नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक अहम फैसला सुनाते हुए सरकार और प्रशासन को निर्देश दिया है कि वे एक कश्मीरी परिवार के 6 सदस्यों के खिलाफ कोई भी सख्त कार्रवाई, खासकर उन्हें पाकिस्तान भेजने जैसी कार्रवाई, फिलहाल न करें। अदालत ने साफ कहा है कि जब तक परिवार के पहचान से जुड़े दस्तावेज़ों की पूरी तरह से जांच नहीं हो जाती, तब तक उन्हें पाकिस्तान न भेजा जाए और न ही उनके खिलाफ कोई और कठोर कदम उठाया जाए।
क्या है पूरा मामला?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह परिवार मूल रूप से कश्मीर का रहने वाला है और उनका बेटा बेंगलुरु में काम करता है। बताया जा रहा है कि पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद इस परिवार को पाकिस्तान भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी। (गौरतलब है कि पहलगाम हमले, जिसमें कई जानें गई थीं, के बाद से सरकार ने कथित तौर पर पाकिस्तानी नागरिकों को वापस भेजने की प्रक्रिया तेज कर दी है)।
‘मानवीय पहलू’ का दिया हवाला
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि इसमें “मानवीय पहलू” भी जुड़ा हुआ है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने परिवार को यह छूट भी दी है कि अगर वे दस्तावेज़ों की जांच के नतीजों से संतुष्ट नहीं होते हैं, तो वे जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट का दरवाज़ा खटखटा सकते हैं।
याचिका में क्या थी गुहार?
यह पूरा मामला अहमद तारिक बट और उनके 5 अन्य परिजनों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के बाद सामने आया। याचिका में परिवार ने दावा किया था कि उनके पास वैध भारतीय दस्तावेज़ हैं, इसके बावजूद उन्हें हिरासत में लेकर वाघा बॉर्डर ले जाया गया, ताकि उन्हें पाकिस्तान डिपोर्ट किया जा सके।
सरकारी अधिसूचना का जिक्र
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान यह भी नोट किया कि पहलगाम हमले के बाद केंद्र सरकार ने 25 अप्रैल को एक अधिसूचना जारी की थी। इस अधिसूचना के तहत (कुछ अपवादों को छोड़कर) पाकिस्तानी नागरिकों के वीज़ा रद्द कर दिए गए थे और उन्हें एक तय समयसीमा के अंदर भारत छोड़ने का निर्देश दिया गया था। लगता है इसी अधिसूचना के आधार पर इस परिवार के खिलाफ कार्रवाई शुरू हुई थी, जिसे अब सुप्रीम कोर्ट ने रोक दिया है।
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