पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने एक बार फिर भारत को सिंधु जल संधि को लेकर कड़ी चेतावनी दी है। मंगलवार को इस्लामाबाद में एक समारोह के दौरान उन्होंने कहा कि “दुश्मन” पाकिस्तान के पानी की “एक बूंद” भी नहीं छीन सकता। उन्होंने भारत को चेताते हुए कहा कि अगर पानी रोकने की कोशिश की गई तो “ऐसा सबक सिखाया जाएगा कि कान पकड़ने पर मजबूर हो जाओगे।”
यह बयान ऐसे समय आया है जब भारत ने 23 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले में 26 लोगों की जान जाने के एक दिन बाद, 1960 की सिंधु जल संधि को “निलंबित” कर दिया था। पाकिस्तान लंबे समय से यह कहता रहा है कि पानी के बहाव को रोकने की किसी भी कोशिश को युद्ध की कार्रवाई माना जाएगा।
शरीफ़ का यह बयान पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो-जरदारी की टिप्पणी के बाद आया, जिसमें उन्होंने संधि को निलंबित करने को सिंधु घाटी सभ्यता पर हमला बताया था और कहा था कि अगर भारत ने युद्ध थोपने की कोशिश की तो पाकिस्तान पीछे नहीं हटेगा। इस पर बीजेपी नेता और अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती ने तीखी प्रतिक्रिया दी और चेतावनी दी कि भारत ब्रह्मोस मिसाइलों से जवाब देगा। उन्होंने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि एक बांध बनाया जाएगा और 140 करोड़ भारतीय वहां “राहत” देंगे, फिर उस पानी को खोलकर पड़ोसी देश में सुनामी ला दी जाएगी। हालांकि उन्होंने साफ किया कि उनका गुस्सा पाकिस्तान की सरकार और सेना पर है, न कि वहां की आम जनता पर।
पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने भी अमेरिकी राज्य फ्लोरिडा के टैम्पा शहर में पाकिस्तानी समुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि अगर भारत पानी का बहाव रोकने के लिए बांध बनाएगा तो उसे नष्ट कर दिया जाएगा। उन्होंने दावा किया कि सिंधु नदी भारत की “पारिवारिक संपत्ति” नहीं है और पाकिस्तान के पास भारतीय योजनाओं को नाकाम करने के लिए पर्याप्त संसाधन हैं।
भारत ने इन धमकियों का कड़ा जवाब दिया। विदेश मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान से आने वाले परमाणु हमले के संकेत उसकी परमाणु नियंत्रण प्रणाली की विश्वसनीयता पर पुराने संदेहों को फिर से पुख्ता करते हैं। मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान की सेना आतंकी संगठनों के साथ मिलीभगत में है और भारत किसी भी तरह के परमाणु ब्लैकमेल के आगे नहीं झुकेगा। साथ ही, मंत्रालय ने इस बात पर खेद जताया कि ये बयान एक “मित्र तीसरे देश” की धरती से दिए गए।
इससे पहले, 7 मई को भारत ने “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकी ढांचे पर हमले किए थे, जो 22 अप्रैल के पहलगाम हमले के जवाब में थे। चार दिनों तक ड्रोन और मिसाइल हमलों के बाद, 10 मई को दोनों देशों ने युद्धविराम पर सहमति जताई थी।
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