नई दिल्ली, 2 जून . भारतीय सेना ने गंगोत्री के आसपास की स्वच्छता बरकरार रखने के लिए एक अनूठी पहल की है. इसके जरिए सेना गंगोत्री और उसके निकट हिमालयी क्षेत्र की पवित्रता बनाए रखने में अपना सहयोग देगी.
दरअसल, भारतीय सेना के जवान और पूर्व सैनिक इस हिमालयी क्षेत्र में प्लास्टिक और अन्य कचरे को ढूंढकर उसे वहां से हटाने का काम करने जा रहे हैं. यह कार्य हिमालयी क्षेत्रों की दुर्गम पहाड़ियों पर किया जाना है. सेना की सेंट्रल कमान से यह पहल की जा रही है.
सेंट्रल कमान के मुताबिक, ‘अतुल्य गंगा ट्रस्ट’, जो कि सशस्त्र बलों के पूर्व सैनिकों की एक पहल है और वर्ष 2019 से गंगा नदी के सतत पुनर्जीवन के लिए कार्यरत है, 5 से 7 जून 2025 तक ‘प्लास्टिक उन्मूलन कार सेवा’ का आयोजन कर रहा है. इस अभियान का उद्देश्य वनीकरण, प्रदूषण मानचित्रण (जिसमें माइक्रोप्लास्टिक की मात्रा का मापन भी शामिल है) और जन जागरूकता बढ़ाकर गंगा नदी को पुनर्जीवित करना है.
इस अभियान को सोमवार को लखनऊ में सेंट्रल कमांड के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, लेफ्टिनेंट जनरल अनिंद्य सेनगुप्ता ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. इस अवसर पर ट्रस्ट के संस्थापक गोपाल शर्मा, लेफ्टिनेंट कर्नल हेम लोहुमी, लेफ्टिनेंट जनरल विकास रोहिल्ला (डीजी एलडब्ल्यूई और बॉम्बे सैपर्स के कर्नल कमांडेंट) भी उपस्थित थे.
सेना के मुताबिक, इस पहल को उत्तराखंड राज्य प्रशासन, सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) और नेहरू पर्वतारोहण संस्थान का सहयोग प्राप्त है. सेना का कहना है कि इस अभियान को कॉर्पोरेट सहयोग बिसलेरी कंपनी द्वारा प्रदान किया जा रहा है.
इस अभियान के अंतर्गत अतुल्य गंगा ट्रस्ट के स्वयंसेवक 3 जून को उत्तराखंड के उत्तरकाशी में एकत्रित होंगे. वे 5 से 7 जून तक प्रतिदिन गंगोत्री से हर्षिल के बीच सड़क किनारे और पहाड़ियों की ढलानों पर फैले प्लास्टिक कचरे को एकत्र करेंगे. यह एकत्रित कचरा शहरी स्थानीय निकायों को सौंपा जाएगा ताकि उसका उचित निपटान हो सके.
इस पहल का उद्देश्य नागरिकों और सरकारी तंत्र में यह सोच विकसित करना है कि प्रकृति की रक्षा हेतु सतत एवं पर्यावरण अनुकूल आचरण को अपनाना समय की मांग है.
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जीसीबी/एबीएम/एकेजे
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