वॉशिंगटन: पिछले एक महीने के अंदर भारत से तीन ऐसी तस्वीरें निकली हैं, जो अमेरिका की टेंशन बढ़ाने के लिए काफी हैं। इसमें पहली तस्वीर- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी विदेश मंत्री वांग यी, दूसरी तस्वीर- विदेश मंत्री एस जयशंकर और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और तीसरी तस्वीर- राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की है। ये तीनों तस्वीरें अमेरिका की उस रणनीति के खिलाफ हैं, जिसके लिए वह बरसों से भारत को साधने की कोशिश कर रहा है। अब ऐसा लगने लगा है कि अमेरिका की एशिया को लेकर रणनीति, खासकर चीन के खिलाफ फेल हो चुकी है।
भारत ने चीन-रूस को क्यों साधा
दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के खिलाफ टैरिफ का ऐलान किया है। ट्रंप ने रूस से तेल खरीदने के कारण भारत के खिलाफ 25 प्रतिशत का सेकेंडरी टैरिफ लगाया है, जो 27 अगस्त से प्रभावित होगा। वहीं, उन्होंने भारत-अमेरिका व्यापार में असंतुलन का हवाला देते हुए पहले ही 25 प्रतिशत का टैरिफ लागू कर दिया है। ऐसे में भारत ने भी ट्रंप की टैरिफ के खिलाफ कूटनीति को तेज कर दिया है। भारत ने रूस और चीन जैसी महाशक्तियों से संबंधों को मजबूत किया है, जिससे अमेरिका के साथ व्यापार में नुकसान होने पर दूसरे बाजारों से इसकी भरपाई की जा सके।
ट्रंप ने खुद के पैरों पर मारी कुल्हाड़ी
डोनाल्ड ट्रंप अपने दूसरे कार्यकाल में दुश्मनों से ज्यादा दोस्तों पर हमलावर हैं। उन्होंने अमेरिका के एक भी ऐसे सहयोगी को नहीं छोड़ा है, जो उसके हर सुख-दुख का साथी है। ट्रंप ने जनवरी में राष्ट्रपति पद की शपथ लेते ही अमेरिका के दो सबसे बड़े पड़ोसियों कनाडा और मेक्सिको के खिलाफ टैरिफ का ऐलान किया था। जब इन दोनों देशों ने घुटने टेक दिए तो ट्रंप को यह लगा कि इसे पूरी दुनिया में आजमाया जा सकता है। ऐसे में उन्होंने अमेरिका के दोस्तों से लेकर दुश्मनों तक टैरिफ का ऐलान करना शुरू कर दिया, जिसमें भारत भी शामिल है। हालांकि, अब भारत पर टैरिफ लगाकर अमेरिका खुद पछता रहा है।
भारत पर टैरिफ से अमेरिका को कैसा नुकसान
अमेरिका पूरी दुनिया में खुदगर्ज होने के लिए बदनाम है। वह बिना लाभ के कुछ भी नहीं करता है। भारत के साथ अमेरिका ने दोस्ती इसलिए ही बढ़ाई, ताकि वह इंडो-पैसिफिक में चीन को काबू में कर सके। अमेरिका जानता है कि एशिया में दूसरा कोई ऐसा देश नहीं है, जो चीन के खिलाफ उसकी रणनीति में काम आ सकता है। हालांकि, अब ट्रंप के टैरिफ से भारत समझ गया है कि उसे अमेरिका के कितना करीब और कितना दूर रहना चाहिए। इससे अमेरिका की चीन के खिलाफ रणनीति को बड़ा नुकसान होना तय माना जा रहा है। वहीं, चीन इससे काफी खुश है और भारत के साथ काम करने के लिए खुशी-खुशी तैयार भी है।
भारत-अमेरिका व्यापार को नुकसान
