गुवाहाटी: भारत ने बांग्लादेश के साथ लगी संवेदनशील सीमा पर तीन नई सैन्य चौकियां स्थापित करने के बाद अब बॉर्डर के सबसे नजदीक धुबरी में सैन्य स्टेशन बनाने का काम शुरू कर दिया है। इस बेहद अहम प्रोजेक्ट गुरुवार को शुरू हो गया। भारत का यह सैन्य स्टेशन बॉर्डर से 35 किलोमीटर की दूरी पर होगा। हाल में पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच बढ़ते संबंधों को देखते इस मास्टरस्ट्रोक के तौर पर देखा जा रहा है। 17वीं सदी के अहोम सेनापति लाचित बोरफुकन को श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद इस सैन्य स्टेशन का काम शुरू किया गया। लाचित बोरफुकन ने मुगल आक्रमण को विफल किया था।
तेजपुर के अधीन होगा सैन्य स्टेशन
लाचित बोरफुकन सैन्य स्टेशन अंतर्राष्ट्रीय सीमा से लगभग 30 किलोमीटर दूर यह चिकन्स नेक के निकट होगा, जो पूर्वोत्तर को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ता है। यह परियोजना बांग्लादेश से मिल रही धमकियों के मद्देनजर शुरू की गई है, जिसमें गलियारे तक पहुंच बाधित करने की बात भी शामिल है। पूर्वी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल आरसी तिवारी ने एक कार्यक्रम में इसकी आधारशिला रखी। उन्होंने कहा कि इससे क्षेत्र में सेना की परिचालन क्षमताओं और बुनियादी ढांचे को और मजबूत करने की दिशा में बड़ी मदद मिलेगी। यह स्टेशन तेजपुर स्थित 4 कोर की परिचालन कमान के अधीन होगा।
सीमाओं पर मिलेगा दुश्मन को जवाब
गौरतलब हो कि भारत ने नई चौकियां धुबरी के पास बामुनी, किशनगंज और चोपड़ा में बनाई गई हैं। ये अब पूरी तरह चालू हो चुकी हैं और सेना व सीमा सुरक्षा बल (BSF) के लिए फोर्स मल्टीप्लायर की तरह काम करेंगी। इनका उद्देश्य 4,096 किलोमीटर लंबी भारत-बांग्लादेश सीमा में मौजूद सुरक्षा खामियों को भरना और किसी भी संभावित घुसपैठ या आपात स्थिति में त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करना है।राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड ने 13 रक्षा और अर्धसैनिक परियोजनाओं को मंजूरी दी है, जिनमें से ज़्यादातर लद्दाख में और एक अरुणाचल प्रदेश में है। हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा के लिए पर्यावरणीय सुरक्षा उपायों और शमन योजनाओं का पालन करने की शर्तों पर मंजूरी दी गई है। इन परियोजनाओं में नई सीमा चौकियां, एक ब्रिगेड मुख्यालय, गोला-बारूद भंडारण और प्रशिक्षण सुविधाएं, और पुल निर्माण शामिल हैं।
तेजपुर के अधीन होगा सैन्य स्टेशन
लाचित बोरफुकन सैन्य स्टेशन अंतर्राष्ट्रीय सीमा से लगभग 30 किलोमीटर दूर यह चिकन्स नेक के निकट होगा, जो पूर्वोत्तर को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ता है। यह परियोजना बांग्लादेश से मिल रही धमकियों के मद्देनजर शुरू की गई है, जिसमें गलियारे तक पहुंच बाधित करने की बात भी शामिल है। पूर्वी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल आरसी तिवारी ने एक कार्यक्रम में इसकी आधारशिला रखी। उन्होंने कहा कि इससे क्षेत्र में सेना की परिचालन क्षमताओं और बुनियादी ढांचे को और मजबूत करने की दिशा में बड़ी मदद मिलेगी। यह स्टेशन तेजपुर स्थित 4 कोर की परिचालन कमान के अधीन होगा।
सीमाओं पर मिलेगा दुश्मन को जवाब
गौरतलब हो कि भारत ने नई चौकियां धुबरी के पास बामुनी, किशनगंज और चोपड़ा में बनाई गई हैं। ये अब पूरी तरह चालू हो चुकी हैं और सेना व सीमा सुरक्षा बल (BSF) के लिए फोर्स मल्टीप्लायर की तरह काम करेंगी। इनका उद्देश्य 4,096 किलोमीटर लंबी भारत-बांग्लादेश सीमा में मौजूद सुरक्षा खामियों को भरना और किसी भी संभावित घुसपैठ या आपात स्थिति में त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करना है।राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड ने 13 रक्षा और अर्धसैनिक परियोजनाओं को मंजूरी दी है, जिनमें से ज़्यादातर लद्दाख में और एक अरुणाचल प्रदेश में है। हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा के लिए पर्यावरणीय सुरक्षा उपायों और शमन योजनाओं का पालन करने की शर्तों पर मंजूरी दी गई है। इन परियोजनाओं में नई सीमा चौकियां, एक ब्रिगेड मुख्यालय, गोला-बारूद भंडारण और प्रशिक्षण सुविधाएं, और पुल निर्माण शामिल हैं।
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