रांची, 24 अगस्त . झारखंड विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने Sunday को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया कि चार बार विधानसभा चुनाव लड़ चुके सूर्या हांसदा के पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने की कहानी सरासर झूठी है.
उन्होंने कहा कि गोड्डा जिले के सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता सूर्या हांसदा की हत्या सत्तारूढ़ दल, माफिया और पुलिस की साजिश का नतीजा है. उन्होंने पूरे प्रकरण की जांच सीबीआई से कराने की मांग की.
मरांडी ने कहा कि इस घटना की जांच के लिए पार्टी ने पूर्व Chief Minister अर्जुन मुंडा की अध्यक्षता में जांच समिति गठित की थी. इसकी रिपोर्ट से यह साफ है कि हांसदा की योजनाबद्ध तरीके से हत्या की गई.
मरांडी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में पार्टी की जांच रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि 11 जून 2025 को गोड्डा में झामुमो की सभा के दौरान Chief Minister के करीबी विधायक प्रतिनिधि ने खुले मंच से धमकी दी थी कि जो सरकार की बात नहीं मानेगा, उसे पुलिस की गोली का शिकार होना पड़ेगा. ठीक अगले दिन सूर्या हांसदा का नाम एक मुकदमे में जोड़ा गया और दो महीने बाद उन्हें कथित पुलिस मुठभेड़ में मार डाला गया.
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि पुलिस ने हांसदा को अपराधी करार दिया, जबकि अदालत ने कभी उन्हें दोषी नहीं पाया. उनके खिलाफ दर्ज 24 मामलों में से 14 में वे बरी हो चुके थे, पांच में जमानत पर थे और पांच में जमानत विचाराधीन थी. जिस घटना (27 मई) को आधार बनाकर First Information Report दर्ज की गई, उस दिन वे अपने बेटे का जन्मदिन मना रहे थे.
उन्होंने कहा कि सूर्या हांसदा अपराधी नहीं, बल्कि एक संवेदनशील सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता थे, जो 400 अनाथ बच्चों की पढ़ाई की चिंता करते थे. उनके परिवार और जनता की मांग है कि इस प्रकरण की निष्पक्ष जांच केवल सीबीआई ही कर सकती है. हांसदा अवैध खनन, बांग्लादेशी घुसपैठ और धर्मांतरण जैसे मुद्दों का विरोध करते थे, इसी कारण सत्ता पक्ष के निशाने पर थे.
उन्होंने सवाल उठाया कि अगर पुलिस की मुठभेड़ वास्तविक थी तो गोली पेट में कैसे लगी, जबकि दावा है कि वे भाग रहे थे. उनकी गिरफ्तारी में गवाह, मेडिकल जांच की सामान्य प्रक्रिया का भी पालन नहीं हुआ.
गोड्डा जिले की पुलिस ने 11 अगस्त को बोआरीजोर थाना क्षेत्र, धमनी पहाड़ के पास सूर्या हांसदा के एनकाउंटर में मारे जाने का दावा किया था. पुलिस के अनुसार, सूर्या पर 20 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज थे और वह कई संगीन अपराधों में फरार था. मुठभेड़ के दौरान पुलिस ने उनके पास से हथियार बरामद किए थे.
भाजपा की जांच टीम में शामिल रहे प्रदेश उपाध्यक्ष भानु प्रताप शाही ने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट संदिग्ध है और यह प्रतीत होता है कि पहले टॉर्चर से उनकी मौत हुई और बाद में गोली मारकर एनकाउंटर का रूप दिया गया. भाजपा की जांच समिति में अमर कुमार बाउरी, भानु प्रताप शाही, रणधीर सिंह, अमित मंडल, सुनील सोरेन और अनीता सोरेन भी शामिल थे.
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एसएनसी/एबीएम
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