US Universities ROI: अमेरिका में हायर एुजकेशन काफी महंगा है, जिस वजह से यहां एडमिशन लेने से पहले काफी सोच-विचार करना पड़ता है। भारतीय छात्रों को तो यूएस में डिग्री लेने के लिए एक करोड़ रुपये तक खर्च करने पड़ते हैं। ट्यूशन फीस में हो रहे इजाफे, स्टूडेंट्स पर बढ़ रहा एजुकेशन लोन और अनिश्चितताओं से भरे जॉब मार्केट ने स्टूडेंट्स को सोचने पर मजबूर किया है। हालात ऐसे हैं कि अब स्टूडेंट ये सवाल पूछ रहे हैं- क्या अमेरिका की यूनिवर्सिटी से मिलने वाली डिग्री की वैल्यू भी है?
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पिछले कुछ सालों में लोगों का हायर एजुकेशन के ऊपर से भरोसा कम हुआ है। इसकी वजह सिर्फ आर्थिक दबाव ही नहीं है, बल्कि जॉब मार्केट का बुरा हाल भी है। यही वजह है कि अब यूनिवर्सिटी सीधे तौर पर रिटर्न ऑन इंवेस्टमेंट (ROI) पर फोकस कर रही हैं। आसान भाषा में कहें तो जितना स्टूडेंट पढ़ने पर पैसा खर्च कर रहे हैं, उसके बदले उन्हें मिलने वाले लाभ की बात की जा रही है। ऐसे में आइए जानते हैं कि क्या अमेरिका में अभी हायर एजुकेशन के लिए जाना फायदे का सौदा होगा।
रिटर्न ऑन इंवेस्टमेंट का क्या हाल है?
स्ट्रैडा एजुकेशन फाउंडेशन ने एक विश्लेषण जारी किया है। इसमें बताया गया है कि सरकारी यूनिवर्सिटीज से पढ़कर ग्रेजुएट हुए 70% छात्रों को उम्मीद है कि उन्हें अगले 10 सालों में पढ़ाई पर किए गए खर्च का सकारात्मक रिटर्न मिलेगा। एक डिग्री को सकारात्मक ROI तब माना जाता है, जब एक ग्रेजुएट उस अवधि में एक हाई स्कूल से पढ़कर निकले स्टूडेंट की तुलना में ज्यादा कमाता है, जो डिग्री की लागत से अधिक हो जाता है।
आसान भाषा में कहें तो अगर ग्रेजुएट स्टूडेंट को किसी स्कूल से पासआउट स्टूडेंट की तुलना में ज्यादा सैलरी मिल रही है, तो उसने जो पढ़ाई पर खर्च किया है, उसकी वैल्यू ज्यादा हुई। प्रेस्टन कूपर ऑफ द अमेरिकन एंटरप्राइज इंस्टीट्यूट ने एसोसिएटेड प्रेस को बताया, स्टूडेंट अब इस बात पर ज्यादा जोर दे रहे हैं कि कॉलेज से मिलने वाली डिग्री मायने भी रखती है या नहीं। फिलहाल आंकड़ें बता रहे हैं कि स्टूडेंट्स को डिग्री के ROI पर भरोसा है।
जॉब मार्केट का हाल क्या है?
