पटना, 12 अगस्त . बिहार की सांस्कृतिक राजधानी के रूप में पहचाना जाने वाला मधुबनी, आमतौर पर अपनी पारंपरिक कला, विवाह परंपराओं, आम और मखानों के लिए प्रसिद्ध रहा है. वहीं, सियासत में भी इसकी भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. मधुबनी विधानसभा क्षेत्र बिहार राज्य के 243 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है. यह सामान्य श्रेणी की सीट है और मधुबनी जिले में स्थित है. यह मधुबनी Lok Sabha क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले छह विधानसभा क्षेत्रों में शामिल है.
1951 में स्थापित मधुबनी विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस 1985 के बाद से कभी जीत हासिल नहीं कर पाई है. हालांकि, इसके पहले कांग्रेस ने 4 बार चुनाव जीता. कुल 17 विधानसभा चुनावों में भाजपा ने भी 4 बार इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया. यहां पर 2015 और 2020 में राजद का दबदबा रहा है. वर्तमान में राजद के समीर महासेठ विधायक हैं.
2024 की अनुमानित जनसंख्या 5,93,509 है, जिसमें पुरुष 3,08,116 और महिलाएं 2,85,393 हैं. वहीं, चुनाव आयोग की अंतिम प्रस्तावित मतदाता सूची के अनुसार कुल 3,54,315 मतदाता हैं, जिनमें पुरुष 1,85,361 और महिलाएं 1,68,935 हैं.
मधुबनी की पहचान विश्व प्रसिद्ध मिथिला पेंटिंग से जुड़ी है, जो सदियों से इस क्षेत्र की महिलाएं बनाती आ रही हैं. यह चित्रकला अपने चटकीले रंगों, धार्मिक और सामाजिक विषयों पर आधारित चित्रण व पारंपरिक प्राकृतिक रंगों के उपयोग के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है. ये चित्र पारंपरिक रूप से दीवारों या मिट्टी की सतह पर बनाए जाते थे, लेकिन आज इन्हें कागज, कपड़े और कैनवास पर भी बनाया जाता है.
रंगों को बनाने में हल्दी, काजल, गोबर, चावल, पलाश के फूल, बरगद की पत्तियों का दूध जैसे प्राकृतिक स्रोतों का उपयोग होता है. भारत सरकार और हस्तशिल्प बोर्ड की सहायता से यह कला आज सैकड़ों परिवारों की आजीविका का माध्यम बन चुकी है और अंतरराष्ट्रीय बाजार में मिथिला की पहचान को मजबूत करती है.
मधुबनी विधानसभा क्षेत्र धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है. यहां सौराठ नामक गांव है, जो मैथिली ब्राह्मणों की पारंपरिक विवाह सभा के लिए जाना जाता है. यह गांव सोमनाथ महादेव मंदिर के कारण भी प्रसिद्ध है और यहां कई पंजीकार वंशावली रिकॉर्ड रखते हैं. वहीं, कपिलेश्वर स्थान गांव, जिला मुख्यालय से लगभग 9 किलोमीटर दूर स्थित है, जो प्राचीन शिव मंदिर के लिए जाना जाता है. श्रावण मास में यहां विशेष पूजा और महाशिवरात्रि के अवसर पर विशाल मेला आयोजित किया जाता है.
राजनीतिक रूप से यह क्षेत्र सांस्कृतिक जड़ों से गहराई से जुड़ा हुआ है. मधुबनी की राजनीति को समझने के लिए उसकी कला, संस्कृति और धार्मिक परंपराओं को जानना जरूरी है, क्योंकि यहां की सियासत भी उतनी ही बहुरंगी और गहराई वाली है, जितनी की मधुबनी पेंटिंग है. आगामी चुनाव में देखना दिलचस्प होगा कि इस ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर से भरे क्षेत्र में लोकतंत्र किस दिशा में आगे बढ़ता है.
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डीसीएच/एबीएम
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