New Delhi, 18 अगस्त . केंद्र ने Monday को संसद को जानकारी देते हुए बताया कि ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स (जीआईआई) में भारत की रैंकिंग पिछले 10 वर्षों में लगातार बेहतर हुई है.
राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में, योजना मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) राव इंद्रजीत सिंह ने बताया, “भारत 2015 में 81वें स्थान पर था, जिसकी रैंकिंग 2024 तक सुधरकर 39वें स्थान पर आ गई है.”
जीआईआई रैंकिंग 70 से अधिक संकेतकों के आंकड़ों का इस्तेमाल कर किसी देश के प्रदर्शन को मापने का प्रयास करती है. ये संकेतक किसी देश के सामाजिक-आर्थिक विकास के विभिन्न पहलुओं का प्रतिनिधित्व करने वाले होते हैं.
सिंह ने कहा, “जीआईआई में भारत की रैंकिंग में सुधार को देश के समग्र सामाजिक-आर्थिक परिवेश में सकारात्मक बदलावों के अप्रत्यक्ष उपाय के रूप में देखा जा सकता है.”
उन्होंने आगे कहा, इनमें से कुछ बदलावों में कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्रों में एप्लीकेशन और सर्विस की उपलब्धता और सामर्थ्य में भारत की हालिया प्रगति शामिल है. इन क्षेत्रों में रिन्यूएबल एनर्जी, डिफेंस (विशेष रूप से विभिन्न प्रकार के रक्षा उपकरणों का स्वदेशी विकास और उत्पादन), बायोटेक्नोलॉजी सेक्टर ( विशेष रूप से कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए वैक्सीन और ऑक्सीजन कंसंट्रेटर का स्वदेशी विकास और उत्पादन), सस्ती शिक्षा के लिए ऑनलाइन लर्निंग टूल्स, अलग-अलग क्षेत्रों में एसएंडटी क्लस्टर्स शामिल हैं.”
उन्होंने पिछले पांच वर्षों में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी से जुड़े रिसर्च पर सरकार द्वारा खर्च की गई धनराशि का विवरण भी साझा किया.
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा जारी नवीनतम अनुसंधान एवं विकास सांख्यिकी, 2022-23 का हवाला देते हुए, राज्य मंत्री ने कहा, “देश में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी से संबंधित अनुसंधान पर खर्च की गई राशि 2016-17 में 63,974 करोड़ रुपए से बढ़कर 2020-21 में 80,992 करोड़ रुपए से अधिक हो गई.”
उन्होंने कहा, “इसके अलावा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा 2016-17, 2019-20 और 2022-23 के दौरान प्रकाशित अनुसंधान एवं विकास सांख्यिकी के अनुसार, अनुसंधान एवं विकास व्यय (बिलियन पीपीपी डॉलर में) में विश्व स्तर पर भारत का स्थान सातवां है.”
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एसकेटी/
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