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EMI पर इंडिया... कर्ज लेकर घी पी रहे हम? फाइनेंस गुरु ने किया आगाह

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नई दिल्‍ली: भारतीयों में एक चौंकाने वाला ट्रेंड सामने आया है। आसान क्रेडिट सुविधाओं के कारण लोन लेने का चलन तेजी से बढ़ गया है। कार से लेकर आईफोन तक के मामले में यह बात देखी गई है। यह 'कर्ज लेकर घी पीने' की कहावत को सच साबित कर रहा है। डरावनी बात यह है कि लोग भविष्‍य के लिए नहीं, बल्कि जरूरतें पूरी करने के लिए कर्ज ले रहे हैं। यह बदला हुआ व्‍यवहार लोगों को कर्ज के दलदल में फंसा रहा है। पर्सनल फाइनेंस इन्फ्लुएंसर नेहा नागर ने इसे लेकर चेतावनी दी है। इसने देश की कर्ज पर बढ़ती निर्भरता पर बहस छेड़ दी है। नेहा नागर के मुताबिक, भारत में 70% आईफोन लोन पर खरीदे जाते हैं। वहीं, 80% कारें ईएमआई पर ली जाती हैं। यह बढ़ता कंज्यूमर क्रेडिट भारत के वित्तीय व्यवहार में गहरे बदलाव को दर्शाता है। जैसे-जैसे लोगों की इच्छाएं आय से तेज रफ्तार से बढ़ रही हैं। वैसे-वैसे ज्यादा भारतीय संपत्ति बनाने के बजाय लाइफस्‍टाइल को फंड करने के लिए कर्ज का सहारा ले रहे हैं।

हालांकि, नेहा यह भी कहती हैं कि सभी लोन एक जैसे नहीं होते। कुछ धन बढ़ा सकते हैं। जबकि कई चुपचाप उसे नष्ट कर सकते हैं। जैसा कि 'रिच डैड पुअर डैड' के लेखक रॉबर्ट कियोसाकी ने प्रसिद्ध रूप से कहा है, 'अमीर लोग संपत्ति बनाने के लिए कर्ज का इस्तेमाल करते हैं।' 'गरीब और मध्यम वर्ग अक्सर इसका इस्तेमाल देनदारियां खरीदने के लिए करते हैं।' जानकारों का कहना है कि यह अंतर बताता है कि क्यों कई मध्यम-आय वाले भारतीय गैजेट्स और वाहनों जैसी डेप्रिसिएटिंग एसेट्स (घटती संपत्ति) के लिए ईएमआई के जाल में फंसे हुए हैं। बजाय उन निवेश के जो रिटर्न देते हैं।

आरबीआई की र‍िपोर्ट भी दे रही टेंशन
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की रिपोर्ट भी इस बात की पुष्टि करती है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में घरों पर कर्ज का बोझ बहुत बढ़ गया है। जून 2015 में यह जीडीपी का 26% था। यह दिसंबर 2024 तक बढ़कर 41.9% हो गया। यह दिखाता है कि लोग पहले से कहीं ज्यादा कर्ज ले रहे हैं।


चिंता की बात यह है कि लोग अब घर खरीदने के बजाय रोजमर्रा की चीजों और लग्जरी आइटम्स के लिए ज्यादा कर्ज ले रहे हैं। क्रेडिट कार्ड, पर्सनल लोन और कंज्यूमर ड्यूरेबल लोन जैसे गैर-आवास खुदरा कर्ज कुल घरेलू लोन का 54.9% हो गए हैं। वहीं, होम लोन का हिस्सा कम हो गया है। इसका मतलब है कि लोग अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए कर्ज ले रहे हैं, न कि भविष्य की सुरक्षा के लिए।

आरबीआई ने इस पर चिंता जताई है और अनसिक्‍योर्ड लोन पर रिस्‍क वेटेड बढ़ा दिया है। इसका मतलब है कि बैंक अब ऐसे लोन देने में ज्यादा सावधानी बरत रहे हैं। लेकिन, फिर भी प्रति व्यक्ति घरेलू कर्ज बढ़ रहा है।

अच्‍छे और खराब लोन में फर्क
यह सब दिखाता है कि भारत में लोग संपत्ति बनाने के बजाय इच्छाओं को पूरा करने के लिए कर्ज ले रहे हैं। अगर यह प्रवृत्ति जारी रही तो इसे बड़ा कर्ज संकट लेने में वक्‍त नहीं लगेगा। इसलिए यह समझना बहुत जरूरी है कि कौन सा कर्ज अच्छा है और कौन सा बुरा। अच्छा कर्ज वह है जो आपकी कमाई बढ़ाता है या संपत्ति बनाता है, जैसे कि एजुकेशन लोन या बिजनेस लोन। बुरा कर्ज वह है जो आपकी इच्छाओं को पूरा करता है। लेकिन, कोई मूल्य नहीं जोड़ता। मसलन आईफोन या छुट्टियों के लिए लिया गया लोन।
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