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हाई-नेट-वर्थ परिवार देश को तेजी से 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में कर सकते हैं मदद : रिपोर्ट

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New Delhi, 16 सितंबर . India के हाई-नेट-वर्थ (एचएनडब्ल्यू) परिवार अपनी पूंजी का इस्तेमाल सोशल गोल्स, प्रभाव लाने वाले निवेशों और ब्लेंडेड फाइनेंसिंग टेक्नीक में कर देश को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में मदद कर सकते हैं. यह जानकारी Tuesday को आई एक रिपोर्ट में दी गई.

प्रभाव लाने वाले निवेशों का मतलब ऐसे व्यवसायों में निवेश कर लाभ अर्जित करना, जो सकारात्मक सामाजिक प्रभाव डालते हैं. वहीं, ब्लेंडेड फाइनेंसिंग का मतलब एक वित्तीय रणनिति से समझा जा सकता है, जिसमें सस्टेनेबल डेवलपमेंट से जुड़े लक्ष्यों को पाने के लिए सार्वजनिक, परोपकारी और निजी स्रोतों से पूंजी को जोड़ा जाता है.

वेल्थ एडवाइजरी फर्म वॉटरफील्ड एडवाइजर्स और एनपीओ संगठन इम्पैक्ट इन्वेस्टर्स काउंसिल (आईआईसी) की रिपोर्ट के अनुसार, कई एचएनडब्ल्यू परिवार अलग-अलग काम करते रहते हैं और प्रभाव निवेश में लो रिटेंशन प्रदर्शित करते हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रभाव निवेश में एचएनडब्ल्यू परिवारों की भागीदारी बढ़ रही है, लेकिन रिटेंशन कमजोर है. 2021 में प्रवेश करने वाले 316 एचएनडब्ल्यू परिवारों में से 2024 में केवल 64 ही सक्रिय रहेंगे.

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि हालांकि पब्लिक फंडिंग सामाजिक क्षेत्र के व्यय का प्रमुख स्रोत बना हुआ है, फिर भी एक महत्वपूर्ण फाइनेंसिंग गैप बना हुआ है और आने वाले वर्षों में इसके और अधिक बढ़ने की उम्मीद है.

इसमें कहा गया है कि एचएनडब्ल्यू परिवार स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, आजीविका, जलवायु, वित्तीय समावेशन और किफायती आवास जैसे क्षेत्रों में उच्च-प्रभाव वाले उद्यमों में निवेश कर इस अंतराल को भरने की अच्छी स्थिति में हैं.

वॉटरफील्ड एडवाइजर्स की संस्थापक और सीईओ सौम्या राजन ने कहा, “यह रिपोर्ट एकमुश्त प्रयोगों से हटकर निरंतर, दृढ़ विश्वास पर आधारित रणनीतियों की ओर बढ़ने का आह्वान करती है, जो India के सोशल फाइनेंसिंग गैप को खत्म मदद कर सकती हैं.”

इम्पैक्ट इन्वेस्टर्स काउंसिल (आईआईसी) के सीईओ गिरीश ऐवल्ली ने कहा, “जब चर्चाएं दृढ़ विश्वास और फिर कार्रवाई में बदल जाती हैं तो फैमिली वेल्थ वास्तव में सिस्टमैटिक परिवर्तन को कैटलिस्ट कर सकती है और India की 5 ट्रिलियन डॉलर की यात्रा को शक्ति प्रदान कर सकती है.”

देश की अर्थव्यवस्था ने वित्त वर्ष 26 की पहली तिमाही में अपनी मजबूत गति को बनाए रखा, जिसमें जीडीपी पिछले वर्ष की इसी अवधि के 6.5 प्रतिशत की तुलना में 7.8 प्रतिशत की वृद्धि के साथ बढ़ी.

एसकेटी/

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