नई दिल्ली: विभिन्न राज्यों के मुख्य सचिवों ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष आवारा कुत्तों के काटने की समस्या को रोकने के लिए उनके द्वारा उठाए गए कदमों पर जवाब दाखिल न करने के लिए बिना शर्त माफी मांगी। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, संदीप मेहता और एनवी अंजारिया की विशेष पीठ ने कहा कि कुत्तों के काटने के पीड़ितों की भी बात सुनी जानी चाहिए और कुत्तों के काटने के मामले की सुनवाई में उनकी याचिका को भी शामिल करने की अनुमति दी जानी चाहिए। बता दें कि अदालत ने टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के आधार पर इस मामले में स्वत: संज्ञान लिया था।
अदालत ने कहा कि वह उन संस्थानों खासकर सरकारी और पब्लिक सेक्टर संस्थानों में जहां के कर्मचारी आवारा कुत्तों के लवर हैं और उन्हें खिला रहे हैं और प्रोत्साहित कर रहे हैं ऐसी स्थिति को रेग्युलेट करने के लिए दिशा निर्देश जारी करेगा। अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि Animal Welfare Board of India (AWBI) को इस मामले में एक पक्षकार बनाया जाए।
सरकारी भवनों के परिसरों में कुत्तों को खिलाने के लिए दिशा-निर्देश जारी किया जाएगा
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि वह सरकारी भवनों के परिसरों में कुत्तों को खिलाने (feeding) को लेकर रेग्युलेशन तय करने के लिए दिशा-निर्देश जारी करेगी। अदालत ने कहा कि वह 7 नवंबर को उन संस्थानों, विशेषकर सरकारी और सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थानों में, जहां कर्मचारी आवारा कुत्तों को खिला रहे हैं, समर्थन दे रहे हैं या प्रोत्साहित कर रहे हैं, ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए दिशा-निर्देश (directions) जारी करेगा।
जस्टिस विक्रम नाथ की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि हम उन संस्थागत समस्याओं के बारे में भी दिशा-निर्देश जारी करेंगे जो सरकारी संस्थानों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और अन्य संस्थाओं में सामने आ रही हैं, जहां कर्मचारी उन क्षेत्रों में कुत्तों को खिलाने और प्रोत्साहित करने में लगे हैं। इस पर हम निश्चित रूप से आदेश जारी करेंगे। एक वकील ने अनुरोध किया कि इस मुद्दे पर कोई आदेश पारित करने से पहले पक्षों को सुना जाए, लेकिन लेकिन अदालत ने कहा कि हम संस्थागत मामलों में कोई बहस नहीं सुनेंगे।
वहीं सोमवार को जस्टिस विक्रम नाथ की अगुवाई वाली बेंच ने यह रेकॉर्ड में लिया कि अधिकांश राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिव अदालत में उपस्थित थे। अदालत ने केरल के मुख्य सचिव द्वारा दायर छूट आवेदन (exemption application) को स्वीकार किया और नोट किया कि राज्य के एक प्रधान सचिव (principal secretary) अदालत में मौजूद थे।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को दी अहम जानकारी
सुनवाई की शुरुआत में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि ज्यादातर राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने अपने अनुपालन हलफनामे (compliance affidavits) दाखिल कर दिए हैं। अदालत ने कहा कि मामले को आदेश के लिए 7 नवंबर को केस लिस्ट किया जाए। साथ ही, अदालत ने स्पष्ट किया कि अब मुख्य सचिवों की व्यक्तिगत उपस्थिति की आवश्यकता नहीं होगी, लेकिन यदि भविष्य में आदेशों के पालन में कोई चूक (default) होती है, तो उनकी उपस्थिति फिर से अनिवार्य कर दी जाएगी।
इससे पहले 27 अक्टूबर को हुई थी सुनवाई
इससे पहले 27 अक्टूबर को हुई सुनवाई में शीर्ष अदालत ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों (पश्चिम बंगाल और तेलंगाना को छोड़कर) के मुख्य सचिवों को 3 नवंबर को अदालत में उपस्थित होने का आदेश दिया था ताकि यह बताया जा सके कि 22 अगस्त के आदेश के बावजूद अनुपालन हलफनामे क्यों दाखिल नहीं किए गए। सुप्रीम कोर्ट ने 22 अगस्त को सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से यह बताने को कहा था कि उन्होंने Animal Birth Control (ABC) Rules के अनुपालन के लिए क्या कदम उठाए हैं। 27 अक्टूबर की सुनवाई में शीर्ष अदालत ने कहा था कि जो राज्य और केंद्रशासित प्रदेश अनुपालन रिपोर्ट दाखिल नहीं कर रहे हैं, उनकी वजह से लगातार घटनाएं हो रही हैं और इससे देश की छवि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खराब हो रही है।
अदालत ने पहले आवारा कुत्तों के मामले का दायरा दिल्ली-एनसीआर से बढ़ाकर पूरे देश तक विस्तार कर दिया था और सभी राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों को मामले में पक्षकार बनाया था। सुप्रीम कोर्ट ने नगर निकायों (municipal authorities) को निर्देश दिया था कि वे Animal Birth Control Rules के अनुपालन के लिए आवश्यक संसाधनों — जैसे कुत्ता पकड़ने वाले कर्मचारी, विशेष वाहनों, पिंजरों, पशु चिकित्सकों और आश्रयों (dog pounds) की विस्तृत जानकारी सहित हलफनामा दाखिल करें।