भारत पूरी दुनिया में सबसे तेज बढ़ती अर्थव्यस्थाओं में से एक है। भारत एक बड़ा बाजार भी है, जिसमें हर देश घुसने की कोशिश कर रहा है। इतना ही नहीं, भारत कई ऐसी चीजें बनाता है, जिसकी अमेरिका को काफी जरूरत है। ऐसा नहीं है कि अमेरिका को भारत के उत्पादों का विकल्प नहीं मिलेगा, लेकिन सप्लाई को उस स्तर में लाने पर काफी वक्त लगेगा, जिससे अमेरिकी लोगों की परेशानियां बढ़ेंगी।
भारत ने चीन-रूस को क्यों साधा
दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के खिलाफ टैरिफ का ऐलान किया है। ट्रंप ने रूस से तेल खरीदने के कारण भारत के खिलाफ 25 प्रतिशत का सेकेंडरी टैरिफ लगाया है, जो 27 अगस्त से प्रभावित होगा। वहीं, उन्होंने भारत-अमेरिका व्यापार में असंतुलन का हवाला देते हुए पहले ही 25 प्रतिशत का टैरिफ लागू कर दिया है। ऐसे में भारत ने भी ट्रंप की टैरिफ के खिलाफ कूटनीति को तेज कर दिया है। भारत ने रूस और चीन जैसी महाशक्तियों से संबंधों को मजबूत किया है, जिससे अमेरिका के साथ व्यापार में नुकसान होने पर दूसरे बाजारों से इसकी भरपाई की जा सके।
ट्रंप ने खुद के पैरों पर मारी कुल्हाड़ी
डोनाल्ड ट्रंप अपने दूसरे कार्यकाल में दुश्मनों से ज्यादा दोस्तों पर हमलावर हैं। उन्होंने अमेरिका के एक भी ऐसे सहयोगी को नहीं छोड़ा है, जो उसके हर सुख-दुख का साथी है। ट्रंप ने जनवरी में राष्ट्रपति पद की शपथ लेते ही अमेरिका के दो सबसे बड़े पड़ोसियों कनाडा और मेक्सिको के खिलाफ टैरिफ का ऐलान किया था। जब इन दोनों देशों ने घुटने टेक दिए तो ट्रंप को यह लगा कि इसे पूरी दुनिया में आजमाया जा सकता है। ऐसे में उन्होंने अमेरिका के दोस्तों से लेकर दुश्मनों तक टैरिफ का ऐलान करना शुरू कर दिया, जिसमें भारत भी शामिल है। हालांकि, अब भारत पर टैरिफ लगाकर अमेरिका खुद पछता रहा है।
भारत पर टैरिफ से अमेरिका को कैसा नुकसान
अमेरिका पूरी दुनिया में खुदगर्ज होने के लिए बदनाम है। वह बिना लाभ के कुछ भी नहीं करता है। भारत के साथ अमेरिका ने दोस्ती इसलिए ही बढ़ाई, ताकि वह इंडो-पैसिफिक में चीन को काबू में कर सके। अमेरिका जानता है कि एशिया में दूसरा कोई ऐसा देश नहीं है, जो चीन के खिलाफ उसकी रणनीति में काम आ सकता है। हालांकि, अब ट्रंप के टैरिफ से भारत समझ गया है कि उसे अमेरिका के कितना करीब और कितना दूर रहना चाहिए। इससे अमेरिका की चीन के खिलाफ रणनीति को बड़ा नुकसान होना तय माना जा रहा है। वहीं, चीन इससे काफी खुश है और भारत के साथ काम करने के लिए खुशी-खुशी तैयार भी है।
भारत-अमेरिका व्यापार को नुकसान
भारत पूरी दुनिया में सबसे तेज बढ़ती अर्थव्यस्थाओं में से एक है। भारत एक बड़ा बाजार भी है, जिसमें हर देश घुसने की कोशिश कर रहा है। इतना ही नहीं, भारत कई ऐसी चीजें बनाता है, जिसकी अमेरिका को काफी जरूरत है। ऐसा नहीं है कि अमेरिका को भारत के उत्पादों का विकल्प नहीं मिलेगा, लेकिन सप्लाई को उस स्तर में लाने पर काफी वक्त लगेगा, जिससे अमेरिकी लोगों की परेशानियां बढ़ेंगी।
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