Next Story
Newszop

'ऑपरेशन सिंदूर' से भारत की वैश्विक छवि और मजबूत हुई : डेनमार्क के पूर्व राजदूत (आईएएनएस साक्षात्कार)

Send Push

नई दिल्ली, 1 जून . इस वर्ष यूरोपीय संघ की परिषद की अध्यक्षता संभालने जा रहा डेनमार्क भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक संयुक्त प्रयास के आह्वान का मजबूती से समर्थन करता है.

समाचार एजेंसी से खास बातचीत में भारत में 10 वर्षों तक राजदूत रहे फ्रेडी स्वेन ने स्पष्ट किया कि आतंकवाद से निपटने के मामले में यूरोप की ओर से किसी भी प्रकार की नरमी नहीं दिखाई जा सकती. भारत की ‘ऑपरेशन सिंदूर’ कूटनीतिक पहल की सराहना करते हुए उन्होंने पाकिस्तान को फिर से फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की ग्रे लिस्ट में डालने की मांग का भी समर्थन किया.

साक्षात्कार के प्रमुख अंश इस प्रकार हैं:

सवाल: भारत आतंकवाद के खिलाफ एक बहुत ही मजबूत वैश्विक संदेश दे रहा है, जिसमें सभी दलों के सांसदों को विभिन्न देशों में भेजा जा रहा है, जिनमें से एक दल अभी हाल ही में कोपेनहेगन में था. आप इस पहल को कैसे देखते हैं?

स्वेन: यह बहुत जरूरी है कि भारत जो संदेश दे रहा है, उसे दुनिया गंभीरता से सुने और उस पर कार्रवाई करे. यह देखकर खुशी होती है कि भारत ने इस अमानवीय पहलगाम घटना की पृष्ठभूमि में आतंक के खिलाफ सशक्त कदम उठाया है. प्रधानमंत्री मोदी द्वारा सांसदों के वैश्विक दौरों की योजना सराहनीय है और इसे डेनमार्क में भी सकारात्मक रूप से लिया गया है.

सवाल: क्या आपको लगता है कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान भारत एक मजबूत राष्ट्र के रूप में उभरा है?

स्वेन: निश्चित रूप से. मैंने कभी नहीं सोचा था कि भारत सभी दलों के सांसदों को इस तरह दुनिया भर में भेजेगा ताकि वे आतंकवाद पर भारत का पक्ष रखें. यह एक नई शुरुआत है और यह दिखाता है कि भारत अब सिर्फ बयानबाजी नहीं कर रहा, बल्कि कार्रवाई के लिए तैयार है.

सवाल: पाकिस्तान अब भी आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है. इस पर आपकी क्या राय है?

स्वेन: मैंने भारत में लंबे समय तक आतंकवाद का प्रभाव महसूस किया है और मुझे पूरी तरह से पता है कि पाकिस्तान इसमें कैसे शामिल रहा है. जब आतंक की बात आती है, तो दो चेहरे नहीं हो सकते, केवल एक ही बदसूरत चेहरा होता है और वह पाकिस्तान का है. अब समय आ गया है कि दुनिया मिलकर इसका मुकाबला करे और पाकिस्तान को उसका असली स्थान दिखाया जाए.

सवाल: क्या अब पाकिस्तान को फिर से एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में डालना चाहिए?

स्वेन: बिल्कुल. आतंकवाद बिना वित्तीय मदद के संभव नहीं है. इसलिए हमें वैश्विक स्तर पर उन सभी चैनलों को बंद करना होगा, जो आतंकी फंडिंग को बढ़ावा देते हैं. पाकिस्तान को उसी स्थान पर रखा जाना चाहिए, जहां वह वास्तविक रूप से है.

सवाल: आपने पीएम मोदी से पहली बार तब मुलाकात की थी, जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे. उनके नेतृत्व में भारत कितना बदला है?

स्वेन: मैंने भारत को बढ़ते हुए देखा है और मेरे मन में भारत के लिए एक गहरा लगाव है. साल 2011 में जब मैं पहली बार नरेंद्र मोदी से मिला था, तब से लेकर अब तक भारत बहुत बदला है. 2019 में जब मैं फिर से भारत में राजदूत बना, तब हमने ‘ग्रीन स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप’ की शुरुआत की. पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत आत्मनिर्भर और वैश्विक दृष्टिकोण वाला राष्ट्र बन गया है.

सवाल: क्या ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने प्रधानमंत्री मोदी की वैश्विक छवि को और मजबूत किया है?

स्वेन: बिल्कुल. यह पहल दिखाती है कि भारत अब शब्दों से नहीं, बल्कि कार्रवाई से नेतृत्व कर रहा है. पीएम मोदी अब वैश्विक नेता के रूप में स्थापित हो चुके हैं, खासकर ऐसे संकट के समय में जब स्पष्ट और दृढ़ निर्णयों की जरूरत होती है.

सवाल: क्या आपको लगता है कि यूरोपीय देश भी अब सरकार द्वारा प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ एकजुट हैं?

स्वेन: यह एक जटिल सवाल है, लेकिन पहलगाम जैसी घटना के बाद कोई भी देश आतंकवाद पर लचीलापन नहीं दिखा सकता. मुझे उम्मीद है कि भारतीय सांसदों के दौरों के बाद यूरोपीय देशों में एक नई समझ पैदा होगी कि अब केवल बयान नहीं, बल्कि ठोस कार्रवाई का समय है.

सवाल: क्या पाकिस्तान के ‘ऑल वेदर फ्रेंड्स’ को अब समझ नहीं लेना चाहिए कि वे एक आतंकी राष्ट्र का समर्थन कर रहे हैं?

स्वेन: हां, यह समय है जब दुनिया को मिलकर एक साझा रुख अपनाना चाहिए. आतंकवाद किसी भी राष्ट्र के हित में नहीं हो सकता. मुझे उम्मीद है कि भारत की यह कूटनीतिक पहल ज्यादा से ज्यादा देशों को भारत के साथ खड़ा होने के लिए प्रेरित करेगी.

सवाल: 2008 मुंबई हमले के आरोपी तहव्वुर राणा के भारत में प्रत्यर्पण पर आपकी प्रतिक्रिया क्या है?

स्वेन: मुझे बहुत राहत मिली. इससे यह संदेश गया है कि आतंकवादियों को कहीं भी पनाह नहीं मिलेगी. यह भारत के लिए बड़ी उपलब्धि है और दर्शाता है कि न्याय देर से ही सही, लेकिन मिलेगा.

सवाल: डेनमार्क और भारत के बीच ग्रीन स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप को आप किस दिशा में जाते हुए देखते हैं?

स्वेन: इसमें कोई सीमा नहीं है. मैंने 2011 में प्रधानमंत्री (तब गुजरात के मुख्यमंत्री) मोदी से इस साझेदारी की बात की थी और आज यह वास्तविकता है. भारत और डेनमार्क दोनों के पास ऐसे कौशल हैं, जो एक सुनहरे भविष्य का निर्माण कर सकते हैं. यह साझेदारी न सिर्फ हमारे द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करती है, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक उदाहरण बन सकती है.

डीएससी/एकेजे

The post first appeared on .

Loving Newspoint? Download the app now