पटना: बिहार के मिथिला अंचल की विशिष्ट पहचान इसकी समृद्ध संस्कृति है। कहा जाता है- 'पग-पग पोखर माछ मखान, सरस बोल मुस्की मुख पान।' यानी तालाब, मछली और मखाना मिथिला की खास पहचान हैं। इसके अलावा सिर पर धारण की जाने वाली 'पाग' भी इस इलाके की विशिष्ट पहचान है। बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार मिथिला में रोजगार या जातीय समीकरणों की बात नहीं हो रही, बल्कि मिथिला की सांस्कृतिक अस्मिता की बात हो रही है। बीजेपी, जनता दल यूनाईटेड (जेडीयू) और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) जैसे दल मिथिला की सांस्कृतिक पहचान को यहां के लोगों से 'भावनात्मक कनेक्ट' के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं।
मिथिला के गौरव की प्रतीक 'पाग' सिर पर पहनने वाली पगड़ी 'पाग' मिथिला की वेशभूषा का हिस्सा है जो यहां के लोगों को अलग पहचान देता है। पाग मिथिला में सम्मान और गौरव का प्रतीक है। अब राजनीतिक दल इसके लिए 'मिथिला प्राइड' शब्द का इस्तेमाल कर रहे हैं। जेडीयू नेता नीतीश कुमार से लेकर बीजेपी तक, सभी पार्टियां पाग को सांस्कृतिक और राजनीतिक प्रतीक के रूप में पेश कर रही हैं।
'पाग' पर विवाद के बाद डैमेज कंट्रोलदरअसल पिछले सप्ताह पाग को लेकर बीजेपी को विपक्ष की आलोचना का सामना करना पड़ा था। इसके बाद डैमेज कंट्रोल के लिए बीजेपी खास तौर पर मिथिला की संस्कृति का गुणगान करने लगी है। पिछले हफ्ते एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें मिथिला की अलिनगर विधानसभा सीट पर बीजेपी की उम्मीदवार प्रसिद्ध लोक गायिका मैथिली ठाकुर पारंपरिक मिथिला पाग में मखाने रखकर उन्हें खाते हुए दिखाई दे रही थीं। लोगों ने इसे मिथिला की संस्कृति का गंभीर अपमान बताया। सोशल मीडिया पर लोगों ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि इस क्षेत्र की गरिमा और गौरव की प्रतीक पाग है, और मैथिली ने इसका घोर अनादर किया है।
इसके बाद मैथिली ठाकुर लोगों की नाराजगी दूर करने के प्रयास में जुटी हैं। अब वे अपने चुनाव प्रचार में लगातार पाग पहने हुए नजर आ रही हैं। उन्होंने एक्स पर अपने प्रचार की कई तस्वीरें पोस्ट कीं। उन्होंने कैप्शन के साथ लिखा- 'मिथिला पाग हमारा सांस्कृतिक प्रेम है।'
'पाग' और मैथिली ठाकुरचुनाव के दौर में पाग को लेकर एक अन्य विवाद ने भी बीजेपी को कटखरे में खड़ा किया। मैथिली ठाकुर के प्रचार के लिए अलिनगर पहुंचीं उत्तर प्रदेश की विधायक केतकी सिंह ने एक ऐसा बयान दे दिया जिससे सियासत गर्मा गई। एक सभा के दौरान मंच पर केतकी सिंह को पाग पहनाई गई। इस पर उन्होंने पाग को यह कहते हुए फेंक दिया कि यह मिथिला का सम्मान नहीं, बल्कि मैथिली ठाकुर ही मिथिला का सम्मान हैं। इस घटना का वीडियो वायरल हो गया। बीजेपी पर आरोप लगा कि उसकी नेता ने मिथिला की अस्मिता का अपमान किया है। इस घटना के बाद भी मैथिली ठाकुर ने स्थिति को संभालने की कोशिश की और कहा- 'मिथिलाक पाग हमर सभक प्रीत', यानी मिथिला की पाग हमारी सबकी प्रेम और पहचान की निशानी है।
