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राष्ट्रपति मुर्मू ने अस्पताल पहुंचकर दी शिबू सोरेन को श्रद्धांजलि, मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी ने जताया दुख

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रांचीः राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को नई दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल पहुंचकर झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के संस्थापक शिबू सोरेन को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने हेमंत सोरेन से मुलाकात कर परिवार के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं। राष्ट्रपति के आधिकारिक एक्स अकाउंट से कुछ तस्वीरें भी शेयर की गईं, जिसमें राष्ट्रपति मुर्मू, शिबू सोरेन को श्रद्धांजलि देते हुए नजर आ रही हैं। साथ ही उन्होंने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात कर संवेदना भी प्रकट की।

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शिबू सोरेन का निधन सामाजिक न्याय के क्षेत्र में एक बड़ी क्षति


राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने शोक संदेश में कहा, "शिबू सोरेन का निधन सामाजिक न्याय के क्षेत्र में एक बड़ी क्षति है। उन्होंने आदिवासी अस्मिता और झारखंड राज्य के निर्माण के लिए संघर्ष किया। जमीनी स्तर पर काम करने के अलावा, उन्होंने झारखंड के मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री और सांसद के रूप में भी योगदान दिया।"



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मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी ने जताया दुख

उधर, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष और राज्यसभा के नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और पार्टी सांसद राहुल गांधी ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पिता शिबू सोरेन के निधन पर दुख प्रकट किया है। मल्लिकार्जुन खरगे और लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने शिबू सोरेन को श्रद्धांजलि देने के लिए नई दिल्ली स्थित सर गंगा राम अस्पताल का दौरा किया। उन्होंने शिबू सोरेन के दुखद निधन पर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और कल्पना सोरेन को ढाढस बंधाया।



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मल्लिकार्जुन खरगे ने पत्र में लिखा, "मैं अपनी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की ओर से आपके पूज्य पिता, गुरुजी शिबू सोरेन, जो एक प्रतिष्ठित सार्वजनिक व्यक्ति, वर्तमान राज्यसभा सदस्य और झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक संरक्षक थे, के दुःखद निधन पर हार्दिक संवेदना और गहरा दुःख व्यक्त करता हूं। शिबू सोरेन ने झारखंड के लोगों की विशिष्ट सेवा की और तीन बार मुख्यमंत्री का पद संभाला। मुख्यमंत्री और केंद्रीय कैबिनेट मंत्री के रूप में अपनी भूमिका में, उन्होंने असाधारण प्रशासनिक कौशल और जनसेवा के प्रति अटूट प्रतिबद्धता का परिचय दिया।"

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खरगे ने लिखा, "एक योग्य सांसद के रूप में, वे छह बार लोकसभा और तीन बार राज्यसभा के लिए चुने गए। एक सच्चे जन-पुरुष के रूप में, उन्होंने अपना जीवन लोगों, विशेषकर आदिवासियों, हाशिए पर पड़े लोगों और दलितों की चिंताओं को आवाज देने के लिए समर्पित कर दिया। उन्होंने आदिवासियों के जल, जंगल और जमीन के मौलिक अधिकारों के लिए अथक संघर्ष किया और झारखंड के एक अलग राज्य के निर्माण के आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।"



उन्होंने आगे लिखा, "उनके निधन से देश और झारखंड राज्य ने एक दूरदर्शी नेता और मार्गदर्शक जननायक खो दिया है। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे। मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि आपको और आपके सभी परिजनों को इस गहन दुःख की घड़ी में शक्ति और सांत्वना मिले।"



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