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'वंदे मातरम्' पर छिड़ा घमासान, कांग्रेस ने पीएम मोदी पर लगाया रविंद्रनाथ टैगोर के अपमान का आरोप

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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुक्रवार को राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् पर दिए गए बयान पर घमासान छिड़ गया है। कांग्रेस ने उन पर 1937 की कांग्रेस वर्किंग कमेटी और रविंद्रनाथ टैगोर का अपमान करने का आरोप लगाया है। साथ ही सलाह दी है कि पीएम को अपने राजनीतिक मुद्दे वर्तमान के ज्वलंत मुद्दों पर उठाने चाहिए।

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने रविवार को एक्स पर पोस्ट कर कहा कि प्रधानमंत्री का सीडब्ल्यूसी और टैगोर का अपमान करना चौंकाने वाला है, लेकिन आश्चर्यजनक नहीं। उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए है क्योंकि आरएसएस ने महात्मा गांधी के नेतृत्व वाले स्वतंत्रता संग्राम में कोई भूमिका नहीं निभाई थी।

1937 में हुई थी CWC बैठक
जयराम रमेश ने बताया कि 26 अक्टूबर से 1 नवंबर 1937 तक कोलकाता में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक हुई थी। जिसमें गांधीजी, नेहरू, पटेल, बोस, राजेंद्र प्रसाद, मौलाना आजाद, सरोजिनी नायडू, जे.बी. कृपलानी, भुलाभाई देसाई, जमनालाल बजाज और नरेंद्र देव समेत कई वरिष्ठ नेता शामिल हुए थे।




उन्होंने कहा कि 28 अक्टूबर 1937 को वंदे मातरम् पर CWC का बयान जारी हुआ था, जो गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की सलाह से गहराई से प्रभावित था। प्रधानमंत्री ने इस ऐतिहासिक समिति और टैगोर दोनों का अपमान किया है। यह चौंकाने वाला तो है, लेकिन आश्चर्यजनक नहीं, क्योंकि आरएसएस का स्वतंत्रता आंदोलन में कोई योगदान नहीं था।'

राजनीतिक संघर्ष मौजूदा मुद्दों पर लड़ने चाहिए: कांग्रेस
कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री को अपने मौजूदा राजनीतिक संघर्ष मौजूदा मुद्दों पर लड़ने चाहिए। जैसे बढ़ती बेरोजगारी, महंगाई, आर्थिक असमानता और गिरती निवेश दर। उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री की आर्थिक नीतियों ने असमानता को बढ़ाया है, बेरोजगारी चरम पर है, निवेश की रफ्तार थम गई है, विदेश नीति पूरी तरह विफल हो चुकी है और वे सिर्फ देश के पहले प्रधानमंत्री को बदनाम करने में लगे हैं।

क्या था पीएम मोदी का बयान?
कांग्रेस का यह बयान पीएम मोदी के उस बयान के बाद आया है जिसमें उन्होंने कहा था कि 1937 में 'वंदे मातरम' के महत्वपूर्ण छंदों को छोड़ दिया गया था, जिससे देश के विभाजन के बीज बोए गए। पीएम ने कहा था कि ऐसी 'विभाजनकारी मानसिकता' आज भी देश के लिए एक चुनौती है।
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