नालंदा: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण में शामिल हरनौत विधानसभा सीट के लिए 65.40 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। इससे पहले सुबह सात बजे मतदान शुरू होने के पहले ही कई मतदान केंद्रों पर वोटरों की लंबी कतारें लग चुकी थी। वोट को लेकर महिला मतदाताओं में भी खासा उत्साह देखा जा रहा है। इस बार भी मुख्य मुकाबला एनडीए और महागठबंधन के बीच मुख्य मुकाबला माना जा रहा है, लेकिन जन सुराज और अन्य उम्मीदवारों ने मुकाबले के दिलचस्प बना दिया है। वहीं सीट राजनीतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि ये मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का पैतृक क्षेत्र है, और उनका गांव कल्याण बिगहा इसी निर्वाचन क्षेत्र में आता है।
जेडीयू की मज़बूत पकड़ पर चुनौती
हरनौत पारंपरिक रूप से जनता दल यूनाइटेड जेडीयू का गढ़ रहा है। जेडीयू के हरि नारायण सिंह ने यहां लगातार तीन बार जीत हासिल की है। 2020 के चुनाव में भी, उन्होंने लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) की ममता देवी को 27,241 वोटों के बड़े अंतर से हराकर सीट बरकरार रखी थी। हालांकि इस चुनाव में मौजूदा विधायक के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर और स्थानीय स्तर पर बदलाव की मांग एक बड़ा चुनावी फैक्टर बन सकती है।
लाइव अपडेट के लिए यहां क्लिक करें
जातीय समीकरण पर जेडीयू को भरोसा
यह सीट मुख्य रूप से कुर्मी, पासवान और यादव मतदाताओं के प्रभुत्व वाली है, जिनमें राजपूत, भूमिहार और रविदास समुदाय की भी अच्छी संख्या है। नीतीश कुमार के गृह क्षेत्र के रूप में जेडीयू अपनी मज़बूत आधार वोट (कुर्मी) और एनडीए गठबंधन के व्यापक समर्थन पर निर्भर करेगी।
आरजेडी को यादव पासवान वोटों पर भरोसा
राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) यहां यादव और पासवान वोटों के बल पर एनडीए के गढ़ को भेदने की कोशिश करेगा। 2020 में लोजपा (तब एनडीए से बाहर) का मजबूत प्रदर्शन दर्शाता है कि यहां कांटे की टक्कर संभव है।हरनौत का मुकाबला क्षेत्रीय विकास, स्थानीय विधायक के प्रदर्शन और जातीय ध्रुवीकरण के इर्द-गिर्द घूमता रहेगा, जिससे यह सीट राज्य के सबसे दिलचस्प मुकाबलों में से एक बन गई है।
जेडीयू की मज़बूत पकड़ पर चुनौती
हरनौत पारंपरिक रूप से जनता दल यूनाइटेड जेडीयू का गढ़ रहा है। जेडीयू के हरि नारायण सिंह ने यहां लगातार तीन बार जीत हासिल की है। 2020 के चुनाव में भी, उन्होंने लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) की ममता देवी को 27,241 वोटों के बड़े अंतर से हराकर सीट बरकरार रखी थी। हालांकि इस चुनाव में मौजूदा विधायक के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर और स्थानीय स्तर पर बदलाव की मांग एक बड़ा चुनावी फैक्टर बन सकती है।
लाइव अपडेट के लिए यहां क्लिक करें
जातीय समीकरण पर जेडीयू को भरोसा
यह सीट मुख्य रूप से कुर्मी, पासवान और यादव मतदाताओं के प्रभुत्व वाली है, जिनमें राजपूत, भूमिहार और रविदास समुदाय की भी अच्छी संख्या है। नीतीश कुमार के गृह क्षेत्र के रूप में जेडीयू अपनी मज़बूत आधार वोट (कुर्मी) और एनडीए गठबंधन के व्यापक समर्थन पर निर्भर करेगी।
आरजेडी को यादव पासवान वोटों पर भरोसा
राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) यहां यादव और पासवान वोटों के बल पर एनडीए के गढ़ को भेदने की कोशिश करेगा। 2020 में लोजपा (तब एनडीए से बाहर) का मजबूत प्रदर्शन दर्शाता है कि यहां कांटे की टक्कर संभव है।हरनौत का मुकाबला क्षेत्रीय विकास, स्थानीय विधायक के प्रदर्शन और जातीय ध्रुवीकरण के इर्द-गिर्द घूमता रहेगा, जिससे यह सीट राज्य के सबसे दिलचस्प मुकाबलों में से एक बन गई है।
You may also like

एसीबी ने रिश्वत के बीस लाख रुपए लेकर भागे एमएलए के पीए को दबोचा

डमी अभ्यर्थी को बैठाकर चयनित हुआ तृतीय श्रेणी अध्यापक सचिन कुमार बघेल गिरफ्तार

IAS इंटरव्यूˈ में पूछा ऐसा कौन सा पक्षी है जो केवल बरसात का ही पानी पीता है﹒

वॉशिंग मशीनˈ में कपड़े धोने से पहले नहीं देखीं जेबें। अंदर छुपी चीज़ ने किया ज़ोरदार धमाका दहशत में घरवाले﹒

हार्ट मेंˈ ब्लॉकेज होने पर जरूर दिखते हैं ये लक्षण न करें नजरअंदाज﹒