पीठ ने यह भी कहा था कि ABC Rules पूरे भारत में समान रूप से लागू होते हैं, इसलिए सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को इसमें शामिल किया गया है। सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई स्वयं संज्ञान (suo motu) में कर रही है। यह मामला 28 जुलाई को एक मीडिया रिपोर्ट के आधार पर शुरू किया गया था, जिसमें दिल्ली में आवारा कुत्तों के काटने से बच्चों में रेबीज़ के मामलों को लेकर चिंता जताई गई थी।
अदालत ने कहा कि वह उन संस्थानों खासकर सरकारी और पब्लिक सेक्टर संस्थानों में जहां के कर्मचारी आवारा कुत्तों के लवर हैं और उन्हें खिला रहे हैं और प्रोत्साहित कर रहे हैं ऐसी स्थिति को रेग्युलेट करने के लिए दिशा निर्देश जारी करेगा। अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि Animal Welfare Board of India (AWBI) को इस मामले में एक पक्षकार बनाया जाए।
सरकारी भवनों के परिसरों में कुत्तों को खिलाने के लिए दिशा-निर्देश जारी किया जाएगा
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि वह सरकारी भवनों के परिसरों में कुत्तों को खिलाने (feeding) को लेकर रेग्युलेशन तय करने के लिए दिशा-निर्देश जारी करेगी। अदालत ने कहा कि वह 7 नवंबर को उन संस्थानों, विशेषकर सरकारी और सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थानों में, जहां कर्मचारी आवारा कुत्तों को खिला रहे हैं, समर्थन दे रहे हैं या प्रोत्साहित कर रहे हैं, ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए दिशा-निर्देश (directions) जारी करेगा।
जस्टिस विक्रम नाथ की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि हम उन संस्थागत समस्याओं के बारे में भी दिशा-निर्देश जारी करेंगे जो सरकारी संस्थानों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और अन्य संस्थाओं में सामने आ रही हैं, जहां कर्मचारी उन क्षेत्रों में कुत्तों को खिलाने और प्रोत्साहित करने में लगे हैं। इस पर हम निश्चित रूप से आदेश जारी करेंगे। एक वकील ने अनुरोध किया कि इस मुद्दे पर कोई आदेश पारित करने से पहले पक्षों को सुना जाए, लेकिन लेकिन अदालत ने कहा कि हम संस्थागत मामलों में कोई बहस नहीं सुनेंगे।
वहीं सोमवार को जस्टिस विक्रम नाथ की अगुवाई वाली बेंच ने यह रेकॉर्ड में लिया कि अधिकांश राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिव अदालत में उपस्थित थे। अदालत ने केरल के मुख्य सचिव द्वारा दायर छूट आवेदन (exemption application) को स्वीकार किया और नोट किया कि राज्य के एक प्रधान सचिव (principal secretary) अदालत में मौजूद थे।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को दी अहम जानकारी
सुनवाई की शुरुआत में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि ज्यादातर राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने अपने अनुपालन हलफनामे (compliance affidavits) दाखिल कर दिए हैं। अदालत ने कहा कि मामले को आदेश के लिए 7 नवंबर को केस लिस्ट किया जाए। साथ ही, अदालत ने स्पष्ट किया कि अब मुख्य सचिवों की व्यक्तिगत उपस्थिति की आवश्यकता नहीं होगी, लेकिन यदि भविष्य में आदेशों के पालन में कोई चूक (default) होती है, तो उनकी उपस्थिति फिर से अनिवार्य कर दी जाएगी।
इससे पहले 27 अक्टूबर को हुई थी सुनवाई
इससे पहले 27 अक्टूबर को हुई सुनवाई में शीर्ष अदालत ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों (पश्चिम बंगाल और तेलंगाना को छोड़कर) के मुख्य सचिवों को 3 नवंबर को अदालत में उपस्थित होने का आदेश दिया था ताकि यह बताया जा सके कि 22 अगस्त के आदेश के बावजूद अनुपालन हलफनामे क्यों दाखिल नहीं किए गए। सुप्रीम कोर्ट ने 22 अगस्त को सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से यह बताने को कहा था कि उन्होंने Animal Birth Control (ABC) Rules के अनुपालन के लिए क्या कदम उठाए हैं। 27 अक्टूबर की सुनवाई में शीर्ष अदालत ने कहा था कि जो राज्य और केंद्रशासित प्रदेश अनुपालन रिपोर्ट दाखिल नहीं कर रहे हैं, उनकी वजह से लगातार घटनाएं हो रही हैं और इससे देश की छवि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खराब हो रही है।
अदालत ने पहले आवारा कुत्तों के मामले का दायरा दिल्ली-एनसीआर से बढ़ाकर पूरे देश तक विस्तार कर दिया था और सभी राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों को मामले में पक्षकार बनाया था। सुप्रीम कोर्ट ने नगर निकायों (municipal authorities) को निर्देश दिया था कि वे Animal Birth Control Rules के अनुपालन के लिए आवश्यक संसाधनों — जैसे कुत्ता पकड़ने वाले कर्मचारी, विशेष वाहनों, पिंजरों, पशु चिकित्सकों और आश्रयों (dog pounds) की विस्तृत जानकारी सहित हलफनामा दाखिल करें।
पीठ ने यह भी कहा था कि ABC Rules पूरे भारत में समान रूप से लागू होते हैं, इसलिए सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को इसमें शामिल किया गया है। सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई स्वयं संज्ञान (suo motu) में कर रही है। यह मामला 28 जुलाई को एक मीडिया रिपोर्ट के आधार पर शुरू किया गया था, जिसमें दिल्ली में आवारा कुत्तों के काटने से बच्चों में रेबीज़ के मामलों को लेकर चिंता जताई गई थी।
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