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हाई फाइबर और कैल्शियम से भरपूर काले तिल करेंगे 3 बीमारियों पर वार

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भारतीय रसोई में तिल का खास स्थान है। तिल दो प्रकार के होते हैं – सफेद और काले। इनमें से काले तिल (Black Sesame Seeds) को आयुर्वेद में औषधीय गुणों से भरपूर माना गया है। इनमें प्रोटीन, आयरन, मैग्नीशियम, हाई फाइबर और कैल्शियम की भरपूर मात्रा होती है, जो कई गंभीर बीमारियों से बचाव करने में मददगार है।

काले तिल क्यों हैं खास?

  • 100 ग्राम काले तिल में लगभग 975 mg कैल्शियम होता है।
  • इसमें मौजूद फाइबर पाचन को बेहतर बनाता है।
  • एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर को डिटॉक्स करते हैं और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं।

3 बीमारियाँ जिन पर काले तिल असरदार हैं

  • हड्डियों की कमजोरी (Osteoporosis)
    • काले तिल कैल्शियम और फॉस्फोरस से भरपूर होते हैं।
    • यह हड्डियों को मज़बूत बनाने और जॉइंट पेन कम करने में मदद करते हैं।
  • कब्ज और पाचन संबंधी समस्या
    • इसमें मौजूद हाई फाइबर पाचन क्रिया को दुरुस्त करता है।
    • रोज़ाना सीमित मात्रा में काले तिल खाने से कब्ज की समस्या दूर होती है।
  • दिल की बीमारियाँ (Heart Diseases)
    • तिल में मौजूद स्वस्थ वसा (Good Fats) और एंटीऑक्सीडेंट कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखते हैं।
    • यह ब्लड प्रेशर और हार्ट हेल्थ के लिए फायदेमंद है।
  • काले तिल खाने के तरीके

    • सुबह खाली पेट 1 चम्मच काले तिल चबाकर खाएँ।
    • तिल का लड्डू या चिकी बनाकर स्नैक की तरह लें।
    • तिल का तेल सलाद या सब्ज़ियों में इस्तेमाल करें।
    • दूध या दही में तिल पाउडर मिलाकर पिएँ।
    • तिल की तासीर गर्म होती है, इसलिए सीमित मात्रा (1–2 चम्मच रोज़) ही खाएँ।
    • गर्मी या एलर्जी वाले लोगों को डॉक्टर की सलाह लेकर सेवन करना चाहिए।

    अगर आप रोज़ाना अपनी डाइट में काले तिल शामिल करते हैं तो यह आपकी हड्डियों, पाचन और दिल – तीनों को मज़बूत बनाकर सेहत को दुरुस्त रखेगा।

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