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Amitabh Kant : सिर्फ डिग्री नहीं, रिसर्च और इनोवेशन बनाएगा भारत को महाशक्ति

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News India Live, Digital Desk: हाल ही में, नीति आयोग के पूर्व सीईओ और जी20 शेरपा अमिताभ कांत ने भारत के शिक्षा क्षेत्र और उसके भविष्य को लेकर कुछ बहुत ही महत्वपूर्ण बातें कही हैं. News18 के साथ एक विशेष बातचीत में उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि देश के शैक्षणिक भविष्य के लिए रिसर्च (अनुसंधान), इनोवेशन (नवाचार) और पेटेंट (पेटेंट कराना) की बहुत ज्यादा जरूरत है. उनका मानना है कि अगर हमें सही मायनों में आगे बढ़ना है तो इन क्षेत्रों पर खास ध्यान देना होगा.अमिताभ कांत ने साफ शब्दों में कहा कि अनुसंधान और नवाचार किसी भी प्रगतिशील अर्थव्यवस्था की रीढ़ होते हैं. उनका कहना है कि हमें सिर्फ किताबी ज्ञान पर निर्भर नहीं रहना चाहिए, बल्कि ऐसा माहौल बनाना चाहिए जहां छात्र और शिक्षक नई खोजें करें और समस्याओं का समाधान ढूंढें. इसके बिना, भारत विश्व स्तर पर एक मजबूत प्रतिस्पर्धी नहीं बन पाएगा.उन्होंने पेटेंट के महत्व पर भी काफी जोर दिया. पेटेंट का मतलब है अपने किसी आविष्कार को कानूनी रूप से संरक्षित करना, ताकि कोई और उसे कॉपी न कर सके. कांत ने कहा कि अगर हमारे यहां इनोवेशन हो रहा है, तो हमें उसे तुरंत पेटेंट कराना चाहिए, ताकि भारत की बौद्धिक संपदा (Intellectual Property) सुरक्षित रहे. यह न केवल हमारे देश के वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को प्रोत्साहन देगा, बल्कि भारत को 'इनोवेशन हब' के रूप में स्थापित करने में भी मदद करेगा.उनका इशारा था कि चीन जैसे देशों ने किस तरह रिसर्च और पेटेंट पर काम करके अपनी आर्थिक और तकनीकी ताकत बढ़ाई है. अगर भारत को भी ऐसा करना है, तो शिक्षा संस्थानों को अपनी रिसर्च और डेवलपमेंट गतिविधियों को तेज करना होगा और पेटेंट दाखिल करने की प्रक्रिया को आसान बनाना होगा. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि अकादमिक जगत (universities) और उद्योग (industry) के बीच बेहतर तालमेल बिठाने की जरूरत है, ताकि रिसर्च सीधे तौर पर जमीनी समस्याओं को हल करने और बाजार की जरूरतों को पूरा करने में मदद कर सके.अमिताभ कांत के इन विचारों से साफ है कि भारत के भविष्य के लिए शिक्षा क्षेत्र में सिर्फ डिग्री बांटना काफी नहीं होगा. हमें अपने छात्रों को नए विचारों को पैदा करने और उन्हें सुरक्षित रखने के लिए प्रेरित करना होगा, ताकि हमारा देश ज्ञान-आधारित अर्थव्यवस्था बनकर उभरे और विश्व पटल पर अपनी छाप छोड़ सके.
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