नई दिल्ली: सहारा ग्रुप को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ से बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने सहारा की चार सहकारी समितियों की याचिका खारिज कर दी है। इन समितियों ने ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) द्वारा धनशोधन निरोधक अधिनियम के तहत सहारा के खिलाफ चल रही जांच को चुनौती दी थी। कोर्ट ने साफ कहा कि ईडी की जांच पूरी तरह से वैध है और इस पर आगे कार्रवाई हो सकती है।
यह फैसला सहारा ग्रुप के लिए एक बड़ी कानूनी हार मानी जा रही है। ईडी मनी लॉन्ड्रिंग यानी अवैध तरीके से कमाए पैसे को वैध बनाने के मामलों की जांच करती है। सहारा की सहकारी समितियों ने ईडी की इस जांच को रोकने की गुहार लगाई थी। उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि ईडी की कार्रवाई गलत है।
लेकिन, कोर्ट ने उनकी दलीलों को नहीं माना। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि धनशोधन निरोधक अधिनियम के तहत ईडी को जांच करने का पूरा अधिकार है। इसलिए, सहारा के खिलाफ ईडी की जांच जारी रहेगी। सहारा मामले में, उच्च न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय की इस दलील का संज्ञान लिया कि सहारा समूह की संस्थाओं के खिलाफ विभिन्न राज्यों में 502 एफआईआर दर्ज की गई हैं।
इन समितियों ने दाखिल की थी याचिका
न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की एकल पीठ ने यह फैसला हमारा इंडिया क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लि., सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लि., स्टार्स मल्टीपरपज कोऑपरेटिव सोसाइटी लि. एवं सहारा यूनिवर्सल मल्टीपरपज सोसाइटी लि. द्वारा दाखिल याचिकाओं पर दिया।
ईडी ने जुलाई 2024 में इन समितियों पर छापा मारा था
जुलाई 2024 में ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने इन समितियों पर छापा मारा था और कुछ सामान जब्त किया था। समितियों ने इस कार्रवाई को कोर्ट में चुनौती दी थी। लेकिन कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि ईडी की यह दलील सही नहीं है कि यह मामला लखनऊ पीठ के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता। कोर्ट ने यह भी साफ किया कि पीएमएलए (धन शोधन निवारण अधिनियम) के तहत चल रही कार्रवाई में फिलहाल दखल देने का कोई कारण नहीं है।
लखनऊ पीठ को इस मामले की सुनवाई का पूरा अधिकार
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि समितियों का मुख्य दफ्तर लखनऊ में है। साथ ही, महत्वपूर्ण कागजात भी वहीं से जब्त किए गए थे। इसलिए, लखनऊ पीठ को इस मामले की सुनवाई करने का पूरा अधिकार है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि फिलहाल, याचियों के खिलाफ पीएमएलए के तहत चल रही कार्रवाई में दखल देने का कोई आधार नहीं है। इसी वजह से, कोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया है।
यह फैसला सहारा ग्रुप के लिए एक बड़ी कानूनी हार मानी जा रही है। ईडी मनी लॉन्ड्रिंग यानी अवैध तरीके से कमाए पैसे को वैध बनाने के मामलों की जांच करती है। सहारा की सहकारी समितियों ने ईडी की इस जांच को रोकने की गुहार लगाई थी। उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि ईडी की कार्रवाई गलत है।
लेकिन, कोर्ट ने उनकी दलीलों को नहीं माना। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि धनशोधन निरोधक अधिनियम के तहत ईडी को जांच करने का पूरा अधिकार है। इसलिए, सहारा के खिलाफ ईडी की जांच जारी रहेगी। सहारा मामले में, उच्च न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय की इस दलील का संज्ञान लिया कि सहारा समूह की संस्थाओं के खिलाफ विभिन्न राज्यों में 502 एफआईआर दर्ज की गई हैं।
इन समितियों ने दाखिल की थी याचिका
न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की एकल पीठ ने यह फैसला हमारा इंडिया क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लि., सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लि., स्टार्स मल्टीपरपज कोऑपरेटिव सोसाइटी लि. एवं सहारा यूनिवर्सल मल्टीपरपज सोसाइटी लि. द्वारा दाखिल याचिकाओं पर दिया।
ईडी ने जुलाई 2024 में इन समितियों पर छापा मारा था
जुलाई 2024 में ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने इन समितियों पर छापा मारा था और कुछ सामान जब्त किया था। समितियों ने इस कार्रवाई को कोर्ट में चुनौती दी थी। लेकिन कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि ईडी की यह दलील सही नहीं है कि यह मामला लखनऊ पीठ के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता। कोर्ट ने यह भी साफ किया कि पीएमएलए (धन शोधन निवारण अधिनियम) के तहत चल रही कार्रवाई में फिलहाल दखल देने का कोई कारण नहीं है।
लखनऊ पीठ को इस मामले की सुनवाई का पूरा अधिकार
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि समितियों का मुख्य दफ्तर लखनऊ में है। साथ ही, महत्वपूर्ण कागजात भी वहीं से जब्त किए गए थे। इसलिए, लखनऊ पीठ को इस मामले की सुनवाई करने का पूरा अधिकार है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि फिलहाल, याचियों के खिलाफ पीएमएलए के तहत चल रही कार्रवाई में दखल देने का कोई आधार नहीं है। इसी वजह से, कोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया है।
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