New Delhi/अलाप्पुझा (केरल), 27 अक्टूबर . केंद्र की पीएम श्री स्कीम पर Government के हस्ताक्षर करने को लेकर केरल के सत्ताधारी लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) में Monday को दरार और गहरी हो गई. Chief Minister पिनाराई विजयन और सीपीआई के राज्य सचिव बिनॉय विश्वम की करीब 50 मिनट की बैठक में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया-मार्क्सवादी (सीपीआई-एम) और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (सीपीआई) के बीच गतिरोध को सुलझाने की कोशिशें नाकाम रहीं.
बैठक राज्य Government के कैबिनेट में बिना किसी चर्चा के केंद्र की पीएम श्री स्कूल डेवलपमेंट स्कीम पर हस्ताक्षर करने के निर्णय पर मतभेदों को सुलझाने के लिए बुलाई गई थी.
जिसके बाद मीडिया से बात करते हुए, विश्वम ने कहा कि हालांकि बातचीत सौहार्दपूर्ण रही, लेकिन इससे कोई ठोस नतीजा नहीं निकला.
उन्होंने कहा, “हमारी बातें नहीं मानी गईं, हमारी बातचीत तो अच्छी रही, लेकिन हमारी समस्या वैसी ही बनी हुई है.”
विश्वम के मीडिया से बात करने के तुरंत बाद, सीपीआई के जनरल सेक्रेटरी डी. राजा ने दिल्ली में मीडिया को बताया कि राज्य नेतृत्व ने Monday को अलाप्पुझा में मुलाकात की और पीएम श्री मुद्दे पर चर्चा की.
उन्होंने कहा, “हमारी पार्टी का मानना है कि हम एनईपी 2020 से सहमत नहीं हो सकते क्योंकि यह केंद्र की एक खतरनाक पॉलिसी है और हमने हमेशा इसका विरोध किया है. इसी संदर्भ में, हमारी पार्टी ने एमओयू पर साइन करने का विरोध जताया है. सीएम के साथ मीटिंग के दौरान, हमारे (राज्य) सचिव विश्वम ने इस रुख को दोहराया. उन्होंने उनसे (सीएम विजयन) एमओयू को रोकने के लिए कहा है. हमारी स्थिति वही है, और हम आगे भी चर्चा करते रहेंगे. केरल Government को केंद्र से कहना पड़ेगा कि वो अपने पूर्व के फैसले से पीछे हटना चाहता है.”
शीर्ष नेताओं की इन टिप्पणियों से पता चलता है कि सीपीआई पीएम श्री स्कीम पर Government के एकतरफा फैसले से नाखुश है.
एलडीएफ की दूसरी सबसे बड़ी घटक सीपीआई ने सार्वजनिक रूप से कहा है कि केंद्र के समझौते पर हस्ताक्षर करने से पहले उनसे सलाह नहीं ली गई थी और ऐसे एकतरफा फैसले गठबंधन की भावना के विपरीत हैं.
इस बीच, खबरें हैं कि विजयन कैबिनेट में सीपीआई के चार नॉमिनी Wednesday को होने वाली साप्ताहिक कैबिनेट मीटिंग में हिस्सा नहीं ले सकते हैं ताकि यह कड़ा Political संदेश दिया जा सके कि उनकी पार्टी को “हल्के में नहीं लिया जा सकता”.
यह एलडीएफ के अंदर बढ़ती कलह की ओर भी इशारा करता है.
पिछली बार सीपीआई मंत्रियों ने इसी तरह का विरोध 2017 में किया था, जब उन्होंने Chief Minister विजयन के तत्कालीन परिवहन मंत्री थॉमस चांडी को हाई कोर्ट की प्रतिकूल टिप्पणी के बाद हटाने की उनकी मांग पर कार्रवाई करने से इनकार करने के बाद कैबिनेट का बहिष्कार किया था.
सीपीआई को सबसे ज्यादा दुख इस बात से हुआ कि पिछली कैबिनेट मीटिंग में, उनके नॉमिनी और राज्य राजस्व मंत्री के. राजन ने विजयन के सामने पीएम-श्री मामला उठाया था, लेकिन विजयन चुप रहे क्योंकि वो जानते थे कि पहले ही हस्ताक्षर कर वो इस पर सहमति जता चुके हैं.
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केआर/
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