नई दिल्ली। पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक जैसे ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद भारत अब अपनी रक्षा तैयारियों को और मजबूत करने की दिशा में बड़ा कदम उठाने जा रहा है। केंद्र सरकार जल्द ही रक्षा बजट में 50,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि जोड़ने की योजना पर काम कर रही है। इस पहल का मकसद देश की सैन्य क्षमताओं को अत्याधुनिक तकनीक, हथियारों और रणनीतिक प्रणालियों से लैस करना है ताकि भविष्य में किसी भी खतरे का सटीक और प्रभावी जवाब दिया जा सके।
यह प्रस्ताव संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में प्रस्तुत किया जा सकता है। इस फंड के जरिए सशस्त्र बलों की तत्काल और दीर्घकालिक आवश्यकताओं को पूरा करने का प्रयास होगा, जिसमें विशेष रूप से सीमा सुरक्षा, साइबर युद्ध, और अंतरिक्ष निगरानी से जुड़ी परियोजनाएं शामिल हैं।
गौरतलब है कि वित्त वर्ष 2024–25 के केंद्रीय बजट में पहले ही 6.81 लाख करोड़ रुपये रक्षा क्षेत्र के लिए आवंटित किए जा चुके हैं — जो अब तक का सर्वाधिक है। यह बजट 2014–15 में रहे 2.29 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले लगभग तीन गुना है और यह केंद्र के कुल बजट का करीब 13.45% है। एनडीए सरकार के एक दशक के कार्यकाल में यह वृद्धि देश की सैन्य सुदृढ़ता को प्राथमिकता दिए जाने का स्पष्ट संकेत है।
ऑपरेशन सिंदूर: आत्मनिर्भर भारत की सैन्य शक्ति का प्रदर्शन
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सेना ने बिना सीमा लांघे पाकिस्तान के भीतर 9 आतंकी ठिकानों को सटीक निशाना बनाकर ध्वस्त कर दिया। इस पूरे अभियान में 'मेड इन इंडिया' हथियारों और रक्षा प्रणालियों की प्रभावशीलता ने निर्णायक भूमिका निभाई। रूसी S-400, इजरायली बराक-8, और स्वदेशी आकाश मिसाइल सिस्टम के साथ-साथ पेचोरा, ओसा-AK और एलएलएडी गन सिस्टम जैसे हथियारों की तैनाती ने पाकिस्तान के ड्रोन और मिसाइल हमलों को पूरी तरह निष्क्रिय कर दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 मई को एक जनसभा में कहा, “ऑपरेशन सिंदूर ने यह सिद्ध कर दिया कि मेड इन इंडिया हथियार अब सिर्फ विकल्प नहीं, बल्कि विश्वसनीयता का प्रतीक बन चुके हैं। आने वाला समय भारत के आत्मनिर्भर रक्षा तंत्र का युग होगा।”
यह प्रस्तावित बजट वृद्धि न केवल भारत की सैन्य क्षमताओं को आधुनिक बनाएगी, बल्कि घरेलू रक्षा उद्योग को भी नई उड़ान देगी, जिससे भारत वैश्विक हथियार बाजार में एक मजबूत निर्यातक के रूप में उभरेगा।
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