मुंबई, 2 मई . भारत की क्रिएटर इकोनॉमी मौजूदा समय में वार्षिक रूप से 350 अरब डॉलर से अधिक के कंज्यूमर खर्च को प्रभावित कर रही है. 2030 में यह आंकड़ा बढ़कर एक ट्रिलियन डॉलर के आंकड़े को छू सकता है. एक इंडस्ट्री रिपोर्ट का हवाले से सरकार द्वारा शुक्रवार को यह जानकारी दी गई.
डेटा के अनुसार, क्रिएटर इकोसिस्टम का अनुमानित प्रत्यक्ष राजस्व आज 20-25 अरब डॉलर के करीब है और दशक के अंत तक 100-125 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है. यानी आने वाले पांच वर्षों में इस इंडस्ट्री का राजस्व करीब 6 गुना होने की उम्मीद है.
भारत का डिजिटल परिदृश्य अपने क्रिएटर अर्थव्यवस्था के आगे बढ़ने से एक महत्वपूर्ण परिवर्तन से गुजर रहा है.
बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (बीसीजी) की रिपोर्ट – “कंटेंट से कॉमर्स तक: भारत की क्रिएटर अर्थव्यवस्था की मैपिंग” शनिवार को ‘वेव्स 2025’ इवेंट में लॉन्च होने वाली है.
रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में 1,000 से ज्यादा फॉलोअर वाले 2 से 2.5 मिलियन सक्रिय डिजिटल क्रिएटर हैं.
इसमें से केवल 8-10 प्रतिशत ही कंटेंट का मुद्रीकरण कर पा रहे हैं, जो इस तेजी से बढ़ते क्षेत्र की अप्रयुक्त क्षमता को दिखाता है.
रिपोर्ट में बताया गया कि क्रिएटर 30 प्रतिशत से अधिक उपभोक्ता निर्णयों को प्रभावित करते हैं, जो आज 350-400 बिलियन डॉलर के खर्च को आकार देते हैं.
इसके अलावा इकोसिस्टम जेन जेड और महानगरीय केंद्रों से आगे बढ़कर विभिन्न आयु समूहों और शहरी स्तरों तक पहुंच रहा है.
कॉमेडी, फिल्में, डेली सोप और फैशन सबसे ज्यादा देखे जाते हैं और शॉर्ट-फॉर्म वीडियो प्रमुख सामग्री फॉर्मेट बना हुआ है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि आने वाले वर्षों में ब्रांड्स द्वारा क्रिएटर मार्केटिंग में अपने निवेश को 1.5 से 3 गुना तक बढ़ाने की उम्मीद है, जो डिजिटल क्रिएटर इकोसिस्टम द्वारा संचालित मार्केटिंग और कॉमर्स में एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत है.
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एबीएस/
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