New Delhi, 19 सितंबर . Pakistan प्रायोजित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिद्दीन ने रणनीतिक रूप से अपने ठिकाने Pakistan के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में शिफ्ट करने शुरू कर दिए हैं.
दरअसल, ऑपरेशन सिंदूर में Pakistan अधिकृत कश्मीर में कम-से-कम नौ बड़े आतंकी अड्डों को भारतीय सेना ने ध्वस्त कर दिया था. इसके बाद अब आतंकी संगठन अपने ठिकाने Pakistan के कब्जे वाले कश्मीर से शिफ्ट कर रहे हैं. इंटेलिजेंस से जुड़े सुरक्षा सूत्र और कुछ उपलब्ध वीडियो से यह पुष्टि हुई है कि आतंकी गुट अब पीओके को असुरक्षित मान रहे हैं. यही कारण है कि वे खैबर पख्तूनख्वा को नया अड्डा बना रहे हैं.
इसका कारण है- भौगोलिक गहराई, अफगान सीमा की नजदीकी और पहले से मौजूद जिहादी पनाहगाहें. यह पूरी प्रक्रिया Pakistan की राज्य संरचनाओं की प्रत्यक्ष मदद से हो रही है. खुफिया सूत्रों के मुताबिक 14 सितंबर 2025 को भारत-पाक क्रिकेट मैच से सात घंटे पहले, Pakistan के गढ़ी हबीबुल्लाह में जैश-ए-मोहम्मद ने एक ‘धार्मिक जलसे’ के नाम पर एक बड़ा भर्ती अभियान चलाया. इसमें जेयूआई (जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम) की भी भूमिका रही. सभा को मौलाना मुफ्ती मसूद इलियास कश्मीरी उर्फ अबू मोहम्मद ने संबोधित किया जो जेईएम का केपीके व कश्मीर प्रभारी है और India का वांछित आतंकवादी है.
सभा में जेईएम आतंकी खुलेआम एम-4 राइफल के साथ मौजूद थे और स्थानीय Police, विशेषकर गढ़ी हबीबुल्लाह थाने के इंस्पेक्टर लियाकत शाह, इनकी सुरक्षा में तैनात थे. मसूद इलियास ने 30 मिनट तक ओसामा बिन लादेन की प्रशंसा की, उसे “शोहदा-ए-इस्लाम” और “प्रिंस ऑफ अरब” बताया और जैश की विचारधारा को अल-कायदा से जोड़ा. उसने कहा कि कंधार हाईजैक व मसूद अजहर की रिहाई के बाद बालाकोट जैश का गढ़ बना. उसने मई 2025 में भारतीय वायुसेना की कार्रवाई में मारे गए मसूद अजहर के परिवारजनों का जिक्र कर Pakistanी सेना और Government को “जिहाद का साझेदार” करार दिया.
सूत्र बताते हैं कि इस रैली का मकसद मंसेहरा स्थित जैश के मरकज ‘शुहदा-ए-इस्लाम’ में नई भर्ती करना था, जहां प्रशिक्षण ढांचा तेजी से बढ़ाया जा रहा है. खुफिया सूत्रों के मुताबिक, आतंकी जैश 25 सितंबर को पेशावर के मरकज शहीद मकसूदाबाद में बड़ा आयोजन करने वाला है. यह सभा मसूद अजहर के भाई यूसुफ अजहर (जो ऑपरेशन सिंदूर में मारा गया) की याद में होगी. यह कार्यक्रम जैश के नए नाम अल-मुराबितून के तहत होगा. इस नाम का अर्थ है ‘इस्लाम की भूमि के रक्षक’, और यह नया नाम इसलिए अपनाया गया है ताकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिबंधित जैश-ए-मोहम्मद का नाम न लेना पड़े.
इनपुट बताते हैं कि हिजबुल मुजाहिद्दीन भी लोअर दिर के बांदाई इलाके में नया कैंप “एचएम 313” बना रहा है. इसकी अगुवाई पूर्व Pakistanी कमांडो खालिद खान कर रहा है. 313 नाम गजवा-ए-बदर और अल-कायदा की ब्रिगेड 313 का संदर्भ देता है. यह केंद्र अब कश्मीर में घुसपैठ की साजिश और वैश्विक जिहादी नेटवर्क से जोड़ने का ठिकाना बनने की तैयारी में है. मसूद इलियास कश्मीरी की भूमिका की बात करें तो उसका जन्म पाक अधिकृत कश्मीर के रावलकोट में हुआ था. 2001 में वह जेईएम में शामिल हुआ, 2001-06 तक अफगानिस्तान में नाटो के खिलाफ लड़ा. 2007 में लौटकर मरकज शुहदा-ए-कश्मीर प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किया. वह 2018 के जम्मू के सुंजवान आर्मी कैंप हमले का मास्टरमाइंड है. 2019 में लश्कर–जैश के संयुक्त “हिलाल-उल-हक ब्रिगेड” (कवर नाम – पीपुल्स एंटी फासीस्ट फ्रंट) का नेतृत्व संभाला.
यह आतंकी अब जेईएम व पीपुल्स एंटी फासीस्ट फ्रंट दोनों का संचालन कर रहा है, जिससे Pakistan की प्रॉक्सी वार मशीनरी को नई ताकत मिल रही है. आतंकियों ने भारतीय सेना के डर से पीओके को छोड़ Pakistan के खैबर पख्तूनख्वा को सुरक्षित पनाहगाह बना लिया है. पीओके अब आगे की घुसपैठ का अड्डा रहेगा जबकि खैबर पख्तूनख्वा रीयर कमांड जोन के रूप में इस्तेमाल होगा. इस पूरे मामले में Pakistan Police और सेना की प्रत्यक्ष मिलीभगत उजागर हुई है.
Pakistan अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आतंकवाद विरोधी छवि पेश करता है, लेकिन भीतर ही भीतर प्रतिबंधित आतंकी संगठनों को संरक्षण देता है. विशेषज्ञ मानते हैं कि यह स्थिति India ही नहीं, बल्कि अमेरिका और वैश्विक सुरक्षा के लिए भी खतरे की घंटी है, क्योंकि मसूद इलियास कश्मीरी ने India के साथ-साथ अमेरिका और इजराइल को भी निशाना बनाया है. यह घटनाक्रम साफ करता है कि Pakistan आतंकवाद को अब भी अपनी Political रणनीति का हिस्सा बनाए हुए है और एक नया जिहादी गढ़ बनाने की कोशिश में है.
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जीसीबी/डीएससी
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