नई दिल्ली: भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पश्चिमी देशों को हकीकत बता दी। विदेश मंत्री ने कहा कि वैश्विक ऊर्जा व्यापार तेजी से संकुचित होता जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि सिद्धांतों को चुनिंदा रूप से लागू किया जा रहा है। ये बातें विदेश मंत्री ने 20वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में कही हैं।
जयशंकर ने कहा कि विश्व एक जटिल समय से गुजर रहा है। आपूर्ति श्रृंखलाएं सिकुड़ रही हैं, ऊर्जा बाजार सीमित हैं। संसाधनों तथा तकनीक के लिए तीव्र प्रतिस्पर्धा है। आपूर्ति चैन की विश्वसनीयता और बाजारों तक पहुंच को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं। तकनीकी प्रगति बहुत प्रतिस्पर्धी हो गई है। प्राकृतिक संसाधनों की खोज तो और भी ज्यादा प्रतिस्पर्धी हो गई है।
सिद्धांतों को चुनिंदा ढंग से लागू किया जा रहाविदेश मंत्री ने कहा कि ऊर्जा व्यापार लगातार संकुचित होता जा रहा है, जिसके परिणामस्वरूप बाजार विकृतियां पैदा हो रही हैं। उन्होंने आगे कहा कि सिद्धांतों को चुनिंदा ढंग से लागू किया जाता है और जो उपदेश दिया जाता है, जरूरी नहीं कि उस पर अमल भी किया जाए।
गंभीर वैश्विक चर्चा की जरूरत पर दिया जाोरबहुध्रुवीयता न केवल स्थायी रहेगी, बल्कि बढ़ती भी रहेगी। इन सबके लिए गंभीर वैश्विक चर्चा की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इस बात पर जोर दिया कि राष्ट्रों को संवाद, सहयोग और लचीले समाधानों के माध्यम से उभरती वास्तविकताओं के अनुकूल ढलना होगा।
जयशंकर ने मार्को रूबियो से की मुलाकातजयशंकर की यह टिप्पणी शिखर सम्मेलन से इतर अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो से मुलाकात के कुछ ही घंटों बाद आई है। यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब भारत और अमेरिका, वॉशिंगटन द्वारा भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ बढ़ाए जाने के बाद तनाव कम करने की कोशिश कर रहे हैं। यह मुलाकात व्यापार विवादों को सुलझाने और रणनीतिक सहयोग को मजबूत करने के निरंतर प्रयासों का हिस्सा थी।
जयशंकर ने कहा कि विश्व एक जटिल समय से गुजर रहा है। आपूर्ति श्रृंखलाएं सिकुड़ रही हैं, ऊर्जा बाजार सीमित हैं। संसाधनों तथा तकनीक के लिए तीव्र प्रतिस्पर्धा है। आपूर्ति चैन की विश्वसनीयता और बाजारों तक पहुंच को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं। तकनीकी प्रगति बहुत प्रतिस्पर्धी हो गई है। प्राकृतिक संसाधनों की खोज तो और भी ज्यादा प्रतिस्पर्धी हो गई है।
सिद्धांतों को चुनिंदा ढंग से लागू किया जा रहाविदेश मंत्री ने कहा कि ऊर्जा व्यापार लगातार संकुचित होता जा रहा है, जिसके परिणामस्वरूप बाजार विकृतियां पैदा हो रही हैं। उन्होंने आगे कहा कि सिद्धांतों को चुनिंदा ढंग से लागू किया जाता है और जो उपदेश दिया जाता है, जरूरी नहीं कि उस पर अमल भी किया जाए।
गंभीर वैश्विक चर्चा की जरूरत पर दिया जाोरबहुध्रुवीयता न केवल स्थायी रहेगी, बल्कि बढ़ती भी रहेगी। इन सबके लिए गंभीर वैश्विक चर्चा की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इस बात पर जोर दिया कि राष्ट्रों को संवाद, सहयोग और लचीले समाधानों के माध्यम से उभरती वास्तविकताओं के अनुकूल ढलना होगा।
जयशंकर ने मार्को रूबियो से की मुलाकातजयशंकर की यह टिप्पणी शिखर सम्मेलन से इतर अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो से मुलाकात के कुछ ही घंटों बाद आई है। यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब भारत और अमेरिका, वॉशिंगटन द्वारा भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ बढ़ाए जाने के बाद तनाव कम करने की कोशिश कर रहे हैं। यह मुलाकात व्यापार विवादों को सुलझाने और रणनीतिक सहयोग को मजबूत करने के निरंतर प्रयासों का हिस्सा थी।
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