सकता है।

बाकी अदालतों के लिए क्या हैं निर्देश?

इस केस का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने देश की बाकी सभी निचली अदालतों को भी यही सलाह दी है। कोर्ट ने कहा है कि अगर चेक बाउंस के मामले में शिकायतकर्ता और आरोपी (चेक देने वाला) आपस में समझौता कर लेते हैं, तो अदालतों को उस समझौते को स्वीकार करके मामले को तुरंत खत्म कर देना चाहिए। इसे बेवजह लंबा नहीं खींचना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि अदालतों को ऐसे मामलों में सज़ा देने पर ज़्यादा ज़ोर देने के बजाय, समझौते के ज़रिए मामले को निपटाने पर फोकस करना चाहिए। इससे न सिर्फ अदालतों का समय बचेगा और वे दूसरे मामलों पर ध्यान दे पाएंगी, बल्कि चेक बाउंस के मामलों से जुड़े लोगों को भी कोर्ट के चक्करों से जल्दी छुटकारा मिलेगा।

यह फैसला उन लाखों लोगों के लिए अच्छी खबर है जो चेक बाउंस के मामलों में उलझे हुए हैं और आपसी सहमति से मामला सुलझाना चाहते हैं।

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