झज्जर, 22 सितंबर . Haryana के झज्जर जिले के बेरी कस्बे में स्थित प्रसिद्ध मां भीमेश्वरी देवी मंदिर में Monday से शारदीय नवरात्रि का पर्व शुरू हो गया है. महाIndia काल से इस मंदिर में नवरात्रि के दौरान भव्य मेला का आयोजन होता आ रहा है. देशभर से लाखों भक्त माता के दर्शन के लिए आ रहे हैं. पहले दिन ही मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं का सैलाब देखने लायक था.
नवरात्रि के पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा-अर्चना की जाती है. Monday के दिन के कारण माता की प्रतिमा को खास सफेद रंग के रत्न जड़ित वस्त्र और सोने के आभूषणों से सजाया गया. इस बार नवरात्रि 10 दिनों तक चलेगी और आयोजन को सफल बनाने के लिए सभी तैयारियां पूरी की गई हैं.
मां भीमेश्वरी देवी मंदिर का इतिहास महाIndia काल से जुड़ा हुआ है. महाIndia युद्ध से पहले भगवान कृष्ण ने पांडु पुत्र भीम को कुलदेवी से विजय का आशीर्वाद लेने भेजा था. मां भीम के साथ चलने को तैयार तो हो गईं, लेकिन शर्त रखी कि रास्ते में कहीं उतारना नहीं. जब भीम बेरी पहुंचे तो माता की प्रतिमा नीचे रख दी. उसी समय से मां भीमेश्वरी देवी यहीं विराजमान हैं.
महाIndia काल से ही माता की पूजा का सिलसिला चला आ रहा है. माता पांडवों की कुलदेवी होने के साथ-साथ बाबा श्याम की भी कुलदेवी हैं. यहां हर साल भक्तों की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है.
इस मंदिर की एक अनोखी विशेषता यह है कि माता की प्रतिमा तो एक ही है, लेकिन मंदिर दो हैं. रोजाना सुबह 5 बजे पुजारी माता की प्रतिमा को बेरी कस्बे के बाहर वाले मंदिर में लाते हैं. यहां श्रद्धालु दर्शन करते हैं और पूजा-अर्चना की जाती है. दोपहर 12 बजे प्रतिमा को अंदर वाले मंदिर में ले जाया जाता है, जहां माता आराम करती हैं.
इस बार माता की पोशाक कोलकाता से मंगाई गई है. चांदी के सिंहासन पर विराजमान माता के भव्य स्वरूप के दर्शन के लिए देश के हर कोने से भक्त बेरी पहुंच रहे हैं. नवरात्रि के दौरान यहां प्रदेश का सबसे बड़ा घोड़ों और खच्चरों का पशु मेला भी लगता है. यह मेला घोड़ों के व्यापार और पशु प्रेमियों के लिए बड़ा आकर्षण का केंद्र होता है.
शारदीय नवरात्रि में माता की पूजा से विशेष फल प्राप्त होता है. नवविवाहित जोड़े माता के चरणों में दर्शन कर सुखमय दांपत्य जीवन की कामना करते हैं. वहीं, कई श्रद्धालु अपने नवजात शिशुओं का मुंडन संस्कार कर बाल माता को चढ़ाते हैं, ताकि बच्चों के सिर पर माता की कृपा हमेशा बनी रहे.
इस बार प्रशासन यहां चल रहे आयोजन को प्लास्टिक मुक्त रखने के लिए पुरजोर कोशिश कर रहा है.
मंदिर के पुजारी कुलदीप ने भी भक्तों से अपील की है कि प्लास्टिक का उपयोग बिल्कुल न करें. उन्होंने कहा, “जिस तरह माता भीमेश्वरी देवी भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करती हैं, उसी तरह इस आयोजन को सफल बनाएं.”
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एनएस/एबीएम
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