लखनऊ: दुनिया के बाजारों में यूपी इस समय 1.86 लाख करोड़ रुपये के उत्पाद एक्सपोर्ट कर रहा है। अगले पांच साल में इस आंकड़े को दोगुने से भी अधिक बढ़ाकर 4.40 लाख करोड़ रुपये करने पर यूपी की नजर है। इसके लिए जरूरी है कि नए बाजार, मांग और संभावनाओं को तलाशा जाए, जिससे वहां यूपी अपने एक्सपोर्ट को विस्तार कर सके। नई संभावनाओं को परखने के लिए सरकार आईआईटी-आईआईएम जैसी संस्थाओं के साथ मिलकर मार्केट रिसर्च पर काम करेगी। नई निर्यात नीति के तहत टॉप इंस्टिट्यूट में मार्केट रिसर्च चेयर्स स्थापित करने पर लगभग 5 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इनके आउटकम को जमीन पर लागू किया जाएगा।
अमेरिकी टैरिफ की चुनौतियों के बीच 5 ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी बनने का लक्ष्य तय करने वाली योगी सरकार निर्यात के विस्तार को भी इसके अहम कंपोनेंट के तौर पर देख रही है। इसलिए नई निर्यात नीति में पहली बार सर्विस सेक्टर जैसे नए आयामों को जगह दी गई है। कैबिनेट से मुहर लगने के बाद शासन ने नई नीति की अधिसूचना जारी कर दी गई है। मार्केट रिसर्च चेयर के जरिए बाजार के अवसरों, डिमांड की स्टडी करने के साथ ही निर्यात परफॉर्मेंस की ट्रैकिंग कर इसकी वार्षिक रिपोर्ट भी तैयार की जाएगी। इसके आधार पर संभावनाओं वाले क्षेत्रों पर फोकस और गैप्स को दूर करने की दिशा में काम किया जाएगा। सरकार का लक्ष्य निर्यातकों की संख्या भी दोगुना तक बढ़ाने का है।
विदेश में व्यापार के लिए बनेगी संपर्क डेस्कसरकार दुनिया के अलग-अलग बाजारों में यूपी की उपस्थिति बढ़ाने के लिए विदेशी व्यापार दूतावास संपर्क डेस्क भी बनाएगी जो निर्यात प्रोत्साहन ब्यूरो के तहत काम करेगी। यह विभिन्न देशों में डिप्लोमेटिक मिशन के दौरान कमर्शल विम्स से संपर्क बनाकर यूपी के मार्केटिंग को आगे बढ़ाएगी।
इसके लिए अलावा ग्लोबल नेटवर्किंग को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश में भी माइस (मीटिंग, इंसेंटिव, कॉन्फ्रेंस, एग्जिबिशन) को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके लिए प्रति विदेशी मेहमान 7 हजार रुपये और अधिकतम 6 लाख रुपये तक कार्यक्रम के आयोजन के लिए भी सरकार सब्सिडी देगी। निर्यात आधारित इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए 100 करोड़ या उससे अधिक लागत वाली परियोजनाओं पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा।
जिलों के प्रोडक्ट पर फोकसनई नीति में फोकस हर जिले को निर्यात हब के रूप में विकसित करने पर है। इसलिए, जिला निर्यात संवर्धन परिषद को और सशक्त बनाया जाएगा। हस्तशिल्प, इलेक्ट्रॉनिक्स, इंजिनियरिंग, गारमेट, रेडीमेट गारमेंट, कारपेट, कृषि, फूड प्रॉसेसिंग, केमिकल, मेडिसिन, लेदर, स्पोर्ट्स, ग्लास, सिरेमिक प्रोडेक्ट, वुड प्रोडेक्ट, सर्विस सेक्टर: एजुकेशन, मेडिकल, ट्रैवल, ट्रांसपोर्ट, लॉजिस्टिक, टूरिजम, हॉस्पिटैलिटी, आईटी, आईटीईएस आदि में क्षेत्रवार विशिष्टताओं को चिह्नित कर उनके और विस्तार और वैश्विक बाजार मे पहुंच बढ़ाने पर फोकस किया जाएगा। नीति में दी जाने वाली रियायतों को भी महंगाई दर के साथ लिंक कर दिया गया है।
अमेरिकी टैरिफ की चुनौतियों के बीच 5 ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी बनने का लक्ष्य तय करने वाली योगी सरकार निर्यात के विस्तार को भी इसके अहम कंपोनेंट के तौर पर देख रही है। इसलिए नई निर्यात नीति में पहली बार सर्विस सेक्टर जैसे नए आयामों को जगह दी गई है। कैबिनेट से मुहर लगने के बाद शासन ने नई नीति की अधिसूचना जारी कर दी गई है। मार्केट रिसर्च चेयर के जरिए बाजार के अवसरों, डिमांड की स्टडी करने के साथ ही निर्यात परफॉर्मेंस की ट्रैकिंग कर इसकी वार्षिक रिपोर्ट भी तैयार की जाएगी। इसके आधार पर संभावनाओं वाले क्षेत्रों पर फोकस और गैप्स को दूर करने की दिशा में काम किया जाएगा। सरकार का लक्ष्य निर्यातकों की संख्या भी दोगुना तक बढ़ाने का है।
विदेश में व्यापार के लिए बनेगी संपर्क डेस्कसरकार दुनिया के अलग-अलग बाजारों में यूपी की उपस्थिति बढ़ाने के लिए विदेशी व्यापार दूतावास संपर्क डेस्क भी बनाएगी जो निर्यात प्रोत्साहन ब्यूरो के तहत काम करेगी। यह विभिन्न देशों में डिप्लोमेटिक मिशन के दौरान कमर्शल विम्स से संपर्क बनाकर यूपी के मार्केटिंग को आगे बढ़ाएगी।
इसके लिए अलावा ग्लोबल नेटवर्किंग को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश में भी माइस (मीटिंग, इंसेंटिव, कॉन्फ्रेंस, एग्जिबिशन) को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके लिए प्रति विदेशी मेहमान 7 हजार रुपये और अधिकतम 6 लाख रुपये तक कार्यक्रम के आयोजन के लिए भी सरकार सब्सिडी देगी। निर्यात आधारित इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए 100 करोड़ या उससे अधिक लागत वाली परियोजनाओं पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा।
जिलों के प्रोडक्ट पर फोकसनई नीति में फोकस हर जिले को निर्यात हब के रूप में विकसित करने पर है। इसलिए, जिला निर्यात संवर्धन परिषद को और सशक्त बनाया जाएगा। हस्तशिल्प, इलेक्ट्रॉनिक्स, इंजिनियरिंग, गारमेट, रेडीमेट गारमेंट, कारपेट, कृषि, फूड प्रॉसेसिंग, केमिकल, मेडिसिन, लेदर, स्पोर्ट्स, ग्लास, सिरेमिक प्रोडेक्ट, वुड प्रोडेक्ट, सर्विस सेक्टर: एजुकेशन, मेडिकल, ट्रैवल, ट्रांसपोर्ट, लॉजिस्टिक, टूरिजम, हॉस्पिटैलिटी, आईटी, आईटीईएस आदि में क्षेत्रवार विशिष्टताओं को चिह्नित कर उनके और विस्तार और वैश्विक बाजार मे पहुंच बढ़ाने पर फोकस किया जाएगा। नीति में दी जाने वाली रियायतों को भी महंगाई दर के साथ लिंक कर दिया गया है।
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