नई दिल्ली: भारतीय सशस्त्र सेना का संयुक्त अभ्यास 'त्रिशूल' संपन्न हो गया है। इसे ट्राई-सर्विस एक्सरसाइज (TSE-2025) 'त्रिशूल'का नाम दिया गया था। इस एक्सरसाइज को भारतीय नौसेना ( Indian Navy ) ने भारतीय सेना ( Indian Army )और भारतीय वायु सेना ( Indian Air Force ) के साथ मिलकर अंजाम दिया। इनके अलावा अन्य पैरामिलिट्री फोर्स और केंद्रीय एजेंसियों ने भी इस अभ्यास को सफल बनाने में अपनी ओर से हर संभव योगदान दिया।
'त्रिशूल' में दिखा तीनों सेनाओं का तालमेल
'त्रिशूल' अभ्यास के दौरान एक चुनौतपूर्ण ड्रिल को 3 से 7 नवंबर के बीच अंजाम दिया गया। इस दौरान राजस्थान और गुजरात से लेकर उत्तरी अरब सागर तक में तीनों सेनाओं ने बहुत ही शानदार अभ्यास किया। इस अभ्यास ने भारत के संयुक्त युद्ध रणनीति को अंजाम देने की क्षमता का परिचय दिया है। इस अभ्यास की अगुवाई वेस्टर्न नेवल कमांड ने भारतीय सेना की दक्षिणी कमान और वायु सेना के दक्षिण-पश्चिम कमान के साथ साझेदारी में संपन्न किया।
सतह से समंदर और आसमान तक जलवा
इस बड़े सैन्य अभ्यास में 30,000 से अधिक जवान शामिल हुए। मिलिट्री ने इस दौरान कई अहम सैन्य साजो-सामान का उपयोग किया। वहीं इसमें 20 से 25 समुद्री जहाज और पनडुब्बियां भी शामिल हुईं, जिनमें विशेष रूप से एंफीबियस (amphibious) जहाज भी थे। इनके अलावा, 40 से अधिक विमान और धरातल पर इस्तेमाल होने वाले कई सिस्टम भी तैनात किए गए थे।
मिलकर लड़ने की क्षमता की हुई परख
'त्रिशूल'अभ्यास का मुख्य उद्देश्य तीनों सेनाओं के मिलकर लड़ने की क्षमता को और बेहतर करना था। इस अभ्यास से भारतीय सशस्त्र सेना की इस ताकत को और भी अच्छे से परखा जा सका। यही नहीं, तीनों सेनाओं के अलावा इसमें भारतीय तटरक्षक दल (Indian Coast Guard), सीमा सुरक्षा बल (Border Security Force) और अन्य केंद्रीय एजेंसियों ने भी हिस्सा लिया। बता दें कि इस अभ्यास को लेकर पाकिस्तानी सेना में इस कदर डर भरा हुआ था कि उसने अपने हवाई क्षेत्र को पूरी तरह से बंद कर दिया था।
रेगिस्तान में बड़े अभ्यास को दिया अंजाम
इसी के तहत भारतीय सेना ने रेगिस्तान में भी बड़े पैमाने पर अभ्यास किया। इसमें थार रैप्टर ब्रिगेड के हेलीकॉप्टर और सुदर्शन चक्र और कोणार्क कोर के टैंकों ने मिलकर अभ्यास को अंजाम दिया। इस अभ्यास में हेलीकॉप्टरों ने कई तरह की भूमिकाएं निभाईं। उन्होंने जासूसी ,सैनिकों को तेजी से एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने; और जमीनी सैनिकों को हवाई मदद पहुंचाकर दिखाया। यह दक्षिणी कमान के रेगिस्तानी युद्धाभ्यास 'मरुज्वाला' और 'अखंड प्रहार' का भी हिस्सा था।
'त्रिशूल' में दिखा तीनों सेनाओं का तालमेल
'त्रिशूल' अभ्यास के दौरान एक चुनौतपूर्ण ड्रिल को 3 से 7 नवंबर के बीच अंजाम दिया गया। इस दौरान राजस्थान और गुजरात से लेकर उत्तरी अरब सागर तक में तीनों सेनाओं ने बहुत ही शानदार अभ्यास किया। इस अभ्यास ने भारत के संयुक्त युद्ध रणनीति को अंजाम देने की क्षमता का परिचय दिया है। इस अभ्यास की अगुवाई वेस्टर्न नेवल कमांड ने भारतीय सेना की दक्षिणी कमान और वायु सेना के दक्षिण-पश्चिम कमान के साथ साझेदारी में संपन्न किया।
#TriServiceExercise2025
— SpokespersonNavy (@indiannavy) November 10, 2025
Complex scenarios and synchronised multi-domain operations involving 20-25 surface and subsurface assets including amphibious platforms of the #IndianNavy, more than 40 aircraft with associated ground based assets of #IndianAirForce, over 30,000 personnel… pic.twitter.com/knuvEMgBnY
सतह से समंदर और आसमान तक जलवा
इस बड़े सैन्य अभ्यास में 30,000 से अधिक जवान शामिल हुए। मिलिट्री ने इस दौरान कई अहम सैन्य साजो-सामान का उपयोग किया। वहीं इसमें 20 से 25 समुद्री जहाज और पनडुब्बियां भी शामिल हुईं, जिनमें विशेष रूप से एंफीबियस (amphibious) जहाज भी थे। इनके अलावा, 40 से अधिक विमान और धरातल पर इस्तेमाल होने वाले कई सिस्टम भी तैनात किए गए थे।
मिलकर लड़ने की क्षमता की हुई परख
'त्रिशूल'अभ्यास का मुख्य उद्देश्य तीनों सेनाओं के मिलकर लड़ने की क्षमता को और बेहतर करना था। इस अभ्यास से भारतीय सशस्त्र सेना की इस ताकत को और भी अच्छे से परखा जा सका। यही नहीं, तीनों सेनाओं के अलावा इसमें भारतीय तटरक्षक दल (Indian Coast Guard), सीमा सुरक्षा बल (Border Security Force) और अन्य केंद्रीय एजेंसियों ने भी हिस्सा लिया। बता दें कि इस अभ्यास को लेकर पाकिस्तानी सेना में इस कदर डर भरा हुआ था कि उसने अपने हवाई क्षेत्र को पूरी तरह से बंद कर दिया था।
रेगिस्तान में बड़े अभ्यास को दिया अंजाम
इसी के तहत भारतीय सेना ने रेगिस्तान में भी बड़े पैमाने पर अभ्यास किया। इसमें थार रैप्टर ब्रिगेड के हेलीकॉप्टर और सुदर्शन चक्र और कोणार्क कोर के टैंकों ने मिलकर अभ्यास को अंजाम दिया। इस अभ्यास में हेलीकॉप्टरों ने कई तरह की भूमिकाएं निभाईं। उन्होंने जासूसी ,सैनिकों को तेजी से एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने; और जमीनी सैनिकों को हवाई मदद पहुंचाकर दिखाया। यह दक्षिणी कमान के रेगिस्तानी युद्धाभ्यास 'मरुज्वाला' और 'अखंड प्रहार' का भी हिस्सा था।
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