jaipur, 8 नवंबर . Rajasthan के पूर्व Chief Minister अशोक गहलोत ने Saturday को वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने के मौके पर केंद्र Government की तरफ से विभिन्न जगहों पर आयोजित कार्यक्रम को लेकर कहा कि यह हमारी विरासत को चुराने की कोशिश है.
उन्होंने समाचार एजेंसी से बातचीत करते हुए कहा कि अतीत खुद इस बात की तस्दीक करता है कि वंदे मातरम का भाजपा से कोई सरोकार नहीं है. कभी इन लोगों ने इसे वरीयता नहीं दी. हमारे कांग्रेस के वरिष्ठ और दिग्गज नेताओं ने जितना सम्मान इस गीत को दिया, उतना यह लोग कभी नहीं दे पाएंगे. इस गीत को सबसे पहले बंकिमचंद्र चटर्जी ने लिखा और रविंद्रनाथ टैगोर ने गाया था. ऐसी स्थिति में इस गीत का इन लोगों से तो कोई सरोकार नहीं बनता है. ऐसी स्थिति में मुझे समझ नहीं आ रहा है कि आखिर केंद्र Government इस गीत के 150 साल पूरे होने के मौके पर विभिन्न जगहों पर कार्यक्रम क्यों आयोजित कर रही है?
उन्होंने कहा कि मेरा सीधा सा सवाल है कि क्या इन लोगों में से किसी ने इस गीत के लिए अपनी उंगली कटाई. जवाब स्पष्ट है कि कभी नहीं कटाई, तो ऐसी स्थिति में इस संबंध में किसी भी प्रकार की बात कहना पूरी तरह से गलत है.
पूर्व Chief Minister ने कहा कि ये लोग बेवजह से ही वंदे मातरम गीत का जिक्र कर रहे हैं. इनका इससे कोई सरोकार नहीं है. ये लोग बेकार की बातें करते रहते हैं. इन लोगों ने हमेशा संविधान का तिरस्कार किया. यहां तक की संविधान की प्रतियां भी जलाईं. इन लोगों ने कभी भी राष्ट्र का सम्मान नहीं किया. अब ये लोग Political फायदा अर्जित करने के लिए नई-नई बातों का जिक्र कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्य की बात है कि केंद्र Government नई-नई थ्योरी लेकर आ रही है. अब हाल ही में सरदार पटेल की बात कर रही है.
उन्होंने कहा कि इन लोगों ने सरदार पटेल की अस्मिता को संरक्षित करने के लिए क्या किया. सरदार पटेल की विशाल प्रतिमा बना दी, जिसका हम स्वागत करते हैं, लेकिन जरा इनसे पूछिए कि आखिर इन्होंने क्यों सरदार पटेल के नाम से निर्मित स्टेडियम का नाम बदल दिया. मैं पूछना चाहता हूं कि आखिर इन्होंने किसकी सलाह पर सरदार पटेल के नाम से बने स्टेडियम का नाम Narendra Modi स्टेडियम कर दिया. आखिर उन्हें यह सलाह किसने दी?
कांग्रेस नेता ने कहा कि वंदे मातरम राष्ट्रीय गीत को रचित 150 साल पूरे हो चुके हैं. केंद्र Government को इस खास मौके पर किसी भी प्रकार के कार्यक्रम का आयोजन करने से पहले विपक्षी दलों के नेताओं को आमंत्रित करना चाहिए था, लेकिन इन्होंने ऐसा नहीं किया.
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एसएचके/डीकेपी
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