इन घटनाओं के बाद से बीजेपी खास तौर पर मिथिला की संस्कृति के संरक्षण पर जोर दे रही है। बुधवार को अलिनगर में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि, यह चुनाव सिर्फ सत्ता परिवर्तन का नहीं, बल्कि मिथिला की संस्कृति, अस्मिता और राष्ट्रभक्ति की रक्षा का चुनाव है। शाह ने कहा कि मैथिली ठाकुर मिथिला की “संस्कृति और आस्था की सशक्त आवाज़” हैं।
अमित शाह ने धार्मिक पर्यटन के क्षेत्र में मिथिला के लिए बड़ा वादा किया। उन्होंने कहा, “अब केंद्र सरकार ‘सीता सर्किट’ योजना के तहत दरभंगा, सीतामढ़ी, जनकपुर और अलीनगर को धार्मिक पर्यटन सर्किट से जोड़ेगी। सीता माता मंदिर का पुनरुद्धार होगा और मिथिला को वैश्विक पर्यटन मानचित्र पर लाया जाएगा।”
मखाना उत्पादकों को लुभाने की कोशिश मिथिला का मखाना, जिसे यहां मखान कहा जाता है, क्षेत्र की आजीविका और अर्थव्यवस्था से जुड़ा हुआ है। मखाना उत्पादन में मिथिलांचल देश में अव्वल है। विधानसभा चुनाव में बीजेपी और जेडीयू मखाना उत्पादकों को लुभाने की कोशिश में लगी हैं। मखाना को जीआई टैग मिलने के बाद यह राजनीतिक मुद्दा बन गया है।
मिथिला जलीय मखाने की पैदावार होती है। यह मखाने की एक विशेष किस्म है जिसकी खेती बिहार के मिथिला क्षेत्र के अलावा नेपाल में होती है। बिहार के सुपरफूड मिथिला मखाना को अब दुनिया में विशेष पहचान मिल गई है। इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर का एचएस (हर्मोनाइज्ड सिस्टम) कोड प्रदान किया गया है। इसे एक ऐतिहासिक उपलब्धि माना जा रहा है। इससे मखाना उत्पादकों, इसकी प्रोसेसिंग करने वालों और उद्यमियों को फायदा मिलने की उम्मीद है। मिथिला के दरभंगा, मधुबनी, सहरसा, सुपौल, पूर्णिया, कटिहार सहित कुछ अन्य जिलों में मखाना का उत्पादन होता है। मिथिला के मखाना को जीआई टैग मिलने को बीजेपी अपनी उपलब्धि बता रही है और चुनाव में इसका लाभ लेने की कोशिश कर रही है।
माछ और पान मिथिला की पहचानमाछ, यानी मछली मिथिला के पारंपरिक भोजन का हिस्सा है और इस अंचल की पहचान भी है। चुनाव में राजनीतिक दल माछ को भी मिथिला के सांस्कृतिक गौरव के रूप में पेश कर रहे हैं। राजनीतिक दल इसे लोक संस्कृति के संरक्षण से जोड़ रहे हैं। वे मछली पालन को प्रोत्साहित करने की बात कह रहे हैं।
पान वैसे तो देश के करीब सभी हिस्सों में खाया जाता है, पर मिथिला में यह सामाजिक पहचान और अपनत्व का प्रतीक है। मिथिला में पान न सिर्फ स्वाद, बल्कि सामाजिक संबंधों का भी प्रतीक है। राजनीतिक पार्टियां इसे भी स्थानीय भावनाओं से जोड़कर लोगों का समर्थन हासिल करने की कोशिश कर रही हैं।
सांस्कृतिक पहचान के जरिए मिथिला से गहरे जुड़ने के प्रयास
हालांकि मैथिली संस्कृति सिर्फ पाग, पान, मखाना या माछ तक सीमित नहीं है, मैथिली भाषा भी इस क्षेत्र को विशिष्ट बनाती है। मैथिली भाषा और साहित्य की समृद्ध परंपरा है। मैथिली भाषा बोलने वाले लोग खुद को मैथिल कहते हैं। मिथिला की मधुबनी पेंटिंग भी मिथिला की सबसे प्रसिद्ध पहचानों में से एक है। मधुबनी पेंटिंग पारंपरिक रूप से दीवारों पर बनाई जाती थी, जो अब विश्व भर में प्रसिद्ध है।
