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अमेरिकी AIM-120 मिसाइल सौदा..पाकिस्तान को मिला मौका..तो मोदी सरकार पर भड़की कांग्रेस

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नई दिल्ली: अमेरिका की ओर से एआईएम-120 एडवांस्ड मीडियम-रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल (AIM-120 Advanced Medium-Range Air-to-Air Missiles-AMRAAM) सौदे में पाकिस्तान का नाम शामिल होने से भारत की राजनीति में उबाल आ गया है। कांग्रेस ने इसे मोदी सरकार की कूटनीतिक नाकामी बताते हुए, उसपर जोरदार हमला बोला है। हालांकि, अमेरिका ने यह मिसाइल नाटो देशों के अलावा ताइवान और इजरायल को भी देने का फैसला किया है, जिससे रूस, चीन और ईरान तक के कान खड़े हो सकते हैं।



AIM-120 मिसाइल सौदा नई चाल!

कांग्रेस पार्टी के महासचिव (संचार प्रभारी) जयराम रमेश ने एक्स पर अमेरिकी सरकार का नोटिफिकेशन शेयर करते हुए मोदी सरकार के खिलाफ तंज भरे अंदाज में लिखा है 'कूटनीतिक पर्यावरण कितनी तेजी से बदलते हैं, और कितनी जल्दी कूटनीतिक नाकामी जमा होती जाती हैं।' कांग्रेस नेता ने लिखा है कि अमेरिका के युद्ध विभाग के 7 मई, 2025 के नोटिफिकेशन के मुताबिक रेथियॉन की एडवांस्ड मीडियम रेंज एयर टू एयर मिसाइल की सप्लाई कनाडा, ताइवान, बुल्गारिया, हंगरी, पोलैंड, स्वीडन, चेक रिपब्लिक, दक्षिण कोरिया, कुवैत, जापान, फिनलैंड, जर्मनी, यूके, इटली, नीदरलैंड, नॉर्वे, बेल्जियम, ऑस्ट्रेलिया, तुर्की, स्पेन और लिथुआनिया को की जानी थी।

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पाकिस्तान को मिसाइल, कांग्रेस का सवाल

उन्होंने आगे लिखा है कि 30 सितंबर, 2025 के अमेरिकी युद्ध विभाग के नोटिफिकेशन में कतर, ओमान, सऊदी अरब, इजरायल, तुर्की और 'पाकिस्तान' जैसे देशों को भी रेथियॉन एयर टू एयर मिसाइल की मिलिट्री सप्लाई के लिए शामिल कर लिया गया है।



एफ-16 लड़ाकू विमानों में पाक करेगा इस्तेमाल

पाकिस्तानी अखबार 'डॉन'की एक रिपोर्ट के अनुसार, ये मिसाइल पाकिस्तानी वायु सेना के एफ-16 लड़ाकू विमान पर तैनात की जाएंगी। पाकिस्तान को यह फाइटर जेट भी अमेरिका से मिले हैं। वैसे यह मिसाइल कथित तौर पर 2019 में बालाकोट हवाई हमलों के बाद हुए हवाई हमलों के दौरान पाकिस्तानी वायु सेना इस्तेमाल भी कर चुकी है। पाकिस्तान को यह मिसाइल मिलना भारत के लिए चिंता की वजह हो सकती है और कांग्रेस यही सवाल उठाने की कोशिश कर रही है कि क्या यह कूटनीतिक नाकामी है, जिससे पाकिस्तान इस डील में शामिल हो गया।



रूस, चीन और ईरान को भी भड़काने की कोशिश!

हालांकि, अमेरिका ने जिस तरह से इस मिसाइल डील में अपने नाटो सहयोगियों के अलावा ताइवान, पाकिस्तान और इजरायल को शामिल किया है, यह सिर्फ भारत के लिए ही नहीं, चीन, रूस के लिए भी चिंता की वजह है। क्योंकि, यह संबंधित क्षेत्रों में रक्षा संतुलन को बदल सकता है।

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