Malegaon Blast Case: आखिरकार मालेगांव बम धमाके केस में NIA की विशेष अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया है. अदालत ने साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत पुरोहित समेत सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया है. कोर्ट ने माना कि उनके खिलाफ UAPA, आर्म्स एक्ट और अन्य किसी भी धाराओं के तहत आरोप साबित नहीं किए जा सके. धमाका होने की बात अदालत ने मानी, लेकिन यह साफ नहीं हुआ कि बम मोटरसाइकिल में था या वह बाइक किसकी थी. फैसला आते ही साध्वी प्रज्ञा भावुक हो गईं और उनका दर्द निकल आया. उन्होंने कई बातें कहीं.
असल में फैसले के बाद साध्वी प्रज्ञा भावुक हो गईं. उन्होंने कहा कि मुझे 17 साल तक अपमान सहना पड़ा. मुझे 13 दिन तक प्रताड़ित किया गया और मेरी पूरी जिंदगी बर्बाद कर दी गई. मैंने सन्यासी जीवन जिया लेकिन मुझे ही आतंकवादी बना दिया गया. मेरे साथ कोई खड़ा नहीं हुआ. साध्वी ने कहा कि यह सिर्फ मेरी नहीं बल्कि भगवा की भी जीत है. उन्होंने कहा कि जिन्होंने भगवा को बदनाम किया, उन्होंने भारत को बदनाम किया. परमेश्वर उन्हें सजा देगा.
प्रज्ञा ठाकुर ने यह भी कहा कि हिंदुत्व की जीत हुई है और जो दोषी हैं उन्हें भगवान सजा देंगे. उन्होंने कहा कि 13 दिन तक लगातार मैं प्रताड़ित होती रही. 17 साल अपमानित होती रही. मेरी जिंदगी बर्बाद की लेकिन अब फैसला आ गया है. उधर कर्नल पुरोहित ने भी कहा कि मैं देश सेवा करता रहूंगा.
इस पूरे मामले में कोर्ट ने सबूतों को लेकर भी कई अहम टिप्पणियां कीं. अदालत ने कहा कि आरोपियों की जो आवाज रिकॉर्ड की गई वो पूरी तरह से प्रमाणिक नहीं है. फॉरेंसिक रिपोर्ट भी संदेह के घेरे में थी और उसे अदालत ने ‘कंटेमिनेटेड’ यानी दूषित माना. कोर्ट ने यह भी कहा कि UAPA के तहत जिन धाराओं में आरोप लगाए गए थे, उनके लिए वैध स्वीकृति नहीं ली गई थी जिससे ये आरोप टिक नहीं पाए.
अदालत ने साफ किया कि अब तक जो सबूत दिए गए उनसे यह साबित नहीं हो सका कि धमाके की साजिश फरीदाबाद या भोपाल में रची गई. न ही यह साबित हुआ कि मोटरसाइकिल साध्वी प्रज्ञा की थी या बम कहां और किसने प्लांट किया. कोर्ट ने सभी को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया और कहा कि पीड़ितों को मुआवजा दिया जाएगा.
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