अमेरिका के जॉब मार्केट को लेकर चिंताएं अभी भी जस की तस बनी हुई हैं। बर्निंग ग्लास इंस्टीट्यूट के अनुसार, स्ट्रैडा के साथ किए गए रिसर्च में, हालिया ग्रेजुएट्स में से 52% ऐसे पदों पर काम कर रहे हैं जिनके लिए डिग्री की जरूरत नहीं होती है। नर्सिंग और एजुकेशन को पारंपरिक तौर पर मजबूत करियर वाली फील्ड माना जाता रहा है, लेकिन यहां पर भी कम रोजगार वाले ग्रेजुएट्स की संख्या ज्यादा है।
फिलहाल अमेरिकी जॉब मार्केट ठंडा पड़ा हुआ है। टेक, फाइनेंस जैसे सेक्टर्स में बड़े पैमाने पर छंटनी हुई है। सरकार के आंकड़ें बताते हैं कि अगस्त में सिर्फ 22 हजार नई नौकरियां पैदा हुई हैं, जो उससे पिछले महीने से काफी कम हैं। बेरोजगारी दर 4.3% पर बनी हुई है। जॉब वैकेंसी भी कम हुई है। अगस्त 2025 में ये 71 लाख के आसपास रही है। इसी तरह से 72 लाख से ज्यादा लोग अभी बेरोजगार हैं। इस तरह अमेरिका में डिग्री लेने के बाद कहीं न कहीं स्टूडेंट्स को धक्के भी खाने पड़ सकते हैं।
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पिछले कुछ सालों में लोगों का हायर एजुकेशन के ऊपर से भरोसा कम हुआ है। इसकी वजह सिर्फ आर्थिक दबाव ही नहीं है, बल्कि जॉब मार्केट का बुरा हाल भी है। यही वजह है कि अब यूनिवर्सिटी सीधे तौर पर रिटर्न ऑन इंवेस्टमेंट (ROI) पर फोकस कर रही हैं। आसान भाषा में कहें तो जितना स्टूडेंट पढ़ने पर पैसा खर्च कर रहे हैं, उसके बदले उन्हें मिलने वाले लाभ की बात की जा रही है। ऐसे में आइए जानते हैं कि क्या अमेरिका में अभी हायर एजुकेशन के लिए जाना फायदे का सौदा होगा।
रिटर्न ऑन इंवेस्टमेंट का क्या हाल है?
स्ट्रैडा एजुकेशन फाउंडेशन ने एक विश्लेषण जारी किया है। इसमें बताया गया है कि सरकारी यूनिवर्सिटीज से पढ़कर ग्रेजुएट हुए 70% छात्रों को उम्मीद है कि उन्हें अगले 10 सालों में पढ़ाई पर किए गए खर्च का सकारात्मक रिटर्न मिलेगा। एक डिग्री को सकारात्मक ROI तब माना जाता है, जब एक ग्रेजुएट उस अवधि में एक हाई स्कूल से पढ़कर निकले स्टूडेंट की तुलना में ज्यादा कमाता है, जो डिग्री की लागत से अधिक हो जाता है।
आसान भाषा में कहें तो अगर ग्रेजुएट स्टूडेंट को किसी स्कूल से पासआउट स्टूडेंट की तुलना में ज्यादा सैलरी मिल रही है, तो उसने जो पढ़ाई पर खर्च किया है, उसकी वैल्यू ज्यादा हुई। प्रेस्टन कूपर ऑफ द अमेरिकन एंटरप्राइज इंस्टीट्यूट ने एसोसिएटेड प्रेस को बताया, स्टूडेंट अब इस बात पर ज्यादा जोर दे रहे हैं कि कॉलेज से मिलने वाली डिग्री मायने भी रखती है या नहीं। फिलहाल आंकड़ें बता रहे हैं कि स्टूडेंट्स को डिग्री के ROI पर भरोसा है।
जॉब मार्केट का हाल क्या है?
अमेरिका के जॉब मार्केट को लेकर चिंताएं अभी भी जस की तस बनी हुई हैं। बर्निंग ग्लास इंस्टीट्यूट के अनुसार, स्ट्रैडा के साथ किए गए रिसर्च में, हालिया ग्रेजुएट्स में से 52% ऐसे पदों पर काम कर रहे हैं जिनके लिए डिग्री की जरूरत नहीं होती है। नर्सिंग और एजुकेशन को पारंपरिक तौर पर मजबूत करियर वाली फील्ड माना जाता रहा है, लेकिन यहां पर भी कम रोजगार वाले ग्रेजुएट्स की संख्या ज्यादा है।
फिलहाल अमेरिकी जॉब मार्केट ठंडा पड़ा हुआ है। टेक, फाइनेंस जैसे सेक्टर्स में बड़े पैमाने पर छंटनी हुई है। सरकार के आंकड़ें बताते हैं कि अगस्त में सिर्फ 22 हजार नई नौकरियां पैदा हुई हैं, जो उससे पिछले महीने से काफी कम हैं। बेरोजगारी दर 4.3% पर बनी हुई है। जॉब वैकेंसी भी कम हुई है। अगस्त 2025 में ये 71 लाख के आसपास रही है। इसी तरह से 72 लाख से ज्यादा लोग अभी बेरोजगार हैं। इस तरह अमेरिका में डिग्री लेने के बाद कहीं न कहीं स्टूडेंट्स को धक्के भी खाने पड़ सकते हैं।
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