गंगा नदी से उत्तर और हिमालय की तलहटी तक फैले मिथिलांचल में इन दिनों विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार चरम पर पहुंच गया है। चुनाव में मिथिला की सांस्कृतिक और कलात्मक पहचान का मुद्दा हावी है। राजनीतिक दल मिथिला के लोगों से उनकी सांस्कृतिक पहचान के जरिए संबंध गहरे करने की कोशिश कर रहे हैं।
मिथिला के गौरव की प्रतीक 'पाग' सिर पर पहनने वाली पगड़ी 'पाग' मिथिला की वेशभूषा का हिस्सा है जो यहां के लोगों को अलग पहचान देता है। पाग मिथिला में सम्मान और गौरव का प्रतीक है। अब राजनीतिक दल इसके लिए 'मिथिला प्राइड' शब्द का इस्तेमाल कर रहे हैं। जेडीयू नेता नीतीश कुमार से लेकर बीजेपी तक, सभी पार्टियां पाग को सांस्कृतिक और राजनीतिक प्रतीक के रूप में पेश कर रही हैं।
'पाग' पर विवाद के बाद डैमेज कंट्रोलदरअसल पिछले सप्ताह पाग को लेकर बीजेपी को विपक्ष की आलोचना का सामना करना पड़ा था। इसके बाद डैमेज कंट्रोल के लिए बीजेपी खास तौर पर मिथिला की संस्कृति का गुणगान करने लगी है। पिछले हफ्ते एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें मिथिला की अलिनगर विधानसभा सीट पर बीजेपी की उम्मीदवार प्रसिद्ध लोक गायिका मैथिली ठाकुर पारंपरिक मिथिला पाग में मखाने रखकर उन्हें खाते हुए दिखाई दे रही थीं। लोगों ने इसे मिथिला की संस्कृति का गंभीर अपमान बताया। सोशल मीडिया पर लोगों ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि इस क्षेत्र की गरिमा और गौरव की प्रतीक पाग है, और मैथिली ने इसका घोर अनादर किया है।
इसके बाद मैथिली ठाकुर लोगों की नाराजगी दूर करने के प्रयास में जुटी हैं। अब वे अपने चुनाव प्रचार में लगातार पाग पहने हुए नजर आ रही हैं। उन्होंने एक्स पर अपने प्रचार की कई तस्वीरें पोस्ट कीं। उन्होंने कैप्शन के साथ लिखा- 'मिथिला पाग हमारा सांस्कृतिक प्रेम है।'
'पाग' और मैथिली ठाकुरचुनाव के दौर में पाग को लेकर एक अन्य विवाद ने भी बीजेपी को कटखरे में खड़ा किया। मैथिली ठाकुर के प्रचार के लिए अलिनगर पहुंचीं उत्तर प्रदेश की विधायक केतकी सिंह ने एक ऐसा बयान दे दिया जिससे सियासत गर्मा गई। एक सभा के दौरान मंच पर केतकी सिंह को पाग पहनाई गई। इस पर उन्होंने पाग को यह कहते हुए फेंक दिया कि यह मिथिला का सम्मान नहीं, बल्कि मैथिली ठाकुर ही मिथिला का सम्मान हैं। इस घटना का वीडियो वायरल हो गया। बीजेपी पर आरोप लगा कि उसकी नेता ने मिथिला की अस्मिता का अपमान किया है। इस घटना के बाद भी मैथिली ठाकुर ने स्थिति को संभालने की कोशिश की और कहा- 'मिथिलाक पाग हमर सभक प्रीत', यानी मिथिला की पाग हमारी सबकी प्रेम और पहचान की निशानी है।
इन घटनाओं के बाद से बीजेपी खास तौर पर मिथिला की संस्कृति के संरक्षण पर जोर दे रही है। बुधवार को अलिनगर में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि, यह चुनाव सिर्फ सत्ता परिवर्तन का नहीं, बल्कि मिथिला की संस्कृति, अस्मिता और राष्ट्रभक्ति की रक्षा का चुनाव है। शाह ने कहा कि मैथिली ठाकुर मिथिला की “संस्कृति और आस्था की सशक्त आवाज़” हैं।
