जोधपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे आसाराम को छह महीने की अंतरिम जमानत मंजूर की है। यह पहली बार है जब उसे किसी अदालत से नियमित जमानत मिली है। कार्यवाहक चीफ जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा और जस्टिस संगीता शर्मा की खंडपीठ ने मंगलवार को यह फैसला सुनाया।
आसाराम को मेडिकल ग्राउंड पर दी गई जमानत
आसाराम ने कोर्ट में स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए जमानत की याचिका दायर की थी। याचिका पर सुनवाई के दौरान उसके वकील, दिल्ली के वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत ने तर्क दिया कि आसाराम की उम्र अधिक हो चुकी है और उसे कई गंभीर बीमारियां हैं, जिनके लिए निरंतर इलाज की जरूरत है।
राजस्थान सरकार की ओर से एडिशनल एडवोकेट जनरल दीपक चौधरी ने इस पर आपत्ति जताई, जबकि पीड़िता की ओर से एडवोकेट पी.सी. सोलंकी ने कहा कि दोषसिद्ध व्यक्ति को राहत देना न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है। सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने छह महीने की अस्थायी जमानत मंजूर कर दी।
12 साल से जेल में, पहली बार मिली राहत
आसाराम को अप्रैल 2018 में जोधपुर की विशेष अदालत ने नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई थी। तब से वह लगातार जेल में बंद है। करीब 12 साल की कैद के बाद इस वर्ष जनवरी में उसे पहली बार अंतरिम जमानत दी गई थी, जो छह महीने बाद समाप्त हो गई थी। 30 अगस्त को उसने सरेंडर किया था। अब हाईकोर्ट ने फिर से छह महीने की जमानत प्रदान की है।
पहले खारिज हो चुकी है जमानत याचिका
इससे पहले 27 अगस्त को जस्टिस दिनेश मेहता और जस्टिस विनीत कुमार माथुर की बेंच ने आसाराम की जमानत बढ़ाने की याचिका खारिज कर दी थी। उस समय कोर्ट ने अहमदाबाद के सरकारी अस्पताल की रिपोर्ट के आधार पर कहा था कि आसाराम की तबीयत स्थिर है और उसे किसी विशेष इलाज की आवश्यकता नहीं है। कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की थी कि आसाराम ने पिछले कुछ महीनों में कई अस्पतालों के दौरे किए, लेकिन कहीं भी नियमित इलाज या फॉलो-अप नहीं कराया, जिससे उसकी गंभीरता पर सवाल उठते हैं।
फिलहाल छह महीने बाहर रहेगा आसाराम
हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद आसाराम अब छह महीने तक जेल से बाहर रहेगा, लेकिन उसे अदालत द्वारा तय की गई शर्तों का पालन करना होगा। इस दौरान वह इलाज के लिए अस्पतालों में भर्ती हो सकता है, पर देश छोड़ने या सार्वजनिक कार्यक्रम करने पर रोक रहेगी।
आसाराम को मेडिकल ग्राउंड पर दी गई जमानत
आसाराम ने कोर्ट में स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए जमानत की याचिका दायर की थी। याचिका पर सुनवाई के दौरान उसके वकील, दिल्ली के वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत ने तर्क दिया कि आसाराम की उम्र अधिक हो चुकी है और उसे कई गंभीर बीमारियां हैं, जिनके लिए निरंतर इलाज की जरूरत है।
राजस्थान सरकार की ओर से एडिशनल एडवोकेट जनरल दीपक चौधरी ने इस पर आपत्ति जताई, जबकि पीड़िता की ओर से एडवोकेट पी.सी. सोलंकी ने कहा कि दोषसिद्ध व्यक्ति को राहत देना न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है। सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने छह महीने की अस्थायी जमानत मंजूर कर दी।
12 साल से जेल में, पहली बार मिली राहत
आसाराम को अप्रैल 2018 में जोधपुर की विशेष अदालत ने नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई थी। तब से वह लगातार जेल में बंद है। करीब 12 साल की कैद के बाद इस वर्ष जनवरी में उसे पहली बार अंतरिम जमानत दी गई थी, जो छह महीने बाद समाप्त हो गई थी। 30 अगस्त को उसने सरेंडर किया था। अब हाईकोर्ट ने फिर से छह महीने की जमानत प्रदान की है।
पहले खारिज हो चुकी है जमानत याचिका
इससे पहले 27 अगस्त को जस्टिस दिनेश मेहता और जस्टिस विनीत कुमार माथुर की बेंच ने आसाराम की जमानत बढ़ाने की याचिका खारिज कर दी थी। उस समय कोर्ट ने अहमदाबाद के सरकारी अस्पताल की रिपोर्ट के आधार पर कहा था कि आसाराम की तबीयत स्थिर है और उसे किसी विशेष इलाज की आवश्यकता नहीं है। कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की थी कि आसाराम ने पिछले कुछ महीनों में कई अस्पतालों के दौरे किए, लेकिन कहीं भी नियमित इलाज या फॉलो-अप नहीं कराया, जिससे उसकी गंभीरता पर सवाल उठते हैं।
फिलहाल छह महीने बाहर रहेगा आसाराम
हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद आसाराम अब छह महीने तक जेल से बाहर रहेगा, लेकिन उसे अदालत द्वारा तय की गई शर्तों का पालन करना होगा। इस दौरान वह इलाज के लिए अस्पतालों में भर्ती हो सकता है, पर देश छोड़ने या सार्वजनिक कार्यक्रम करने पर रोक रहेगी।
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