Next Story
Newszop

आंध्र प्रदेश में म्यांमार और कंबोडिया स्टाइल की साइबर ठगी का भंडाफोड़, 100 से अधिक युवक-युवतियां हिरासत में

Send Push
विशाखापत्तनम: आंध्र प्रदेश के अनकापल्ली जिले में म्यांमार और कंबोडिया जैसी साइबर क्राइम नेटवर्क का पुलिस ने भंडाफोड़ किया है। बुधवार को की गई इस बड़ी कार्रवाई में पुलिस ने 100 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया, जिनमें कई महिलाएं भी शामिल हैं। पुलिस ने इन सभी को एक अज्ञात स्थान पर ले जाकर पूछताछ शुरू कर दी है, जिसमें उनकी रोज़मर्रा की गतिविधियों, भर्ती प्रक्रिया और ठगी के तौर-तरीकों के बारे में जानकारी ली जा रही है। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि आरोपी अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया सहित कई अन्य देशों के नागरिकों को निशाना बना रहे थे।पुलिस अधिकारियों के अनुसार, इन युवाओं को खासतौर पर उनके अंग्रेजी उच्चारण (ऐक्सेंट) को देखते हुए चुना गया था ताकि विदेशी नागरिकों को आसानी से भ्रमित किया जा सके। ये युवक-युवतियां दिखने में कॉल सेंटर जैसी सेटिंग में काम कर रहे थे। बुधवार रात को जब पुलिस ने छापा मारा, तब कई कर्मचारी अंधेरे और सीमित पुलिस बल का फायदा उठाकर भागने में सफल रहे। यह विशेष ऑपरेशन चार महीने की निगरानी और खुफिया जानकारी के आधार पर किया गया। चौंकाने वाली बात यह है कि इन इमारतों पर कोई नाम या बोर्ड नहीं था और यहां काम कर रहे लोग ज्यादातर पूर्वोत्तर भारत के विभिन्न राज्यों से थे। एक हफ्ते पहले ही नौकरी पर शामिल हुएकई संदिग्धों ने दावा किया कि उन्हें इस ठगी की जानकारी नहीं थी और वे महज एक हफ्ते पहले ही नौकरी पर शामिल हुए थे। उनका कहना था कि वे अभी इंडक्शन प्रक्रिया में थे और उन्हें नहीं पता था कि असल में क्या चल रहा है। पुलिस को अभी इस रैकेट के मास्टरमाइंड तक पहुंचना बाकी है। अच्युतापुरम, जो कि विशाखापत्तनम से करीब 80 किलोमीटर दूर स्थित है, अब एक प्रमुख औद्योगिक केंद्र बन चुका है। यहां कई अपार्टमेंट कॉम्प्लेक्स और ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट्स मौजूद हैं। पुलिस का मानना है कि धोखेबाजों ने जानबूझकर ऐसे भवनों का चयन किया था जो कम भीड़भाड़ वाले और नजर से दूर हों। युवाओं को देते थे 20 से 30 हजार सैलरीस्थानीय सूत्रों के अनुसार, इन फर्जी कॉल सेंटर्स में तीन प्रकार के कार्यकर्ता थे। कुछ लोग बैंक"की भूमिका में थे जो जमा राशियों को संभालते थे, कुछ ट्रांजैक्शन मैनेज करते थे और बाकी सीधे विदेशी नागरिकों को ठगने का कार्य करते थे। प्रारंभिक जांच में यह भी पता चला है कि इन युवाओं को प्रति माह 20 से 30 हजार रुपये की सैलरी का लालच देकर भर्ती किया गया था। एक स्थानीय निवासी ने बताया कि हमें लगा कि ये लोग कॉल सेंटर में काम करते हैं। वे हमेशा फोन पर रहते थे और कई फ्लैट्स में कंप्यूटर सिस्टम लगे हुए थे। पुलिस अब इस अंतरराष्ट्रीय साइबर फ्रॉड गिरोह के नेटवर्क को पूरी तरह से ध्वस्त करने की दिशा में काम कर रही है। साथ ही, यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि ऐसे फर्जी कॉल सेंटर भविष्य में फिर से सक्रिय न हो सकें।
Loving Newspoint? Download the app now