अमित शाह ने धार्मिक पर्यटन के क्षेत्र में मिथिला के लिए बड़ा वादा किया। उन्होंने कहा, “अब केंद्र सरकार ‘सीता सर्किट’ योजना के तहत दरभंगा, सीतामढ़ी, जनकपुर और अलीनगर को धार्मिक पर्यटन सर्किट से जोड़ेगी। सीता माता मंदिर का पुनरुद्धार होगा और मिथिला को वैश्विक पर्यटन मानचित्र पर लाया जाएगा।”
मखाना उत्पादकों को लुभाने की कोशिश मिथिला का मखाना, जिसे यहां मखान कहा जाता है, क्षेत्र की आजीविका और अर्थव्यवस्था से जुड़ा हुआ है। मखाना उत्पादन में मिथिलांचल देश में अव्वल है। विधानसभा चुनाव में बीजेपी और जेडीयू मखाना उत्पादकों को लुभाने की कोशिश में लगी हैं। मखाना को जीआई टैग मिलने के बाद यह राजनीतिक मुद्दा बन गया है।
मिथिला जलीय मखाने की पैदावार होती है। यह मखाने की एक विशेष किस्म है जिसकी खेती बिहार के मिथिला क्षेत्र के अलावा नेपाल में होती है। बिहार के सुपरफूड मिथिला मखाना को अब दुनिया में विशेष पहचान मिल गई है। इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर का एचएस (हर्मोनाइज्ड सिस्टम) कोड प्रदान किया गया है। इसे एक ऐतिहासिक उपलब्धि माना जा रहा है। इससे मखाना उत्पादकों, इसकी प्रोसेसिंग करने वालों और उद्यमियों को फायदा मिलने की उम्मीद है। मिथिला के दरभंगा, मधुबनी, सहरसा, सुपौल, पूर्णिया, कटिहार सहित कुछ अन्य जिलों में मखाना का उत्पादन होता है। मिथिला के मखाना को जीआई टैग मिलने को बीजेपी अपनी उपलब्धि बता रही है और चुनाव में इसका लाभ लेने की कोशिश कर रही है।
माछ और पान मिथिला की पहचानमाछ, यानी मछली मिथिला के पारंपरिक भोजन का हिस्सा है और इस अंचल की पहचान भी है। चुनाव में राजनीतिक दल माछ को भी मिथिला के सांस्कृतिक गौरव के रूप में पेश कर रहे हैं। राजनीतिक दल इसे लोक संस्कृति के संरक्षण से जोड़ रहे हैं। वे मछली पालन को प्रोत्साहित करने की बात कह रहे हैं।
पान वैसे तो देश के करीब सभी हिस्सों में खाया जाता है, पर मिथिला में यह सामाजिक पहचान और अपनत्व का प्रतीक है। मिथिला में पान न सिर्फ स्वाद, बल्कि सामाजिक संबंधों का भी प्रतीक है। राजनीतिक पार्टियां इसे भी स्थानीय भावनाओं से जोड़कर लोगों का समर्थन हासिल करने की कोशिश कर रही हैं।
सांस्कृतिक पहचान के जरिए मिथिला से गहरे जुड़ने के प्रयास
हालांकि मैथिली संस्कृति सिर्फ पाग, पान, मखाना या माछ तक सीमित नहीं है, मैथिली भाषा भी इस क्षेत्र को विशिष्ट बनाती है। मैथिली भाषा और साहित्य की समृद्ध परंपरा है। मैथिली भाषा बोलने वाले लोग खुद को मैथिल कहते हैं। मिथिला की मधुबनी पेंटिंग भी मिथिला की सबसे प्रसिद्ध पहचानों में से एक है। मधुबनी पेंटिंग पारंपरिक रूप से दीवारों पर बनाई जाती थी, जो अब विश्व भर में प्रसिद्ध है।
गंगा नदी से उत्तर और हिमालय की तलहटी तक फैले मिथिलांचल में इन दिनों विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार चरम पर पहुंच गया है। चुनाव में मिथिला की सांस्कृतिक और कलात्मक पहचान का मुद्दा हावी है। राजनीतिक दल मिथिला के लोगों से उनकी सांस्कृतिक पहचान के जरिए संबंध गहरे करने की कोशिश कर रहे हैं।
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