भाईदूज का पर्व भाई बहनों को समर्पित है। जो हर साल कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। अक्सर दिवाली के अगले दिन लोग गोवर्धन पर्व मनाते है और फिर उसके अगले दिन भाई दूज। लेकिन अबकी बार तिथियों का ऐसा घालमेल हुआ है कि भाईदूज कब है इसको लेकर भाई बहन कन्फ्यूज हो रहे हैं। अगर आपके मन में भी भाईदूज को लेकर कुछ उलझन है तो आपके लिए लिए यह खबर बेहद काम की है। तो आइए जानते हैं भाईदूज कब है और भाईदूज का मुहूर्त कब है...
अबकी बार कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया तिथि जिसमें भाईदूज और भ्रातृ द्वितीया का पर्व मनाया जाता है वह दिवाली के दो दिन बाद लग रहा है। यानी 23 अक्टूबर को। क्योंकि 22 अक्टूबर को कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि का आरंभ रात में 8 बजकर 17 मिनट पर हो रहा है। और द्वितीय तिथि का समापन 23 अक्टूबर को रात 10 बजकर 47 पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार भाईदूज का पर्व 23 अक्टूबर को मनाया जाना शास्त्र सम्मत होगा।
भाई दूज का शुभ मुहूर्त
शास्त्रो में बताया गया है कि भाई दूज पर शुभ चौघड़िया में दोपहर में मानाना शुभ होता है। ऐसे में दोपहर 12 बजकर 5 मिनट से 2 बजकर 54 मिनट तक का समय भाई दूज मनाने के लिए सर्वोत्तम रहेगा। इस समय 12 बजकर 05 से 1 बजकर 30 मिनट तक शुभ चौघड़िया रहेगा। जबकि 1 बजकर 30 मिनट से 2 बजकर 54 मिनट तक अमृत चौघड़िया होगा। ऐसे में अमृत चौघड़िया में भाईदूज मनाना और बहन के हाथो से अन्न जल लेना भाई बहन के रिश्तो को और बेहतर करेगा साथ ही मान्यताओं के अनुसार अकाल मृत्यु के भय को टालने वाला भी होगा।
भाई दूज की मान्यताएं
आपको बता दें कि शास्त्रों में बताया गया है कि भाईदूज पर्व की शुरुआत भगवान यमराज ने किया है। यमराज के वरदान दिया है कि जो भाई यम द्वितीया यानी कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि को बहन के हाथों का खाना खाएगा उसके ऊपर से अकाल मृत्यु का भय दूर हो जाएगा। इस दिन यमराज यमुना यानी अपनी बहन के घर रहते हैं इसलिए यमुना तट पर भाईदूज का पूजन करना बहुत ही शुभ और लाभदायक माना गया है।
अबकी बार कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया तिथि जिसमें भाईदूज और भ्रातृ द्वितीया का पर्व मनाया जाता है वह दिवाली के दो दिन बाद लग रहा है। यानी 23 अक्टूबर को। क्योंकि 22 अक्टूबर को कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि का आरंभ रात में 8 बजकर 17 मिनट पर हो रहा है। और द्वितीय तिथि का समापन 23 अक्टूबर को रात 10 बजकर 47 पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार भाईदूज का पर्व 23 अक्टूबर को मनाया जाना शास्त्र सम्मत होगा।
भाई दूज का शुभ मुहूर्त
शास्त्रो में बताया गया है कि भाई दूज पर शुभ चौघड़िया में दोपहर में मानाना शुभ होता है। ऐसे में दोपहर 12 बजकर 5 मिनट से 2 बजकर 54 मिनट तक का समय भाई दूज मनाने के लिए सर्वोत्तम रहेगा। इस समय 12 बजकर 05 से 1 बजकर 30 मिनट तक शुभ चौघड़िया रहेगा। जबकि 1 बजकर 30 मिनट से 2 बजकर 54 मिनट तक अमृत चौघड़िया होगा। ऐसे में अमृत चौघड़िया में भाईदूज मनाना और बहन के हाथो से अन्न जल लेना भाई बहन के रिश्तो को और बेहतर करेगा साथ ही मान्यताओं के अनुसार अकाल मृत्यु के भय को टालने वाला भी होगा।
भाई दूज की मान्यताएं
आपको बता दें कि शास्त्रों में बताया गया है कि भाईदूज पर्व की शुरुआत भगवान यमराज ने किया है। यमराज के वरदान दिया है कि जो भाई यम द्वितीया यानी कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि को बहन के हाथों का खाना खाएगा उसके ऊपर से अकाल मृत्यु का भय दूर हो जाएगा। इस दिन यमराज यमुना यानी अपनी बहन के घर रहते हैं इसलिए यमुना तट पर भाईदूज का पूजन करना बहुत ही शुभ और लाभदायक माना गया है।
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