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खलीफा एर्दोगन का मालदीव में भारत के खिलाफ दांव, ड्रोन के बाद अब मिसाइल युद्धपोत दे रहा तुर्की, सैनिक भी आएंगे साथ

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माले: मुस्लिम देशों का नेता बनने की कोशिश कर रहे तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोगन ने भारत के अहाते में अपनी पैठ बढ़ानी शुरू कर दी है। तुर्की ने हिंद महासागर में मौजूद भारत के पड़ोसी मालदीव को युद्धपोत देने की घोषणा की है। इसके पहले तुर्की ने मालदीव ने तुर्की से ड्रोन की खरीद की थी, जिनका इस्तेमाल भारत के पड़ोस में समंदर की निगरानी के लिए हो रहा है। अब तुर्की के राष्ट्रीय रक्षा मंत्रालय ने 12 अप्रैल को घोषणा की कि तुर्की ने मालदीव को डोगन-क्लास फास्ट अटैक क्राफ्ट टीसीजी वोल्कन (P-343) दान किया है। इसका उद्येश्य द्वीपीय देश की समुद्री रक्षा क्षमताओं को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाना है। लेकिन तुर्की की बढ़ता हस्तक्षेप भारत के लिए चिंता पैदा करता है। जून में मालदीव पहुंचेगा तुर्की का युद्धपोतएक्स पर जारी आधिकारिक बयान के अनुसार, टीसीजी वोल्कन वर्तमान में इस्तांबुल नेवल शिपयार्ड कमांड में पूर्ण रखरखाव और नवीनीकरण की प्रक्रिया से गुजर रहा है। पूरा होने पर जहाज को तुर्की डॉक लैंडिंग शिप के जरिए मालदीव पहुंचाया जाएगा। जहाज को औपचारिक रूप से जून 2025 में हैंडओवर किया जाना है। जुलाई तक इसके मालदीव नेशनल डिफेंस फोर्स (MDNF) कोस्ट गार्ड में शामिल किए जाने की उम्मीद है।तुर्की और मालदीव के बीच सैन्य सहयोग में वृद्धि हो रही है। युद्धपोत के हस्तांतरण के समानांतर MNDF के 19 कर्मी 7 अप्रैल से 9 मई तक तुर्की में सिम्युलेटर और परिचालन प्रशिक्षण हासिल कर रहे हैं। जहाज के डिलीवर होने के बाद तुर्की की नौसेना के विशेषज्ञ जहा पर प्रशिक्षण के लिए आएंगे, ताकि मालदीव के बेड़े में इसका एकीकरण और पूर्ण परिचालन सुनिश्चित हो सके। मालदीव में फिर विदेशी सैनिकखास बात ये है कि मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने 2023 में चुनाव जीतने के बाद देश में भारत के सैनिकों की मौजूदगी पर आपत्ति जताई थी, जो भारत से उपहार में दिए गए दो विमान और हेलीकॉप्टर के संचालन के लिए मौजूद थे। बाद में सैनिकों की जगह दोनों देशों के बीच भारतीय नागरिक कर्मियों की तैनाती पर सहमति बनी थी। अब महज दो साल के भीतर ही मुइज्जू ने तुर्की की नेवी के कर्मियों को मालदीव में आने की अनुमति दी है। TCG वोल्कन की खासियतTCG वोल्कन एक डोगन-क्लास फास्ट अटैक क्राफ्ट है। मूल रूप से 1981 में कमीशन किए गए इस जहाज को तुर्की नौसेना के लिए जर्मनी के लुरसेन वेरफ्ट FPB-57 डिजाइन से विकसित किया गया था। 58.1 मीटर लंबा और 436 टन विस्थापन करने वाला यह जहाज 38 नॉट तक की रफ्तार तक पहुंचने में सक्षम है। मूल रूप से जहाज दो आरजीएम-84 हार्पून एंटी-शिप मिसाइलों, एक 76 मिमी ओटीओ मेलारा नौसैनिक बंदूक और एक जुड़वा 35 मिमी ओर्लिकॉन जीडीएम-ए एंटी एयरक्राफ्ट बुर्ज से सुसज्जित था। हालांक, हस्तांतरण से पहले हार्पून मिसाइनों को हटाया जा सकता है।
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