जिंदगी में अच्छा और बुरा दोनों दौर आता है। कई बार स्थिति विपरीत होती है। ऐसे में लोग घबरा जाते हैं। नेगेटिव सोचते हैं। जल्दी हार मान लेते हैं। जबकि हमे ऐसी सिचूऐशन को शांत दिमाग से हैंडल करना चाहिए। पॉजिटिव रहकर और सोच विचारकर समस्या का हल निकालना चाहिए। चलिए इस चीज को एक दिलचस्प कहानी से समझते हैं।
जब अंधे ने की असली हीरे की पहचानएक समय की बात है। ठंड के दिन चल रहे थे। राजा ने धूप सेंकने के लिए बाहर मैदान में अपना दरवार सजा दिया। वहाँ एक से बढ़कर एक विद्वान लोग, पंडित और अन्य लोग मौजूद थे। वहीं कुछ आमजन भी अपनी समस्या लेकर आए थे। इस बीच राजा के पास एक अनजान शख्स आया। वह बोला “हे राजन मैं दूर नागरी से आया हूं। मेरे पास दो वस्तुएं हैं। दोनों एक समान है। लेकिन एक बेशकीमती तो दूसरी खोटी है।”
शख्स ने फिर वह दो चीजें राजा के सामन रख दी। वह आगे बोला “मैं कई राज्यों में गया हूं। लेकिन कोई भी इन दोनों चीजों में अंतर नहीं बता पाया है। इसमें एक असली हीरा है तो दूसरा कांच का टुकड़ा। मैं सभी नगरी के राजाओं को चुनौती देता हूं कि वह इसमें अंतर बताए। यदि वह हीरा खोज ले तो वह उनका हो जाएगा। लेकिन गलत जवाब दे तो उस हीरे की कीमत जितना धन मुझे देना होगा।”
राजा ने शख्स की चुनौती स्वीकार कर ली। हालांकि वह कांच और हीरे में अंतर नहीं कर सका। दोनों 100 फीसदी एक जैसे ही लग रहे थे। फिर राजा के दरबार में बैठे विद्वानों ने अंतर खोजने की कोशिश की। लेकिन सभी असफल रहे। फिर दरबार में अपनी समस्या लेकर आई जनता में से एक अंधा शख्स खड़ा हुआ। वह ये सारी बातें सुन रहा था। उसने राजा से कहा कि मुझे भी इसमें अंतर बताने का एक मौका दिया जाए।
अंधे की बात सुन हर कोई उसका मजाक उड़ाने लगा। लेकिन राजा ने उसे अनुमति दे दी। फिर अंधे ने दोनों वस्तुओं को हाथ में लिया। और सही हीरे की पहचान कर ली। हीरे लाने वाला शख्स भी अंधे के इस हुनर का कायल हो गया।
फिर राजा ने अंधे से पूछा कि आखिर तुमने असली हीरे की पहचान कैसे की? इस पर अंधा बोला “जब मैंने दोनों चीजों को हाथ में पकड़ा तो एक ठंडा था जबकि दूसरा गर्म। कांच धूप में गर्म हो जाता है। लेकिन हीरा ठंडा ही रहता है।” अंधे की बात सुन सभी आश्चर्य में पड़ गए। सोचने लगे कि आखिर ये छोटी सी बात हमारे दिमाग में क्यों नहीं आई।
कहानी की सीखबस यही इस कहानी का सार भी है। हम मुश्किल हालातों में दिमाग को शांत रखना भूल जाते हैं। जिसका दिमाग शांत और सोच पॉजिटिव होती है वह समस्या का हल आसानी से निकाल लेता है। वहीं जो हाइपर हो जाता है, हार मानकर नेगेटिव सोचने लगता है, वह आसान हल को भी नहीं खोज पाता है। अर्थात विपरीत परिस्थितियों में भी ठंडा रहने वाला व्यक्ति हीरा है। जबकि जरा-जरा सी बात पर गर्म होने या लड़ने वाला शख्स कांच का टुकड़ा है।
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